मैच (12)
IPL (2)
Women's One-Day Cup (1)
त्रिकोणीय वनडे सीरीज़, श्रीलंका (1)
PSL (1)
County DIV1 (3)
County DIV2 (4)
फ़ीचर्स

'बाहुबली' NKR है MCG में बॉक्‍स ऑफ़‍िस हिट

उन्होंने शनिवार को बल्ले से यह सब कर दिखाया, जिससे दर्शक यह जानने के लिए उत्सुक हो गए कि उन्होंने अब तक क्या किया है और वे अब भी क्या कर सकते हैं

Nitish Kumar Reddy knew how he wanted to celebrate his hundred, Australia vs India, 4th Test, Melbourne, 3rd day, December 28, 2024

Nitish Kumar Reddy ने कुछ इस तरह से मनाया शतक का जश्‍न  •  Cricket Australia via Getty Images

नीतीश कुमार रेड्डी बहुत डर गए थे। जब बारिश के कारण खिलाड़ियों को मैदान से बाहर जाना पड़ा, तब वे 119 गेंदों पर 85 रन बना चुके थे। जब वे वापस आए, तो गेंद थोड़ी हिलने लगी। इसलिए उन्होंने फिर से शुरू से खेलने का फै़सला किया। मान लीजिए कि वे 0 पर हैं। उन्होंने अपने अगले 12 रन बनाने के लिए 48 गेंदें लीं और फिर, अपने पहले टेस्ट शतक से सिर्फ़ एक हिट दूर, उन्होंने देखा कि एक गेंद उनके हिटिंग आर्क में जा गिरी और वे खु़द को रोक नहीं पाए। गेंद सीधे हवा में चली गई।
यह MCG का मैदान था। 80,000 से अधिक लोग देख रहे थे। लाखों लोग घर पर थे। सभी इंतज़ार कर रहे थे। वह भी शायद इंतज़ार कर रहे थे। सिर्फ़ इस पारी या इस दौरे के दौरान ही नहीं। तथ्य यह है कि वह यहां भारत की जर्सी में है, इसका मतलब है कि वह लगभग हर रात इस पल के सपने देखते हुए सो रहे होंगे। कुछ ग़लतियां लोगों को आगे बढ़ने में मदद करती हैं, लेकिन यह...
गेंद कवर के ऊपर से निकलकर पैट कमिंस की पहुंच से बाहर जा गिरी। रेड्डी 97 से 99 पर पहुंच गए और उनका हाथ हेलमेट को पकड़े दिखा।
तीसरे दिन खेल के पहले घंटे के अंदर एक स्कूप शॉट ने उन्हें मैदान पर ला खड़ा किया। ऐसा लगा कि वह शॉट खेल को परिभाषित करेगा, संभवतः पूरे टेस्ट को भी। जब ऋषभ पंत मैदान से बाहर गए, तो उन्होंने अपना बल्ला घुमाया और पैर के अंगूठे की तरफ़ देखा। यहीं पर उन्होंने गेंद से संपर्क बनाया था। इन शॉट्स के पक्ष में तर्क आमतौर पर यह होता है कि कल्पना करें कि अगर गेंद बल्‍ले पर ठीक आ भी जाती। ठीक है ज़रूर उन्हें चार, शायद छह रन मिल जाते। फिर भी ऑस्ट्रेलिया के पास बैंक में 279 रन और बच जाते।
इसलिए जोखिम उठाना सही नहीं था। इसलिए नहीं कि यह वार उल्टा पड़ गया। बल्कि इसलिए कि उस समय भारत को अपनी सफलता से बहुत कम लाभ होता, लेकिन अपनी असफलता से उसे बहुत कुछ खोना पड़ता।
सुनील गावस्‍कार ने ABC रेडियो पर कहा, "इसे ड्रेसिंग रूम में नहीं जाना चाहिए, इसे दूसरे ड्रेसिंग रूम में जाना चाहिए।"
रेड्डी ने इस उथल-पुथल में आगे आकर दोबारा मैच बनाया, ​लेकिन 99 रन पर वे नॉन-स्ट्राइकर छोर पर खड़े थे। वह भारत को अपना नौवां विकेट खोते हुए और पश्चिम में काले बादल छाते हुए देख रहे थे।
क्या मोहम्मद सिराज का डिफ़ेंस टिक पाएगा? ऐसा लगभग नहीं हुआ। कमिंस ने पहली ही गेंद पर उनको बीट कर दिया। क्या बारिश नहीं होगी? यह काम में पहला व्यवधान था। पिछली बारिश ने चायकाल करा दिया, तब रेड्डी 71 की स्ट्राइक रेट से खेल रहे थे और उसके बाद यह 35 पर आ गया। यह एक जरूरी समायोजन था, लेकिन अब…
सिराज ने कमिंस की बाउंसर पर डक किया और रेड्डी ने तुरंत अपना बल्ला उठाया और और बल्‍ले से ग्‍लव्‍स लगाकर सराहना का इशारा किया। इसके बाद आख‍िरी गेंद पर सिराज ने गेंद को डिफ़ेंस किया और पोज़ बनाए रखा।
रेड्डी के पिता MCG में थे। 2016 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि इससे उन्हें और उनके परिवार को ग़लत समय पर शहर से बाहर जाना पड़ता। उनके 13 वर्षीय बेटे को आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन ने जिला स्तरीय ट्रायल के लिए चुना था। मुत्यालु खु़द को वहां जाने के लिए तैयार नहीं कर पाए। वह अपने बेटे के साथ ऐसा नहीं कर सकते थे। उन्हें कभी नहीं पता था कि उनके बलिदान का इतना अच्छा नतीज़ा मिलेगा। जब शतक पूरा हुआ तो वह रो पड़े, अपने पीछे भीड़ में गिर पड़े और प्रार्थना में अपने हाथ जोड़ लिए।
