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क्या रोहित शर्मा मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी करेंगे?

इस दौरे पर भारतीय टीम प्रबंधन ने कुछ कठोर फ़ैसले लिए हैं, लेकिन यह सबसे कठोर फ़ैसला होगा

Rohit Sharma walked in at 4, Prime Minister's XI vs Indians, Canberra, December 1, 2024

रोहित शर्मा ने कैनबरा के अभ्यास मैच में नंबर चार पर बल्लेबाज़ी की थी  •  AFP/Getty Images

रोहित शर्मा, मध्य क्रम के बल्लेबाज़, राउंड टू। लेकिन पहले राउंड वन की ओर चलते हैं। 2018-19 का ऑस्ट्रेलिया दौरा, जहां रोहित बेहतरीन बल्लेबाज़ी कर रहे थे। चाहे तेज़ गेंदबाज़ हों या नेथन लायन, रोहित सब पर आक्रमण कर रहे थे।
लेकिन तब रोहित टेस्ट मैचों में सेट होने के बाद आउट हो जाते थे। उस सीरीज़ के तीसरे मैच में रोहित ने आख़िरी बार बल्लेबाज़ी की और 63 रन बनाकर नाबाद लौटे, जो कि ऑस्ट्रेलिया में अभी भी उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। इसके बाद वह अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए भारत वापस लौट गए।
यह आख़िरी बार था, जब रोहित ने टेस्ट में मध्य क्रम के बल्लेबाज़ के रूप में बल्लेबाज़ी की थी। लेकिन अब ऐसा फिर से हो सकता है।
भारतीय दल सोमवार दोपहर में ऐडिलेड पहुंचा और उनके पास अपना एकादश चुनने के लिए तीन दिन का अभ्यास सत्र होगा। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह होगा कि क्या केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल की सलामी जोड़ी को तोड़ा जाए? पर्थ में 201 रन की साझेदारी के बाद शायद ही कोई इस जोड़ी को तोड़ने के बारे में सोचता, लेकिन चूंकि कप्तान ख़ुद टीम में वापिस आ रहे हैं, जिन्होंने पिछले पांच साल में सिर्फ़ ओपनिंग ही की है, इसलिए यह सवाल उठता है।
रोहित के टीम में शामिल होने से टीम निश्चित रूप से मज़बूत हुई है। इसकी झलक कैनबरा में हुए अभ्यास मैच में दिखी। वह फिर से पिता बने हैं, जो कि जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। फ़ील्डिंग के दौरान वह अपने साथी खिलाड़ियों से पुरानी ही तरह से मज़ाक करते दिखे।
रोहित ने पिछले पांच सालों में टेस्ट क्रिकेट में बस ओपनिंग ही की है, लेकिन इस दौरे पर ख़ासकर इस टेस्ट में वह अपने आपको नीचे खिला सकते हैं ताकि बेहतर विकल्पों को ऊपर मौक़ा मिल सके
रोहित इस तरह के इंसान है कि अगर उन्हें लगता है कि दूसरे ओपनरों के पारी शुरू करने में टीम की भलाई है, तो वह निश्चित रूप से इसके लिए रास्ता बनाएंगे। ऐसा उन्होंने कैनबरा में हुए अभ्यास मैच के दौरान भी किया।
इस अभ्यास मैच से यह संकेत मिले कि रोहित नंबर पांच पर आ सकते हैं, जो कि उनके लिए भी अच्छा होगा। रोहित का फ़ॉर्म अच्छा नहीं चल रहा है और वह ऑस्ट्रेलिया हाल ही में पहुंचे हैं। ऐसी परिस्थितियों में वह नए पिंक बॉल के सामने संघर्ष करते हुए दिख सकते हैं। पिंक बॉल 30-40 ओवरों में सॉफ़्ट हो जाता है, जहां पर रोहित अपने शॉट्स का रेंज दिखा सकते हैं।
भारत के पास ऐसे उदाहरण भी हैं, जब कप्तानों ने टीम के हित में त्याग किया हो। 2003 के मेलबर्न टेस्ट के दौरान तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली जल्दी विकेट गिरने पर नंबर पांच की बजाय नंबर चार पर आए थे, ताकि सचिन तेंदुलकर को और समय मिल सके।
पिंक बॉल के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम ऐडिलेड में वापसी कर सकती है, कम से कम पर्थ से बेहतर चुनौती तो दे ही सकती है। इस दौरे पर अभी तक अच्छी लय में दिखे राहुल और जायसवाल ने दिखाया है कि ऐसे चुनौतियों के अवसर पर वे अपने आपको एक लेवल बेहतर कर सकते हैं।
हालांकि अभी तक बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी सीरीज़ में सिर्फ़ एक मैच हुए हैं, लेकिन भारत ने अभी तक कठोर फ़ैसले लिए हैं। फिर चाहे वह एक साथ दो नए खिलाड़ियों को मौक़ा देना हो या फिर अपने दो अनुभवी स्पिनरों को एकादश से बाहर रखना हो। ऐसा जोखिम उन्होंने इसलिए लिया ताकि टीम जीत के अधिक क़रीब हो, जिसका उन्हें ईनाम भी मिला।
नीतीश कुमार रेड्डी और हर्षित राणा को पता थी कि उनकी भूमिका क्या है और उन्होंने इसे बख़ूबी निभाया। हालिया समय में भारतीय टीम ने दिखाया भी है कि वे लचीले होकर अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर भी निकल सकते हैं। अब कंफ़र्ट ज़ोन से निकलने की बारी ख़ुद कप्तान की है।

अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं