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आंकड़े : बुमराह और पुछल्ले बल्लेबाज़ों के नाम रही सीरीज़

शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों के लिए कब्रगाह साबित हुई सीरीज़, सिर्फ़ दो बल्लेबाज़ कर पाए 40 के औसत को पार

ऑस्ट्रेलिया की दुर्लभ वापसी

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी 2024-25 में ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत पर्थ में क़रारी हार के साथ हुई थी। हालांकि अगले चार में से तीन टेस्ट जीतकर उन्होंने जबरदस्त वापसी की और ना सिर्फ़ सीरीज़ अपने नाम किया बल्कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फ़ाइनल में अपनी जगह भी पक्की की।
यह बहुत कम ही होता है, जब सीरीज़ के पहले मैच में हार के बाद ऑस्ट्रेलिया वापसी करता है। यह उनके टेस्ट इतिहास में सिर्फ़ आठवीं जबकि 1970 से सिर्फ़ दूसरी बार हुआ है, जब उन्होंने सीरीज़ के पहले मैच में हार के बाद सीरीज़ को अपने नाम किया हो।
यह 1970 से 31वीं बार था, जब ऑस्ट्रेलिया किसी टेस्ट सीरीज़ का अपना पहला मैच हारा हो। इन 31 में से सिर्फ़ 1997 का इंग्लैंड में हुआ ऐशेज़ ही एकमात्र दूसरा उदाहरण है, जब वे सीरीज़ के विजेता साबित हुए हो। बाक़ी के 29 में से 24 सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को हार मिली, जबकि पांच सीरीज़ ड्रॉ हुए। 1970 से घर पर हुए सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को नौ बार पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा है, इन नौ में से सात सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को हार मिली है।

बल्लेबाज़ों के लिए एक कठिन सीरीज़

यह सीरीज़ हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुई सीरीज़ में बल्लेबाज़ों के लिए सबसे कठिन सीरीज़ साबित हुई। इस सीरीज़ में हर विकेट पर सिर्फ़ 24.32 रन बने, जो कि 1995 के बाद ऑस्ट्रेलिया में हुई 38 सीरीज़ में सबसे कम औसत है।
इस सीरीज़ के दौरान आठ पारियों में 200 से कम रन बने, जिसमें से छह भारत ने ही बनाए। ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले सिर्फ़ दो ही बार ऐसा हुआ है, जब किसी सीरीज़ में आठ या उससे अधिक बार 200 से कम के स्कोर बने हों। 1978-79 के छह मैचों के ऐशेज़ के दौरान 13 बार जबकि 1901-02 के पांच मैचों के ऐशेज़ में नौ बार 200 से कम का स्कोर बना था।

बुमराह अलग ही दुनिया में गेंदबाज़ी कर रहे थे

जसप्रीत बुमराह के लिए यह एक बेहतरीन सीरीज़ गया और उन्होंने 13.06 के बेहतरीन औसत और 28.3 के स्ट्राइक रेट से 32 विकेट लिए। यह किसी भी विदेशी सीरीज़ में किसी भारतीय गेंदबाज़ का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने बिशन सिंह बेदी के 31 विकेट का रिकॉर्ड तोड़ा, जो बेदी ने 1977-78 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान किया था। हालांकि बेदी ने इसके लिए कुल 10 पारियां ली थीं, जबकि बुमराह को यह रिकॉर्ड तोड़ने में सिर्फ़ नौ पारियां लगीं। वह इस सीरीज़ की अंतिम पारी में गेंदबाज़ी के लिए अनुपस्थित थे।
इसके अलावा यह किसी भी भारतीय तेज़ गेंदबाज़ का एक सीरीज़ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है।
इस सीरीज़ में बुमराह को छोड़कर अन्य भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने 34.82 की औसत से 40 विकेट लिए, जहां उनका स्ट्राइक रेट 52.65 था। अगर इसमें स्पिनरों को भी मिला लिया जाए तो इस सीरीज़ में बुमराह को छोड़कर अन्य भारतीय गेंदबाज़ों का औसत 37.08 और स्ट्राइक रेट 58.6 था।
इससे पहले 1985 के तीन मैचों के ट्रांस-तस्मान ट्रॉफ़ी (ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड सीरीज़) के दौरान न्यूज़ीलैंड के रिचर्ड हेडली ने 12.15 की औसत से विकेट लिए थे, जबकि अन्य न्यूज़ीलेंड के गेंदबाज़ों का औसत 45.95 था।
इस पूरे सीरीज़ के दौरान बुमराह ने 151.2 ओवर गेंदबाज़ी की थी, जो भारतीय गेंदबाज़ी का लगभग एक चौथाई (24.4%) था, जबकि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 40% विकेट अपने नाम किए।

पुछल्ले बल्लेबाज़ों का रेस्क्यू ऑपरेशन


इस पूरे सीरीज़ के दौरान दोनों टीमों के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ साझेदारियां जमाने में विफल रहें। सीरीज़ में कुल 92 में से 14 बार ही शीर्ष पांच के बल्लेबाज़ 50 रनों की साझेदारी कर सके, जबकि तीन बार ही यह साझेदारी 100 तक पहुंची।
हालांकि मध्य और निचले क्रम के बल्लेबाज़ों ने इस पूरी सीरीज़ के दौरान अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। पूरी सीरीज़ में आख़िरी पांच विकेटों के बीच 12 पचास रन से अधिक की साझेदारियां हुईं, जिसमें दो शतकीय साझेदारियां भी शामिल हैं। पूरी सीरीज़ के दौरान अंतिम पांच विकेटों ने 1933 रन जोड़े, जो सीरीज़ का 43.84% रन था।

बल्लेबाज़ी में हेड और जायसवाल के नाम रहा सीरीज़

इस सीरीज़ में सिर्फ़ तीन ही बल्लेबाज़ 300 रन तक पहुंच सके- ट्रैविस हेड (448), यशस्वी जायसवाल (391) और स्टीव स्मिथ (314)। वहीं सिर्फ़ हेड का ही औसत 50 से अधिक रहा। 43.44 की औसत के साथ जायसवाल 40 से अधिक के औसत के सिर्फ़ दूसरे बल्लेबाज़ रहें।
इस सीरीज़ में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का दबदबा रहा और दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के 20.79 की औसत के मुक़ाबले उन्होंने 30.75 की औसत से रन बनाए। दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का 20.79 का यह औसत पांच या उससे अधिक मैचों की हुई 175 टेस्ट सीरीज़ में आठवां सबसे कम का औसत है।

ऑस्ट्रेलिया का वर्चस्व

लगभग एक दशक के बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी पर क़ब्ज़ा कर ऑस्ट्रेलिया ने वर्तमान में सभी टेस्ट देशों (अफ़ग़ानिस्तान और ज़िम्बाब्वे को छोड़कर) के ख़िलाफ़ अपना वर्चस्व हासिल कर लिया है और अपनी आख़िरी टेस्ट सीरीज़ में जीत दर्ज की है। इसके अलावा पिछला WTC ख़िताब भी उनके ही नाम है। यह तीसरी बार है, जब ऑस्ट्रेलिया ने सभी टेस्ट देशों के ख़िलाफ़ अपना पिछला सीरीज़ जीता हो। इससे पहले उन्होंने 2004 और 2006 में भी ऐसा किया था। भारत भी 2017 और 2021 में ऐसा कर चुका है।

संपत बंडारूपल्ली ESPNcricinfo में स्टैस्टिशियन हैं