मिताली राज ने टीम में खेल मनोवैज्ञानिक का स्वागत किया
भारतीय कप्तान ने कहा, 'वे दबाव को समझने और उससे निपटने में आपकी मदद करते हैं'
श्रुति रवींद्रनाथ
08-Feb-2022
भारतीय वनडे टीम की कप्तान मिताली राज ने एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोच के साथ यात्रा करने के महत्व पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा है कि ख़ासकर महामारी के दौरान जब क्वारंटीन और बायो-बबल खेल का हिस्सा बन चुके हैं, तब एक ऐसे व्यक्ति का टीम में होना बहुत ही आवश्यक है।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को पता चला है कि मुंबई की खेल मनोवैज्ञानिक डॉ. मुग्धा बावरे, जो पहले मुंबई क्रिकेट असोसिएशन और बंगाल रणजी टीम के साथ काम कर चुकी हैं, वर्तमान में महिला टीम के साथ न्यूज़ीलैंड में हैं। भारत 4 मार्च से शुरू होने वाले वनडे विश्व कप से पहले एक टी20 और पांच वनडे मैच खेलने के लिए तैयार है, जिसका अर्थ है कि टीम को घर से लगभग दो महीने दूर रहना पड़ेगा। मिताली को लगता है कि जहां हर खिलाड़ी के पास खेल के दबावों से निपटने के अपने तरीक़े होते हैं, वहीं एक पेशेवर व्यक्ति का टीम में होना, खिलाड़ियों को व्यक्तिगत रूप से दबाव से निपटने में मदद कर सकता है।
राज ने टी20 मैच से पहले कहा, "मुझे लगता है कि हर व्यक्ति का दबाव झेलने, दबाव से बाहर आने और अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने का अपना एक अलग तरीक़ा होता है। इस समय टीम के साथ यात्रा करने वाले एक खेल मनोवैज्ञानिक के होने से टीम को काफ़ी लाभ मिल रहा है। वह खिलाड़ियों के साथ अकेले में बात करती हैं ताकि उन्हें यह समझने के लिए और अधिक समय मिल सके कि वे दबाव से कैसे निपटें और ऐसे तरीक़े खोजें जिससे वे अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेल सकें।"
"आज के समय में यह और भी महत्वपूर्ण और मददगार है कि लंबे समय तक क्वारंटीन और बायो-बबल वाली परिस्थिति में एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर टीम के साथ यात्रा करें। इससे पहले कि हम सीधे विश्व कप में उतरें, हमारे पास एक सीरीज़ है और हम लगभग दो महीने तक यहां रहने वाले हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ जब हम एकांत में बात करते हैं तो हम कई चीज़ों को बहुत अलग परिप्रेक्ष्य में देखते हैं और यह स्पष्ट रूप से आपको अपने लिए तरीक़े खोजने के लिए और साथ ही स्वयं को समझने में मदद करता है।"
बायो-बबल में जब आप होते हैं तो कार्यभार प्रबंधन की भी बात आती है, लेकिन मिताली को लगता है कि विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट से पहले न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले जाने वाले छह मैच बहुत ज़रूरी है।
पिछले साल मार्च में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ के बाद से, उन्होंने केवल दो और सीरीज़ खेली हैं - जून-जुलाई में भारतीय टीम इंग्लैंड में थी और फिर टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। हालांकि इन दौरों में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था।
"हम वर्कलोड मैनेजमेंट पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। हम यहां दो महीने के लिए रहने वाले हैं लेकिन उससे भी ज़्यादा यह देखना ज़रूरी है कि इस दौरान हम कितने मैच खेलने वाले हैं। हमारे पास दो अतिरिक्त सीम गेंदबाज़ हैं। उसी लिए हम उन्हें भी मौक़ा देने का प्रयास करेंगे। हालांकि एक बात यह भी है कि हमारे गेंदबाज़ो के यहां की परिस्थितियों के अनुकूल होने में कम से कम 2-3 मैचौं में गेंदबाज़ी करने की आवश्यकता है।"
मिताली उस भारतीय टीम का भी हिस्सा थी जिसने साल 2000 में विश्व कप के लिए न्यूज़ीलैंड की यात्रा की थी। अपने पहले विश्व कप के अनुभव से लेकर 22 साल बाद उसी देश में फिर से विश्व कप खेलने पर कप्तान मिताली का कहना है कि टीम उस वक़्त की तुलना में ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। उस साल भारत विश्व कप के सेमीफ़ाइनल तक पहुंचा था लेकिन उन्हें मेज़बानों के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
"मैंने अपना पहला विश्व कप 2000 में न्यूजीलैंड में खेला था। मुझे याद है जब हमने लिंकन विश्वविद्यालय के क्राइस्टचर्च में एक सत्र खेला था, वहीं हमने विश्व कप भी खेला था। मैं पूरा विश्व कप नहीं खेल पाई थी क्योंकि मुझे टायफॉइड हो गया था लेकिन इस बार हम उस संस्करण की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक हैं। हम सेमीफ़ाइनल में बाहर हो गए .. लेकिन हां टीम ने पिछले साल अच्छा प्रदर्शन किया है, हम भले ही द्विपक्षीय मुक़ाबले हार गए लेकिन टीम ने जिस तरीक़े का प्रदर्शन किया और उन्हें जो अनुभव प्राप्त हुआ, वह बहुत अहम था।"
श्रुति रवींद्रनाथ ESPNcricinfo की सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।