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कुलदीप: मैं बस अपने स्ट्रेंथ पर खेलना चाहता हूं

प्लेयर ऑफ़ द मैच प्रदर्शन के बाद भी अगले मैच के एकादश में उनकी जगह पक्की नहीं

लगभग छह साल पहले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने एक रणनीतिक फ़ैसला लिया था कि वनडे क्रिकेट में मिडिल ओवरों में विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों का होना जीतने के लिया ज़रूरी हैं। ऐसे में आप कह सकते हैं कि कुलदीप यादव और युज़वेंद्र चहल दोनों संयोग से सही समय पर सही खिलाड़ी साबित हुए थे। भारत को उनके साथ खेलने से लगभग 2-3 साल तक अच्छी सफलता मिली। लेकिन जैसे-जैसे बल्लेबाज़ दोनों रिस्ट-स्पिनर को खेलने के आदी होते गए, उन्होंने उन्हें आसानी से खेलना शुरू कर दिया।

अगर दोनों गेंदबाज़ों ने अपनी शुरुआती तीव्रता खो दी, तो इसकी गाज कुलदीप पर कहीं ज़्यादा पड़ी। इसका सीधा असर आईपीएल में भी पड़ता दिखा, जहां 2020 सीज़न में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए कुलदीप ने पांच मैचों में मात्र एक विकेट लिया और अंतिम एकादश में प्रवेश के लिए जूझते दिखे।



बाहर से देखते हुए ऐसा लग रहा था कि कुलदीप के लिए वापसी के सारे रास्ते बंद हो रहे थे। हालांकि वास्तव में ऐसा नहीं था। भारतीय टीम को क़रीब से देखने वाले लोगों का कहना है कि टीम प्रबंधन के सदस्य लगातार उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर काम कर रहे थे और साथ ही उनके कौशल में बेहतरी करने के उपाय सुझा रहे थे। कुलदीप का ख़ुद का मानना रहा है कि उन्होंने डर को दरकिनार करना सीखा है और वह अपने एक्शन में भी अधिक तीव्रता लाने पर काम करते आ रहे हैं। यह करने से उनकी गेंद में ड्रिफ़्ट और डिप दोनों बढ़ने लगी है।

कुलदीप की गेंदबाज़ी के सारे गुण गुरुवार को ईडन गार्डंस में दूसरे वनडे के 17वें ओवर में साफ़ नज़र आई, जब उन्हें गेंद थमाई गई। कुसल मेंडिस को गुगली से छकाकर उन्होंने श्रीलंका के लिए दूसरे विकेट की शतकीय साझेदारी को तोड़ा। फिर भारत के लिए हालिया समय में परेशानी का सबब बन बैठे कप्तान दसून शानका को पैरों के पीछे स्वीप करते हुए बोल्ड किया। चरिथ असलंका एक और गुगली की लंबाई ठीक से नहीं समझ सके और एक रिटर्न कैच थमा बैठे। ख़ास तौर पर कुलदीप की वजह से श्रीलंका 102 रन पर 1 विकेट से 126 रन पर 6 विकेट के स्कोर पर खिसक गया और वहां से वापसी का रास्ता लगभग बंद हो गया था।

मैच के बाद 'बीसीसीआई टीवी' से बात करते हुए कुलदीप ने कहा, "मैं केवल गुड लेंथ पर गेंद को डालने की सोच रहा था। मैंने ईडन में बहुत खेला है और यहां पिच स्पिनर को बहुत मदद नहीं देती। आप सटीक लंबाई पर गेंद डालने पर बल्लेबाज़ को रूम मिलने से रोक सकते हैं। इस बुनियाद पर मैं फिर अपनी विविधता ला सकता हूं, जिसमें गेंद को बाहर निकालना या गुगली शामिल है। मैं एक आक्रामक रिदम के साथ गेंदबाज़ी कर रहा हूं और गति में परिवर्तन के चलते बल्लेबाज़ समझ नहीं पाते, उन्हें आगे खेलना है या पीछे।"

उन्होंने आगे कहा, "मेरा माइंडसेट बदल गया है। पहले मैं सोचता था कि मुझे अच्छा प्रदर्शन देना है और विकेट लेने हैं। अब मुझे लगता है कि मुझे अपनी ताक़त के अनुसार गेंदबाज़ी करनी है और ख़राब गेंदें नहीं डालनी है। अगर रिस्ट-स्पिनर सही जगह पर गेंद डालता रहेगा, तो विकेट मिलेंगे ही।"

इस मैच में कुलदीप शायद भारत के लिए रिस्ट-स्पिनर के रूप में पहली पसंद नहीं होते। चहल को गुवाहाटी मे पहले वनडे के दौरान कंधे की चोट लग गई थी, इस कारण कुलदीप को कोलकाता में मौक़ा मिला था। जब चहल फिर से फ़िट होते हैं, तो भारतीय प्रबंधन को टीम संतुलन को ध्यान में रखकर दोनों में एक को चुनना पड़ सकता है।



हालांकि मैच के बाद कुलदीप का कहना था, "मैं चहल का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मैं इस मैच में सीधा टेस्ट सीरीज़ से आया था, लेकिन वह [चहल] टी20 और पिछला वनडे खेले थे। गेंदबाज़ी को लेकर उनके दिए गए सुझाव बहुत असरदार थे। यह बदक़िस्मती है कि हम आजकल साथ नहीं खेल पा रहे, लेकिन उनकी सलाह मेरे हमेशा काम आती है।"

कुलदीप का तीसरे वनडे के एकादश में शामिल होना तय नहीं है। पिछले साल उन्होंने साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अक्तूबर में एक वनडे में 18 रन देकर चार विकेट लिए थे, लेकिन उसके बाद दिसंबर में बांग्लादेश दौरे में ही टीम का हिस्सा बन पाए। वहां चटगांव में खेले गए पहले टेस्ट में प्लेयर ऑफ़ द मैच बनने के बावजूद उन्हें मीरपुर के दूसरे टेस्ट में टीम से बाहर बैठना पड़ा था।

तिरुवनंतपुरम में अगर आपको कुलदीप यादव की गेंदबाज़ी एक बार फिर देखने को मिले, तो सुकून से बैठकर इसका मज़ा लीजिए। क्रिकेट में शायद ही अच्छे फ़ॉर्म में चल रहे रिस्ट-स्पिनर को गेंदबाज़ी करते देखने से बेहतर दृश्य होते हैं।

श्रेष्ठ शाह ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के प्रमुख देबायन सेन ने किया है