ओस ने भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच चल रहे
वनडे सीरीज़ के दौरान एक अहम भूमिका निभाई है। पहले दो वनडे में भारत ने टॉस हारते हुए पहले बल्लेबाज़ी की। ऐसे में साउथ अफ़्रीका की टीम के बल्लेबाज़ों को निश्चित रूप से ओस का लाभ मिला और भारतीय गेंदबाज़ों को ओस के कारण समस्या का सामना करना पड़ा।
भारत के सहायक कोच
रयान टेन ने कहा, "हम इस कोशिश में हैं कि इस बात को आंकड़ों से साबित किया जाए कि किसी मैच पर ओस का कितना असर पड़ता है। यह 10 से 20 प्रतिशत तक फर्क डाल देता है और इससे पूरे मैच का पूरा रंग बदल जाता है।"
आदर्श रूप से भारत टॉस जीतना चाहेगा, ताकि ओस के असर का प्रभाव उनके पक्ष में आए। टेन डेशकाटे ने इस पर बात करते हुए मज़ाकिया लहजे में कहा, "टॉस हारने के मामले में हम सांख्यिकीय रूप से एक दुर्लभ स्थिति में हैं। (लगातार 20 बार टॉस हारने की संभावना) यह ऐसा है, जैसे दस लाख बार में एक बार हो। अगर हम कल का टॉस भी हार जाते हैं, तो यह सांख्यिकीय रूप से और भी ज़्यादा दुर्लभ रिकॉर्ड बन जाएगा (जैसे बीस लाख में एक बार)। लेकिन मज़ाक़ अपनी जगह है। हमारी ज़िम्मेदारी और तैयारी यही है कि हमारे सामने जो भी परिस्थिति आए, हम उसे मात दें। और वैसे भी, हम कभी न कभी तो टॉस जीतेंगे ही।"
डेशकाटे ने बताया कि टीम ओस के असर से निपटने के लिए पर्दे के पीछे काफ़ी कुछ कर रही है। उन्होंने कहा, "हम हर व्यवहारिक तैयारी कर रहे हैं। गेंदबाज़ गीली गेंद से अभ्यास कर रहे हैं। यह समझने की कोशिश की जा रही है कि गीली आउटफ़ील्ड में सबसे बेहतर लाइन-लेंथ क्या होगी। किस तरह का स्पेल डाला जाए और कौन सी गेंद फ़ायदेमंद रहेगी।"
एक नई जटिलता यह है कि अब वनडे में गेंद का नियम बदल गया है। पहले एक ही छोर से एक नई गेंद इस्तेमाल होती थी। लेकिन इससे बल्लेबाज़ों को बहुत ज़्यादा फ़ायदा मिलने लगा। गेंद देर तक हार्ड रहती थी और अंतिम ओवरों में भी आसानी से हिट की जा सकती थी। ICC ने इसका समाधान निकालते हुए इस जुलाई से नियम बदला है। अब गेंदबाज़ी टीम दो नई गेंदों में से एक को चुनती है, जिसे आख़िरी सोलह ओवर तक इस्तेमाल किया जाता है।
ओस दूसरी पारी की शुरुआत के साथ ही गिरने लगती है। इसका मतलब यह है कि पूरी पारी ओस के बीच खेलनी पड़ती है। अगर मैच दो घंटे जल्दी शुरू हो तो इस असर को कम किया जा सकता है। यह एक समाधान है, लेकिन प्रसारण सहित कई चीज़ों को ध्यान में रखना पड़ता है। इसलिए यह चर्चा ज़्यादा व्यावहारिक नहीं है।"
टेन डेशकाटे
डेशकाटे ने कहा, "तर्क के हिसाब से देखें तो चौतीस ओवर के बाद एक गेंद चुनने का मतलब यही है कि गेंद घिस सके और थोड़ी नरम हो सके। लेकिन ओस होने पर समस्या यह होती है कि एक गेंद और ज़्यादा गीली होती जाती है। अंपायर गेंद बदलने में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन जब आप गेंद बदलते हैं तो आपके पास थोड़ी अधिक हार्ड गेंद आ जाती है, जिससे इस नियम का मकसद कुछ हद तक ख़त्म हो जाता है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस भारतीय टीम की सबसे अच्छी बात यह है कि वे चुनौतियों को समझते हैं और शिक़ायत नहीं करते। उन्होंने कहा, "टीम का पूरा फोकस यही है कि रास्ता निकालना हमारी ज़िम्मेदारी है। यह भी एक चुनौती है और हमें इसका हल ढूंढना पड़ेगा।"
"पहले मैच में हमने सोचा था कि 320का स्कोर सम्मानजनक स्कोर होगा। फिर हमने सोचा कि हमें 350 का कुल स्कोर चाहिए। रायपुर में भी हमने यही माना कि ओस को देखते हुए 360 एक अच्छा स्कोर होगा। बल्लेबाज़ हमेशा और रन बनाना चाहते हैं और बात यही चल रही है कि अधिकतम क्या हासिल किया जा सकता है। जो बात हमने खिलाड़ियों के थोड़ा देर से सेट होने के बारे में की थी, उस पर भी काफ़ी चर्चा हुई है।"
टेन डेशकाटे से पूछा गया कि क्या मैच थोड़ा जल्दी शुरू करने से संतुलन बन सकता है? उन्होंने कहा, "ओस दूसरी पारी की शुरुआत के साथ ही गिरने लगती है। इसका मतलब यह है कि पूरी पारी ओस के बीच खेलनी पड़ती है। अगर मैच दो घंटे जल्दी शुरू हो तो इस असर को कम किया जा सकता है। यह एक समाधान है, लेकिन प्रसारण सहित कई चीज़ों को ध्यान में रखना पड़ता है। इसलिए यह चर्चा ज़्यादा व्यावहारिक नहीं है।"
साउथ अफ़्रीका के इस दौरे पर भारत ने टेस्ट मैचों में ऑलराउंडरों पर भरोसा किया और वनडे में विशेषज्ञ खिलाड़ियों को चुना।
डेशकाटे ने कहा, "यह एक तरह की विसंगति है। अमूमन टेस्ट क्रिकेट में आप ज़्यादा विशेषज्ञ खिलाड़ियों की उम्मीद करते हैं। लेकिन हम अभी चक्र के ऐसे दौर में हैं जहां हमें लगता है कि ऑलराउंडर खिलाड़ी टीम का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आदर्श रूप से टेस्ट में आप ठोस बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ चाहते हैं, लेकिन फ़िलहाल ऑलराउंडर हमारे लिए काफ़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।"
टेस्ट सीरीज़ 0-2 से हारने और अब वनडे सीरीज़ 1-1 की बराबरी पर होने से ड्रेसिंग रूम में जीत की इच्छा बढ़ गई है।
टेन डेशकाटे ने इस पर कहा, "भले ही खिलाड़ी बदल गए हों, लेकिन सभी को पता है कि वे किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हम हमेशा जीतना चाहते हैं। और जब लगातार हार जमा होने लगती है, और प्रदर्शन हमारी उम्मीदों से नीचे होता है, तो स्वाभाविक है कि कल की सीरीज़ जीतने की चाहत थोड़ी और ज़्यादा बढ़ जाती है।"