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रणनीति से जुड़े पांच सवाल जो टीमों के लिए बड़ी नीलामी को बना या बिगाड़ सकते हैं

क्या टीमें अपने पुराने खिलाड़ियों पर बड़ी बोलियां लगा सकती हैं? अनुभव का क्या मोल होगा?

क्या यह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की सबसे रोमांचक नीलामी हो सकती है? खिलाड़ियों को रिटेन करने के बाद 10 टीमों के पास अलग-अलग राशि बची हुई है। उनके पास एक मज़बूत टीम बनाने की पूरी नींव भी तैयार है। इस बार तो राइट-टू-मैच कार्ड भी उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते पहले टीमों ने पांच खिलाड़ियों को बरक़रार रखा था। साथ ही उच्च स्तरीय विदेशी खिलाड़ियों की भरमार भी नहीं है। इसका अर्थ यह होगा कि इस बार सभी की निगाहें भारतीय खिलाड़ियों पर होगी। मार्की सेट छोटा है और जिन खिलाड़ियों के लिए टीमें तरस रही है, वह नीलामी में देरी से आएंगे। बेशक़ आईपीएल 2022 की नीलामी टीमों की रणनीति और तैयारी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर आएगी। बड़ी बोलियां लगाने से पहले नीचे दिए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर टीमों को ज़रूर ध्यान देना होगा।
क्या अपनी टीम की नींव (कोर) बनाने के लिए टीमों को ख़ुले दिन से पैसा ख़र्च करना चाहिए?
चेन्नई सुपर किंग्स, मुंबई इंडियंस, कोलकाता नाइट राइडर्स और दिल्ली कैपिटल्स ने सर्वाधिक चार खिलाड़ियों को रिटेन किया है। राइट टू मैच कार्ड के ना होने से वे भी चैन की सांस नहीं ले सकते हैं। अब उन्हें अपनी पसंद के खिलाड़ी को दोबारा अपनी टीम में जोड़ने के लिए मोटे पैसे ख़र्च करने होंगे।
उदाहरणस्वरूप मुंबई को ही ले लीजिए, वह क्विंटन डिकॉक और इशान किशन की विकेटकीपर-बल्लेबाज़ों की जोड़ी को दोबारा ख़रीदना चाहेगी। जहां डिकॉक मार्की सूची का हिस्सा हैं वहीं किशन चौथे सेट में 32वें स्थान पर सूचीबद्ध हैं। अच्छा निर्णय यह होगा अगर मुंबई इन दोनों में से किसी एक खिलाड़ी को अपना लक्ष्य बनाए। लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा और उन्हें बड़े पैसे चुकाने होंगे। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो की माने तो किशन इस नीलामी के सबसे महंगे खिलाड़ी बन सकते हैं। हालांकि अगर मुंबई डिकॉक को जाने देती है ताकि किशन के आने तक उनके पास अच्छी रक़म बची रहे, तो यह बहुत बड़ा दांव साबित हो सकता है। वह इसलिए कि अगर उस समय किसी अन्य टीम के पास मुंबई से अधिक पैसे हो, तो मुंबई को अपने दोनों सुपरस्टार खिलाड़ियों से हाथ धोना पड़ सकता है।
उसी तरह पिछले सीज़न से कैपिटल्स के चार प्रमुख खिलाड़ी शिखर धवन, रविचंद्रन अश्विन, श्रेयस अय्यर और कगिसो रबाडा मार्की सूची का हिस्सा हैं वहीं आवेश ख़ान 10वें सेट में शामिल किए गए हैं। रिटेन किए गए खिलाड़ियों के अलावा इन पांचों धुरंधरों ने दिल्ली के लिए पिछले साल शानदार प्रदर्शन किया था। मुंबई (48 करोड़ रुपये) की तरह दिल्ली के पास (47.5 करोड़ रुपये) भी अधिक राशि बची नहीं है। ये दोनों टीमें अपने किसी एक खिलाड़ी के लिए ज़ोरों-शोरों से बोलियां लगा सकती हैं, उन्हें समझना होगा कि अन्य टीमें भी उनके पीछे भागेंगी जिससे दाम बढ़ेगा। साथ ही विपक्षी टीमें भी जानबूझकर इन खिलाड़ियों का दाम बढ़ाएगी ताकि उनकी कुल राशि कम होती चली जाए। पिछली नीलामियों में प्रतिद्वंद्वी टीमों के पैटर्न को समझना और पहचानना, और पहली पसंद के खिलाड़ी के ना मिलने पर बैक-अप विकल्प तैयार रखने से टीमें हमेशा अपने विपक्ष से दो क़दम आगे रहेंगी।
क्या एक भारी पर्स होना फ़ायदेमंद होता है?
जी नहीं। अब पंजाब किंग्स और सनराइज़र्स हैदराबाद को ही ले लीजिए। वह क्रमशः 72 करोड़ और 68 करोड़ रुपयों के साथ इस नीलामी में उतरेंगे। पंजाब ने मयंक अग्रवाल और अर्शदीप सिंह के रूप में केवल दो खिलाड़ियों को रिटेन किया हैं और उन्हें लगभग शुरू से ही अपनी टीम दोबारा बनानी होगी। जबकि वह शुरुआती सेट में लगभग सभी खिलाड़ियों को ख़रीदने की जिज्ञासा दिखा सकती हैं, उन पर इस बात का ख़तरा रहेगा कि वह एक या दो खिलाड़ियों पर अपनी ज़्यादातर राशि ना लुटा दें। सनराइज़र्स के लिए राशिद ख़ान जैसे मैच जिताऊ खिलाड़ी को ना रिटेन कर पाना एक बहुत बड़ा झटका था। वह जल्द से जल्द उनका रिप्लेसमेंट तलाशना चाहेंगे लेकिन अगर मान लीजिए कि उन्हें युज़वेंद्र चहल पर बोली लगानी है, तो उन्हें छठे सेट तक का इंतज़ार करना होगा और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि चहल उनके हाथ लगेंगे क्योंकि अन्य टीमें भी उनपर बोली लगाना चाहेंगी।
भले ही सनराइज़र्स ने तीन खिलाड़ियों को रिटेन किया है, उनमें से दो अनकैप्ड हैं। पंजाब की तरह उन्हें भी शुरुआत में बड़े नामों को ख़रीदना पड़ेगा जिससे चहल के आने तक उनकी पर्स छोटी होती चले जाएगी। ऐसे में अश्विन को टीम का प्रमुख स्पिनर बनाना एक विकल्प हो सकता है। वह केन विलियमसन के लिए बैक-अप कप्तान भी बन सकते हैं।
बजट को कैसे ख़र्च किया जाए?
बड़ी नीलामी में टीमों के सामने भूमिकाओं और पसंदीदा खिलाड़ियों के बीच अपने बजट को बांटने की अनोखी चुनौती होती है। नीलाम होने वाली खिलाड़ियों की सूची को ग़ौर से देखें तो सर्वाधिक मूल्य विकेटकीपर-बल्लेबाज़ों, भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों और स्पिनरों पर लग सकता है।
सात टीमों को एक भारतीय लेग स्पिनर की आवश्यकता है लेकिन शुरुआती 55 नामों में केवल चार ही ऐसे खिलाड़ी मौजूद हैं। जो टीमें इन चार में से किसी एक को अपनी टीम में शामिल करने से चूक जाती हैं, उनके लिए इस कैलिबर का लेग स्पिनर ख़रीदना संघर्षपूर्ण होगा। एक योजना यह हो सकती है कि टीमें सारी भूमिकाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों पर अपने बजट का मोटा हिस्सा शुरुआत में ही ख़र्च कर दें और कम दामों में बैक-अप खिलाड़ियों को ख़रीदें। ऐसी स्थिति में प्लेयर स्काउटिंग अहम भूमिका निभाती है। अगर टीमें अहम कौशल वाले खिलाड़ियों को तराशती है जो कम से कम पैसों में ख़रीदें जा सकते हैं, तो वह शुरुआत में भारी रक़म ख़र्च कर सकती हैं। टीमों को शुरुआती सेटों में से 11 से 15 खिलाड़ियों को ख़रीदने पर ज़ोर देना होगा। उच्च स्तर के टॉप 5 खिलाड़ियों और निचले पांच खिलाड़ियों के दाम में दो से तीन गुना अंतर हो सकता है। ऐसे में उम्मीद कीजिए कि टीमें अपने शुरुआती 11 खिलाड़ियों पर 90 प्रतिशत पैसे ख़र्च करेंगी। अगर सभी टीमें इसी विचारधारा के साथ नीलामी में उतरती है तो इसमें सबसे ज़्यादा फ़ायदा खिलाड़ियों का होगा और उन्हें और पैसे मिलेंगे।
स्थापित भारतीय खिलाड़ी कितने मूल्यवान हैं?
