ऋद्धिमान साहा को धमकाने के मामले में बीसीसीआई ने पत्रकार बोरिया मजूमदार पर लगाया दो साल का बैन
एक पत्रकार के तौर पर बोरिया को अब किसी भी तरीके की प्रेस सुविधा नहीं मिलेगी
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो स्टाफ़
04-May-2022
ऋद्धिमान साहा ने सबसे पहले ट्वीटर पर एक स्क्रीनशॉट डाल कर कहा था कि किसी पत्रकार ने उन्हें धमकाया है • BCCI
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बोरिया मजूमदार पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया है। ऋद्धिमान साहा ने उन पर आरोप लगाया था कि बोरिया ने मुझे "धमकाने और डराने" का प्रयास किया था। बोरिया को अब भारत में घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय मैचों के लिए प्रेस मान्यता नहीं मिलेगी। साथ ही उन्हें किसी भी "पंजीकृत खिलाड़ी" के साथ साक्षात्कार और बीसीसीआई या राज्य/सदस्य संघों के स्वामित्व वाली क्रिकेट संघो में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी।
अपने सदस्यों को भेजे गए एक संदेश में, बीसीसीआई ने कहा है कि उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, कोषाध्यक्ष अरुण धूमल और पार्षद प्रभातेज सिंह भाटिया की तीन सदस्यीय समिति ने साहा और बोरिया दोनों से बात की थी। इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया था कि बोरिया के क्रिया कलाप वास्ताव में ऋद्धिमान को डराने और धमकाने के जैसा था। उन्होंने बीसीसीआई की शीर्ष परिषद को प्रतिबंधों की सिफ़ारिश की, जिसने सहमति व्यक्त करते हुए बोरिया पर प्रतिबंध लगा दिया।
फ़रवरी में ऋद्धिमान ने ट्वीटर पर कुछ स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे। स्क्रीनशॉट में दिखाया गया है कि संदेश भेजने वाला व्यक्ति साहा से साक्षात्कार लेने के लिए अनुरोध कर रहा था, जिसका साहा ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद संदेश भेजने वाला व्यक्ति आक्रामक हो गया और कहा, "आपने फोन नहीं किया। फिर कभी मैं आपका साक्षात्कार नहीं करूंगा। मैं अपमान नहीं सहता और मैं इसे याद रखूंगा। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।"
आरोप लगाने के लिए ऋद्धिमान ने सबसे पहले ट्वीटर का सहारा लिया था। हालांकि उन्होंने पत्रकार का नाम नहीं लिया था, लेकिन बोरिया ने पांच मार्च को जवाब दिया कि वह मानहानि के मुक़दमे के लिए साहा को कानूनी नोटिस भेजेंगे। बोरिया ने सोशल मीडिया पर डाले गए एक वीडियो में कहा था कि साहा ने जो स्क्रीनशॉट डाला था, उसे छेड़-छाड़ कर के प्रस्तुत किया गया था।
बीसीसीआई के संदेश में कहा गया है, "इस घटना का संज्ञान लेकर और अन्य खिलाड़ियों के साथ इस तरह की घटना ना हो, उससे बचने के लिए बीसीसीआई ने मामले की जांच करना आवश्यक समझा और तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। इस समिति ने अपने निर्णय पर पहुंचने से पहले साहा और बोरिया की दलीलों पर विचार भी किया था।"