बीसीसीआई के संविधान से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
गुरुवार को होगी सुनवाई, पदाधिकारियों का कार्यकाल विस्तार प्रमुख मुद्दा
नागराज गोलापुड़ी
21-Jul-2022

कोर्ट के निर्णय से सौरव गांगुली और जय शाह का कार्यकाल प्रभावित हो सकता है • Getty Images
बीसीसीआई के संविधान में संशोधन को लेकर बोर्ड द्वारा दायर की गई याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। इस याचिका में आरएम लोढ़ा कमेटी द्वारा दिए गए कुछ सुझावों को वापस लेने की सिफ़ारिश की गई है, जिसे 2018 में कोर्ट के द्वारा ही अनुमोदित किया गया था। इस याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ करेगी।
बीसीसीआई ने दिसंबर 2019 में यह याचिका डाली थी, अप्रैल 2020 में इसी संबंध में एक और ताज़ा अप्लीकेशन लगाया लेकिन जब दो साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई तो पिछले सप्ताह इस पर तत्काल सुनवाई के लिए बीसीसीआई ने फिर से अपील की थी।
बीसीसीआई ने अपनी इस याचिका में पदाधिकारियों के कार्यकाल, योग्यता और शक्ति संबंधी मानकों में छूट देने की अपील की है। इसके अलावा अगर बीसीसीआई चाहता है कि अगर वह अपने संविधान में बदलाव करे तो कोर्ट ऐसा करने से उन्हें ना रोके।
दरअसल बीसीसीआई अधिकारियों के कूलिंग पीरियड के समय को कम कराना चाहता है। वर्तमान नियमों के अनुसार बीसीसीआई या किसी राज्य क्रिकेट संघ में लगातार दो बार (6 साल) सेवा दे चुके पदाधिकारी को अगला कोई पद पाने के लिए कम से कम तीन साल का इंतज़ार करना होगा। यही तीन साल का समय कूलिंग पीरियड कहलाता है। कूलिंग पीरियड के दौरान कोई भी व्यक्ति बीसीसीआई या अन्य किसी राज्य क्रिकेट संघ में कोई भी पद नहीं संभाल सकता है।
बीसीसीआई की नज़र इस साल नवंबर में खाली हो रहे आईसीसी चेयरमैन पद पर है। वह चाहता है कि बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली या बोर्ड सचिव जय शाह में से कोई इस पद पर बैठे, जबकि कोई एक 2025 तक बीसीसीआई के प्रमुख के पद पर बना रहे।
ऐसा बीसीसीआई के संविधान में संशोधन होने पर ही संभव है। अगर यह संशोधन नहीं होता है तो गांगुली या शाह में से कोई आईसीसी चैयरमैन तो बन जाएगा, लेकिन बीसीसीआई की गद्दी उन्हें खाली करनी पड़ेगी।
गांगुली की अगुवाई वाला बोर्ड चाहता है कि छह साल वाला नियम तो रहे लेकिन यह छह साल किसी एक ही बोर्ड में रहने पर ही हो। अगर कोई पदाधिकारी तीन साल किसी राज्य क्रिकेट बोर्ड में काम करके बीसीसीआई में आता है तो बीसीसीआई में उसको अगले छह साल तक पदाधिकारी बने रहने की अनुमति रहनी चाहिए, ना कि सिर्फ़ तीन साल तक क्योंकि पहले तीन साल तो उन्होंने किसी राज्य क्रिकेट संघ में बिताया है ना कि बीसीसीआई में।
गांगुली ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल (सीएबी) में सचिव का पद 2014 में संभाला था। इसके बाद वह 2015 और फिर 2019 में सीएबी के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद वह बीसीसीआई में आ गए। इसी तरह शाह भी 2014 से ही पहले गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन और फिर बीसीसीआई से जुड़े हुए हैं।
नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर दया सागर ने किया है।