मैच (12)
IPL (2)
त्रिकोणीय वनडे सीरीज़, श्रीलंका (1)
County DIV1 (3)
County DIV2 (4)
QUAD T20 Series (MAL) (2)
फ़ीचर्स

आंकड़े : घरेलू मैदान पर डे-नाईट टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया इतना मज़बूत क्यों है?

पहले बल्लेबाज़ी का फ़ायदा, तेज़ गेंदबाज़ों की दूधिया रोशनी में ऐश और लायन की दहाड़

A view of the Adelaide Oval after sunset, Australia vs West Indies, 2nd Test, Adelaide, 3rd Day, December 10, 2022

ऑस्‍ट्रेलिया अपने 12 डे-नाईट टेस्‍ट में से केवल एक टेस्‍ट हारा है  •  AFP/Getty Images

एडिलेड में होने वाला आगामी डे-नाईट टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत से पहले टेस्ट में मिली 295 रन की हार का बदला लेने का एक बेहतरीन मौक़ा है। लेकिन पिछले 25 साल से भी ज़्यादा समय से सीरीज़ में पिछड़ने के बाद कोई टेस्ट सीरीज़ नहीं जीतने वाली ऑस्‍ट्रेलिया पिंक-बॉल टेस्ट में अपने रिकॉर्ड पर गर्व कर सकता है, जिसने ऐडिलेड ओवल में सभी सात और घरेलू मैदान पर खेले गए 12 डे-नाईट मैचों में से एक को छोड़कर सभी में जीत हासिल की है। ऑस्ट्रेलिया में डे-नाईट टेस्ट में क्या क़ामयाब रहा और क्या नहीं, इसके लिए यहां आंकड़ों पर नज़र डालते हैं।

टॉस जीतो और पहले बल्‍लेबाज़ी करो

ऑस्‍ट्रेलिया में डे-नाईट टेस्‍ट में सफल होने का सबसे सही तरीक़ा टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाज़ी और फ‍िर एक चुनौतीपूर्ण स्‍कोर खड़ा करना है। ऑस्‍ट्रे‍लिया ने क़‍िस्‍मत के साथ से यही रणनीति अपनाई है, जहां उन्‍होंने सातों बार टॉस जीता है और they have batted first. In six of those matches, they 400 से अधिक का स्‍कोर खड़ा किया।
वेस्‍टइंडीज़ ने भी इस साल की शुरुआत में यही किया। पहले बल्‍लेबाज़ी चुनते हुए उन्‍होंने 311 रन बनाए और फ‍िर आठ रनों से मैच जीतकर ऑस्‍ट्रेलिया के पिंक बॉल टेस्‍ट में जीत के सफ़र को समाप्‍त किया।
ऑस्‍ट्रेलिया में हुए 12 में से 10 टेस्‍ट मैचों में पहले बल्‍लेबाज़ी चुनी गई है। इंग्‍लैंड ने 2017 में एडिलेड और 2022 में होबार्ट में पहले गेंदबाज़ी चुनी थी। दोनों ही बार उन्‍होंने मैच से पकड़ खोई और ऑस्‍ट्रेलिया के मध्‍य क्रम ने बड़ा स्‍कोर खड़ा करने में मदद की। 2015 में एडिलेड में न्‍यूज़ीलैंड और 2019 में गाबा में श्रीलंका पहले बल्‍लेबाज़ी करने का फ़ायदा नहीं उठा पाई थी और 202 और 144 रनों पर ऑलआउट हो गई थी।
2016 में एडिलेड में साउथ अफ़्रीका ने ऑस्‍ट्रेलिया को आख़ि‍री एक घंटा बल्‍लेबाज़ी कराने के लिए नौ विकेट पर 259 रन बनाकर पारी घोषित की थी। यह मूव काम नहीं किया और ऑस्‍ट्रेलिया ने उस दिन स्‍टंप्‍स तक कोई विकेट नहीं गंवाया।
2020 में भारत ही एकमात्र टीम है जो ऑस्‍ट्रेलिया में पहली पारी में बढ़त के बावजूद मैच हारा। उन्‍होंने भारत को दूसरी पारी में 36 रनों पर ऑलआउट कर दिया था, जबकि पहली पारी में उनके पास 53 रनों की ही बढ़त थी।

नई बॉल साबित करती है अंतर

ऑस्‍ट्रेलिया में कॉमन ट्रेंड यह है कि नई गेंद डे टेस्‍ट से अधिक डे-नाईट टेस्‍ट में परिणाम निकालती है। 2015-16 सीज़न से तेज़ गेंदबाज़ों का लाल गेंद के टेस्‍ट में पहले 20 ओवर में 33.02 की औसत रही है, जबकि पिंक बॉल मैचों में यह 24.56 का हो जाती है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह ऑस्‍ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ों की सफलता है, जिनका नई पिंक बॉल से 18.87 की औसत रही, जबकि यह नई लाल गेंद से 25.01 का है। यहां तक की मेहमान टीम के तेज़ गेंदबाज़ भी अच्‍छा करते हैं। पहले 20 ओवर में लाल गेंद टेस्‍ट में 45.91 की औसत और पिंक बॉल से 33.94 की औसत रही है।
बल्‍लेबाज़ों का नई पिंक बॉल के ख़‍िलाफ़ संघर्ष ज़ाहिर है, क्‍योंकि पहले 20 ओवर में लाल गेंद से औसतन दो ओवर जल्‍दी पिंक बॉल में विकेट गिरते हैं।

