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आख़िर बल्लेबाज़ों को अक्षर की गेंद समझ क्यों नहीं आती है?

भारत के गेंदबाज़ी कोच के अनुसार अक्षर की गेंद पर बल्लेबाज़ों को पता नहीं होता है कि वह उसे खेले या नहीं

चटगांव टेस्ट से पहले अक्षर पटेल ने अपने 35 विकेटों में से 28 विकेट दाहिने हाथ के बल्लेबाजों का लिया था। उन 28 विकेटों में से छह विकेट ऐसे थे जिस पर बल्लेबाज़ आक्रामक शॉट या स्वीप शॉट लगाना चाह रहे थे। इसके अलावा उन 28 विकेटों में से आठ विकेट उन्होंने बाहरी किनारा लगने के कारण प्राप्त किया था। साथ ही बाक़ी के 14 विकेट उन्हें भीतरी किनारा लगने के कारण मिला था।
यह कहना न तो अपमानजनक था और न ही ग़लत है कि अक्षर को इतनी सफलता इसलिए मिलती है क्योंकि उनकी गेंद में घुमाव कम होती है। हिमानीश गंजू ने हॉकआई डेटा के द्वारा यह पता लगाया कि राउंड आर्म गेंदबाज़ी करते हुए उनके बोलिंग करने वाले कंधे के द्वारा जो कोण तैयार होता है, उससे गेंद ज़्यादा टर्न होने की बजाय बस सीधी लाइन में चली जाती है। इसी कारणवश बल्लेबाज़ों को गेंद की लाइन के बाहर जाकर खेलना पड़ता है।
इस बात पर भी गौर करना ज़रूरी है कि अक्षर को ज़्यादातर विकेट उन पिचों पर मिलती है, जहां गेंद बहुत अधिक घूमती है। ऐसे में अक्षर पटेल के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ यह सोचते हैं कि गेंद बहुत ज़्यादा घूमने वाली है और साथ में इसमें उछाल भी रहने वाला है, जबकि ऐसा कुछ होता नहीं है।
अक्सर बल्लेबाज़ लगातार किसी भी गेंदबाज़ के वीडियो को देखते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि उस गेंदबाज़ को विकेट कैसे मिल रही है। हालांकि एक बल्लेबाज़ के तौर पर आप क्या करेंगे, जब किसी गेंदबाज़ (अक्षर) को सीधी गेंदों पर विकेट मिल रही है? तब शायद बल्लेबाज़ अंदर आने वाली या सीधी रहने वाली गेंदों पर ज़्यादा सतर्क हो सकते हैं। बल्लेबाज़ कोशिश करते हैं कि गेंद की कोण के हिसाब से बल्लेबाज़ी की जाए। कुल मिला कर ऐसे गेंदबाज़ को एक बाएं हाथ के मध्यम तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर खेला जाता है।
हालांकि एक बात यह भी है कि इस तरह से कोई बल्लेबाज़ एक कम टर्न होने वाली पिच पर आराम से बल्लेबाज़ी कर सकता है। हालांकि कम टर्न होने वाली पिच पर अक्षर ने जो चार विकेट लिए हैं, वहां उन्हें सभी विकेट बाहरी किनारे के तौर पर मिली है। हालांकि यासिर अली का जो विकेट अक्षर को मिला, उस गेंद को वह ज़्यादा टर्न कराने में सफल रहे थे।
गंजू ने जो रिसर्च किया है, उसमें यह भी दिखा है कि ज़्यादातर बार जब ऐसी पिचों पर अक्षर को विकेट मिला है, वह गेंद को चार डिग्री के आस-पास गेंद को टर्न कराने में सफल रहे हैं। ऐसे में यासिर ने जब अक्षर की गेंद को एंगल के सहारे खेलने के प्रयास किया तो उसमें उनकी कोई ग़लती नहीं थी, विकेट का पूरा श्रेय अक्षर की कला को जाता है।
यह पहली बार नहीं है जब अक्षर की एक राउंडआर्म गेंद ने बड़ा टर्न लिया है। अक्सर सीमित ओवरों के क्रिकेट में अक्षर लो-आर्म गेंदबाज़ी कर के गेंद को टर्न कराने में क़ामयाब हो जाते हैं।
गेंद को डिप कराने के लिए अक्षर अक्सर तेज़ गति से गेंदबाज़ी करते हैं। इसी कारण से बल्लेबाज़ इतनी आसानी से उनके ख़िलाफ़ चहमकदमी नहीं कर पाते हैं। अक्षर काफ़ी कम ही अपनी लेंथ से भटकते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी ताक़तों में से एक है। अक्षर के लिए विकेट टू विकेट गेंदबाज़ी करना हमेशा कारगर रहता है।
आज भी जब भारत को दूसरी नई गेंद मिली तो उससे उन्होंने वही किया। मुशफ़िकुर रहीम उनकी लाइन और लेंथ को परखते हुए क्रीज़ के अंदर ही खड़े रहे। हालांकि वह गेंद बाहर भी निकली और रहीम उसको एंगल के हिसाब से खेल रहे थे और यहीं उनसे ग़लती हो गई।
भारत के गेंदबाज़ी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने कहा, "अक्षर के साथ सबसे अलग बात यह है कि उनके ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ के लिए निकल कर खेलना आसान नहीं होता है। साथ ही वह जिस कोण से गेंदबाज़ी करते हैं, वह हमेशा मुश्किलें खड़ी करती हैं। जिस तरह से वह गेंद को रिलीज़ करते हैं, उससे बल्लेबाज के लिए यह तय करना बहुत मुश्किल होता है कि उस गेंद को छोड़ना है या खेलना है। विशेष रूप से ऐसे हालात में जहां गेंद थोड़ी टर्न ले रही हो, आपको उन गेंदों पर खेलना होता है। यही उनकी ख़ासियत है।"

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।