डेथ ओवरों में हर्षल और हेज़लवुड ने गेंदबाज़ी की मास्टरक्लास पेश की • BCCI
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु 173 पर 8 (लोमरोर 42, डुप्लेसी 38, कोहली 30, थीक्षना 3-27) ने चेन्नई सुपर किंग्स 160 पर 8 (कॉन्वे 56, मोईन 34, हर्षल 3-35) को 13 रन से हराया
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की गाड़ी लगातार तीन हार के बाद जीत की पटरी पर लौट आई हैं। पुणे में चेन्नई सुपर किंग्स के विरुद्ध जीत दर्ज कर उन्होंने प्लेऑफ़ में जाने की दावेदारी को मज़बूत किया है। डेथ ओवरों में हर्षल पटेल और जॉश हेज़लवुड की मास्टरक्लास ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई।
चेन्नई को जीतने के लिए 30 गेंदों पर 56 रन बनाने थे। जब मैच का अंतिम स्ट्रैटेजिक टाइम आउट लिया गया तब उनके पास छह विकेट शेष थे। हालांकि इसके बाद उनकी पारी लड़खड़ाई और पांच ओवरों और 25 रनों के भीतर तीन विकेट गंवाए। अंतिम ओवर में हर्षल को दो छक्के पड़े लेकिन उन्होंने केवल हार के अंतर को कम करने का काम किया। मोईन अली और रवींद्र जाडेजा का शिकार कर हर्षल ने पहले ही मैच को बेंगलुरु की झोली में डाल दिया था।
पहले बल्लेबाज़ी के लिए भेजे जाने के बाद कैसे-तैसे करते हुए बेंगलुरु ने आठ विकेट के नुक़सान पर 173 रन बनाए। उनके पांच बल्लेबाज़ों ने 20 रन का आंकड़ा पार किया लेकिन 27 गेंदों पर 42 रन बनाकर महिपाल लोमरोर सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ साबित हुए। पावरप्ले में इस सीज़न का अपना सबसे बड़ा स्कोर बनाने के बाद स्पिन के विरुद्ध उनकी गाड़ी पर ब्रेक लगा।
रजत पाटीदार के साथ 44 रनों की साझेदारी निभाते हुए लोमरोर ने स्कोर को आगे बढ़ाया जिसके बाद 19वें ओवर में महीश थीक्षना ने तीन विकेट लेकर रन गति को जकड़ लिया। अंतिम ओवर में 16 रन बटोरकर दिनेश कार्तिक ने सुनिश्चित किया कि बेंगलुरु एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य तक पहुंचे।
चेन्नई सुपर किंग्स अब भी प्लेऑफ़ में पहुंच सकती है लेकिन पहले 10 में से सात मैच हारने के बाद उन्हें एक चमत्कार ही टॉप चार में लेकर जा सकता है। वहीं बेंगलुरु ने वर्तमान के लिए टॉप चार में जगह बना ली है। हालांकि उनका नेट रन रेट अन्य टीमों की तुलना में बेहद ख़राब है और उन्होंने एक अतिरिक्त मैच भी खेल लिया है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उन्हें आने वाले मैचों में ऐसा ही उम्दा प्रदर्शन करना होगा।
बेजोड़ शुरुआत के बाद बेंगलुरु की पारी लड़खड़ाई
फ़ाफ़ डुप्लेसी और विराट कोहली ने संभलकर शुरुआत की और बल्ले के किनारे की मदद से चौके लगाए। महेंद्र सिंह धोनी ने नई गेंद के साथ अपने तेज़ गेंदबाज़ों का सही इस्तेमाल किया जिसके बाद कोहली ने सिमरजीत सिंह को कवर के ऊपर से छक्का लगाया और डुप्लेसी ने मुकेश चौधरी के तीसरे ओवर में 18 रन बटोरे।
हालांकि इस सीज़न में फिर एक बार उन्होंने स्पिन के विरुद्ध संघर्ष किया। उंगलियों के स्पिनरों को गुड लेंथ से मदद मिल रही थी। डुप्लेसी ने मोईन की गेंद को डीप मिडविकेट के हाथों में दे मारा जबकि कोहली का बल्ला भी चुप हो गया।