अंतिम सत्र में बल्लेबाज़ी आसान नहीं

ऑस्‍ट्रेलिया में फ़्लड लाइट्स में तेज़ गेंदबाज़ों को खेलना सबसे चुनौतीपूर्ण चरण है। आख़ि‍री सत्र में उनकी 20.30 की औसत रहती है, जबकि पहले में यह 23.03 और दूसरे सत्र में 32.01 की औसत रही है। ऑस्‍ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ यहां और भी बेहतर हो जाते हैं : 12 डे-नाईट टेस्‍ट में घर में फ़्लड लाइट्स में 14.66 की औसत रही है। जबकि पहले और दूसरे सत्र में उनकी 20.82 और 24.57 की औसत रही है।
लेकिन ऑस्‍ट्रेलिया के बल्‍लेबाज़ पहले दो सत्र से अच्‍छा तीसरे सत्र में खेले हैं, जहां मेहमान टीम के तेज़ गेंदबाज़ों का आख़‍िरी सत्र में 32.08 की औसत है तो वहीं पहले सत्र में यह 25.04 की हो जाती है।
एडिलेड ओवल में हुए डे-नाईट टेस्‍टों में तेज़ गेंदबाज़ों का पहले सत्र में अलग सिनेरियो है, जहां उनकी औसत 23.02 का है, जबकि तीसरे सत्र में यह गिरकर 25.66 हो जाती है। मेहमान टीम के सीमर भी तीसरे सत्र (औसत 41.37) से अधिक दोपहर के सत्र (औसत 32.37) में अच्‍छा करते हैं।
दूसरी ओर, ऑस्‍ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ पहले और तीसरे दोनों ही सत्रों में गेंदबाज़ी का लुत्‍फ़ लेते हैं। उनकी दोपहर में 17.42 और फ्लड लाइट्स में 18.26 की औसत है। जिसका मतलब है कि एडिलेड में हुए डे-नाईट टेस्‍ट में केवल एक ही टीम 300 से अधिक रन पाई है जब 2019 में पाकिस्‍तान ने 302 रन बनाए थे।

विदेशी टीम के स्पिनरों से बेहतर लायन

मेहमान टीम के स्पिनरों के लिए ऑस्‍ट्र‍ेलिया एक मुश्किल देश रहा है, चाहे फ‍िर बात पिंक बॉल की हो या लाल की। 2015-16 सत्र से मेहमान टीम के स्पिनरों की 36 लाल गेंद टेस्‍ट में 62.31 की औसत रही है, जबकि डे-नाईट टेस्‍ट में यह 64.44 की हो जाती है।
हालांकि नेथन लायन अलग रहे हैं। 2015-16 से घर में उनकी डे-नाईट टेस्‍ट में 25.58 की औसत रही है, जबकि लाल गेंद टेस्‍ट में यह 31.80 का रही है। लायन लाल गेंद से सात गेंद कम पर पिंक बॉल में विकेट निकालते हैं।

लाबुशेन और स्‍टार्क चमकते हैं

मार्नस लाबुशेन का पिंक बॉल टेस्‍ट में कमाल का प्रदर्शन रहा है। वह ऑस्‍ट्रेलिया में हुए डे-नाईट टेस्‍ट में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्‍लेबाज़ हैं, जहां पर उन्‍होंने 14 पारियों में 63.85 की औसत से 894 रन बनाए हैं, जिसमें चार शतक शामिल है, जबकि इसके बाद ट्रैविस हेड ने दो शतक लगाए हैं।
मिचेल स्‍टार्क की पिंक बॉल से प्रदर्शन की तुलना करना मुश्किल है। वह केवल अकेले गेंदबाज़ हैं जिनके नाम ऑस्‍ट्रेलिया में हुए पिंक बॉल टेस्‍ट में 50 से अधिक विकेट हैं। उन्‍होंने 18.71 की औसत से 66 विकेट लिए हैं। जॉश हेज़लवुड (18.86 की औसत से 37) और पैट कमिंस (18.35 की औसत से 35) की भी 20 से कम की औसत है। दूसरे टेस्‍ट में हेज़लवुड की जगह लेने जा रहे स्‍कॉट बोलंड ने भी दो पिंक बॉल टेस्‍ट में 13.71 की औसत से सात विकेट लिए हैं।

संपत बंडारुपल्‍ली ESPNcricinfo में स्‍टैटिशियन हैं।