इस बीच, रेड्डी उसी मैदान पर एक घुटने पर बैठ गए, जिस पर शेन वॉर्न ने अपना 700वां टेस्ट विकेट लिया था। उन्होंने अपना बल्ला उसी आउटफील्ड में लगाया, जहां भारत ने रवि शास्त्री की ऑडी में बैठकर 1985 के बेन्सन एंड हेजेस वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ़ क्रिकेट के फ़ाइनल में जीत का जश्न मनाया था। उन्होंने अपना हेलमेट हैंडल के ऊपर रख दिया और एक घुटने पर बैठकर फिल्म बाहुबली के हीरो का पोज बनाया।
वॉशिंगटन सुंदर ने दिन का खेल ख़त्‍म होने पर कहा, "यह जश्‍न था। उसने सच में मज़ा बांध दिया। "मुझे यकीन है कि उनके पास और भी शतक होंगे और अब बस यह बात है कि वह और अधिक शतक बनाएं।"
MCG में इस समय 19 वर्षीय खिलाड़ी की धूम मची हुई है, जहां सैम कॉन्‍स्टास के स्कूप को भी खूब देखा जा रहा है। अब वे सभी 21 वर्षीय खिलाड़ी के मुरीद हो गए हैं। रेड्डी मिशेल स्टार्क का सामना करने में सहज थे। उन्होंने कमिंस के प्रहार को नज़रअंदाज़ कर दिया। वे स्कॉट बोलैंड की चालों के आगे नहीं झुके और वे नाथन लायन पर तब भी इन साइड आउट ड्राइव लगा रहे थे जब वह क्रीज़ पर नए थे।
रेड्डी इस तरह की बल्लेबाज़ी करने में सक्षम हैं, जबकि भारत लगभग हमेशा मुश्किल में रहता है और उन्हें बचाने के लिए उनकी ओर देखता है। पर्थ में वे 73 रन पर छह विकेट खो चुके थे और उन्होंने उन्हें 150 रन तक पहुंचाया। एडिलेड में वे 87 रन पर पांच विकेट और 105 रन पर पांच विकेट खो चुके थे, जब उन्होंने एक पारी में अपना पिछला उच्चतम टेस्ट स्कोर बनाया और दूसरी पारी में भी इसकी बराबरी की। मेलबर्न में वे 191 रन पर छह विकेट खो चुके थे और उन्होंने उन्हें 300 के पार पहुंचाया।
रेड्डी वह कर पाए जो पंत नहीं कर पाए। बस परिस्थिति के अनुसार बल्लेबाज़ी करनी थी। भारत को साझेदारी की ज़रूरत थी और ऐसा करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता था। पिच काफ़ी अनुकूल थी। गेंदबाज़ी अच्छी थी लेकिन ख़तरनाक नहीं थी। वास्तव में ऑस्ट्रेलिया के पास विकेट लेने के लिए केवल एक-दो मौके थे, जब तक कि ग़लत समय पर स्कूप नहीं किया गया।
भारत के चयनकर्ताओं ने एक ऐसे युवा खिलाड़ी को चुनकर बड़ा फै़सला किया, जिसका 21 प्रथम श्रेणी मैचों के बाद औसत 21 था। लेकिन वास्तव में, यहां उनकी उपस्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि वे IPL में अंतरराष्ट्रीय स्तर के गेंदबाज़ों का सामना करने में कैसे बेबस नहीं दिखे, और इस बात पर भी कि उनके कई सबसे मज़बूत स्कोरिंग विकल्पों में सीधा बल्ला शामिल है। बोलैंड के ख़‍िलाफ़ मैदान में एक ऑन-द-अप ड्राइव था, जो दूसरी नई गेंद पर आया, जो "मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ" जैसा था। समय बीतने और अपने दिल की धड़कन बढ़ने के साथ उन्होंने अपना शतक पूरा करने के लिए एक और इस तरह का शॉट खेला।
वॉशिंगटन ने कहा, "मुझे यकीन है कि यह हमेशा याद रखा जाएगा। नीतीश के बारे में एक बात यह है कि चाहे वह मैदान पर हो या मैदान के बाहर, वह अपना 120% देने वाला है। यह सिर्फ़ क्रिकेट ही नहीं बल्कि जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण है। मैंने उसे IPL के दौरान भी काफ़ी नज़दीक से देखा है। उसका काम करने का तरीक़ा और हर मैच से पहले, मैवच के आसपास वह जो कुछ भी करता था, वह हम सभी के लिए देखने लायक था और हम जानते थे कि कुछ बहुत ख़ास होने वाला है।"
भारत इन रनों से खु़श होगा, उनके आस-पास की परिस्थितियां और उसमें जो तरीक़ा था। कप्तान रोहित शर्मा की अगुआई में टीम के अधिकांश खिलाड़ी डगआउट में दर्शकों के साथ तालियां बजाते और जयकारे लगाते हुए बाहर निकले। 85 हज़ार लोग एक बार फिर क्रिकेट में पूरी तरह डूब गए, सिवाय इसके कि इस बार उनकी प्रशंसा बल्लेबाज़ पर केंद्रित थी, वे इस बात जोर लगा रहे थे कि उसने पहले क्या किया है और वह अभी भी क्या कर सकता है।

अलगप्‍पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।