सीएसके, केकेआर, एमई और डीसी जैसी टीमों ने पता लगा लिया है कि आईपीएल में सफल होने के लिए भारतीय खिलाड़ियों की कोर (नींव) कितनी आवश्यक है। लेकिन क्या सभी भूमिकाओं के लिए पर्याप्त भारतीय खिलाड़ी उपलब्ध हैं? फ़िलहाल के लिए तो ऐसा नहीं है। टीमें ज़्यादा हैं और खिलाड़ी कम। ऐसे में टीमों को मोटे पैसे ख़र्च करने होंगे अगर उन्हें स्थापित भारतीय खिलाड़ी अपनी टीम में चाहिए। बड़ी बोलियां नहीं लगाने के जाने जाती सीएसके और एमआई को भी इस बार बड़ी बोलियां लगाने पर मजबूर होना पड़ सकता है। दीपक चाहर, शार्दुल ठाकुर, प्रसिद्ध कृष्णा, राहुल त्रिपाठी और नितीश राणा को भारी रक़म मिल सकती हैं। इसी तरह नीलामी में भारतीय स्पिनरों और विकेटकीपर-बल्लेबाज़ों की कमी होने के कारण उनके दाम भी बढ़ सकते हैं। भविष्य पर नज़र रखते हुए टीमें युवा भारतीय खिलाड़ियों पर निवेश कर सकती हैं जो कम दामों में ख़रीदे जा सकते हैं। अगर भारतीय खिलाड़ियों को उम्मीद से अधिक पैसे मिलते हैं, तो आश्चर्य बिल्कुल नहीं होगा।
क्या सुरेश रैना, ड्वेन ब्रावो और भुवनेश्वकर कुमार अब भी योग्य हैं?
इन तीन खिलाड़ियों ने न केवल मैच बल्कि अपनी टीमों को अतीत में आईपीएल टूर्नामेंट जिताने में अहम योगदान दिया है। हालांकि अमित मिश्रा, पीयुष चावला, अंबाती रायुडू, रॉबिन उथप्पा और इशांत शर्मा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की तरह यह तीन भी उम्रदराज़ हैं और हालिया समय में फ़ॉर्म और फ़िटनेस से जूझ रहे हैं। इनमें से ज़्यादातर खिलाड़ियों ने अपनी बेस प्राइस को दो करोड़ रुपये रखा है। लेकिन क्या वह इस राशि के लिए योग्य हैं? क्या उनका अनुभव इतना मूल्यवान है?
यह एक कठिन प्रश्न हैं लेकिन सीएसके ने पहले भी दिखाया है कि अनुभव आपको मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाल सकता है। जहां पिछले सीज़न फ़ाफ़ डुप्लेसी उनके सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक रहे थे, वहीं उथप्पा ने सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल में महत्वपूर्ण पारियां खेली थी। उथप्पा को तीन करोड़ रुपयों में राजस्थान रॉयल्स से ट्रेड किया गया था और डुप्लेसी केवल एक करोड़ साठ लाख रुपयों में ख़रीदे गए थे। टीमें इन उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती हैं।

अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है