ग्लेन मैक्सवेल को रॉबिन उथप्पा के थ्रो पर रन आउट होते देखने के बाद मोईन की घूमती ऑफ़ ब्रेक गेंद पर कोहली क्लीन बोल्ड हो गए। 33 गेंदों पर 30 रन बने कोहली के बल्ले से। पांच ओवर में 51 रन जोड़ने के बाद अगले पांच ओवर में तीन विकेट के नुक़सान पर उन्होंने केवल 28 रन जोड़े।
लोमरोर और कार्तिक ने दी स्थिरता
गुजरात टाइटंस के विरुद्ध आतिशी पारी खेलने के बाद इस मैच में लोमरोर को चौथे नंबर पर उतारा गया। मोईन को सिर के ऊपर से चौका और थीक्षना की गेंद को स्लॉग स्वीप करते हुए छक्का लगाने के बाद वह धीरे-धीरे स्कोर को आगे बढ़ा रहे थे। डीप स्क्वेयर लेग पर मुकेश के लाजवाब कैच ने 4.5 ओवर शेष रहते कार्तिक को क्रीज़ पर बुलाया। हालांकि धोनी अपनी तैयारी कर के आए थे।
स्पिन के विरुद्ध कार्तिक के संघर्ष को ध्यान में रखते हुए धोनी ने डेथ ओवरों के लिए थीक्षना के दो ओवर बचाकर रखे थे। 17वें और 19वें ओवर में कुल मिलाकर थीक्षना ने केवल आठ रन ख़र्च किए और अपने अंतिम ओवर में लोमरोर, वनिंदु हसरंगा और शाहबाज़ अहमद का शिकार किया।
लोमरोर ने 18वें ओवर में ड्वेन प्रिटोरियस को एक चौका और छक्का लगाकर रन गति को थमने नहीं दिया। अंतिम ओवर की पहली गेंद पर रिव्यू का साथ लेकर बचने के बाद कार्तिक ने दो बार गेंद को डीप मिडविकेट सीमा रेखा के बाहर भेजकर बेंगलुरु को 173 रनों तक पहुंचाया।
कॉन्वे ने किया कमाल
अपने आईपीएल करियर में एक पारी के बाद ड्रॉप किए जाने के बाद डेवन कॉन्वे ने सनराइज़र्स हैदराबाद के विरुद्ध 85 रनों की नाबाद पारी खेलकर अपनी छाप छोड़ी थी। बुधवार को उन्होंने लगातार दूसरा अर्धशतक जड़ दिया। शाहबाज़ को पहले ओवर में स्वीप और रिवर्स स्वीप लगाकर उन्होंने अपनी पारी का आग़ाज़ किया और पहली विकेट के लिए ऋतुराज गायकवाड़ के साथ 51 रन जोड़े।
बेंगलुरु की तरह मध्य ओवरों में चेन्नई ने भी स्पिन के विरुद्ध अपना रास्ता भटक गई। मैक्सवेल ने चार किफ़ायती ओवर डाले और उथप्पा और अंबाती रायुडू को बाहर का रास्ता दिखाया। क्योंकि कॉन्वे अब भी क्रीज़ पर टिके हुए थे, चेन्नई की उम्मीदें बरक़रार थी।
हर्षल और हेज़लवुड ने किया काम तमाम
डुप्लेसी ने हर्षल को 13वें ओवर तक रोक कर रखा और यह सुनिश्चित किया कि अंतिम पांच में से तीन ओवर उनका विशेषज्ञ गेंदबाज़ डाले। 15वें ओवर में उन्होंने गेंद हसरंगा को थमाई जिनके लिए यह एक साधारण मैच बनता जा रहा था। हालांकि यह दांव काम कर गया जब हसरंगा की फ़ुल गेंद को कॉन्वे ने डीप बैकवर्ड स्क्वेयर लेग के हाथ में दे मारा।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मोईन को अपनी फ़ॉर्म मिल गई जब उन्होंने हसरंगा की अंतिम गेंद पर छक्का लगाया। हालांकि चेन्नई की पारी टाइम आउट के बाद डगमगाई। राउंड द विकेट से विविधताओं से भरी अपनी गेंदबाज़ी के दौरान हर्षल ने जाडेजा को हवा में टंग गई गेंद पर कैच करवाया और मोईन एक्स्ट्रा कवर पर लपके गए।
जब हेज़लवुड ने 19वें ओवर की पहली गेंद पर धोनी को आउट किया, मैच लगभग बेंगलुरु के पक्ष में झुक गया था। अपने चार ओवरों में केवल 19 रन देकर वह इस जीत के नायक रहे। अपने चार ओवरों के स्पेल में हेज़लवुड ने केवल एक चौका खाया और वह भी उनके अंतिम ओवर में बल्ले के बाहरी किनारे के चलते आया था।