दूसरे वनडे में गेंद के साथ अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद शिखा पांडे आने वाले मैचों में ख़ुद से एक बेहतर हरफ़नमौला खेल की उम्मीद कर रही हैं। पिछले मुक़ाबले में पांडे ने किफ़ायती गेंदबाज़ी करते हुए नौ ओवरों में एक मेडन के साथ 34 रन देकर एक सफलता प्राप्त की थी। टॉन्टन में पूरे भारतीय गेंदबाज़ी क्रम में से शिखा का इकॉनमी रेट सबसे कम था।
भले ही भारत को दूसरे मैच में हार का सामना करना पड़ा, 221 रनों के लक्ष्य का बचाव करने के प्रयास और भारतीय गेंदबाज़ी क्रम के बेहतर प्रदर्शन की नींव रखने में पांडे ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने गेंद को हवा में लहराया और बेहतरीन फ़ॉर्म में चल रही सलामी बल्लेबाज़ टैमी बोमॉन्ट को परेशान किया। अपने पहले दो ओवरों में शिखा ने केवल दो रन दिए, जिसमें एक मेडन ओवर भी शामिल था।
शनिवार को वूस्टर में तीसरे और अंतिम वनडे के बाद टीमें इस मल्टी-फ़ॉर्मेट सीरीज़ के टी20 अंतर्राष्ट्रीय चरण की तरफ आगे बढ़ेगी। 32 वर्षीय पांडे टॉन्टन में दूसरे वनडे मैच के अपने अच्छे प्रदर्शन को जारी रखने की उम्मीद कर रही हैं।
जब उनसे 2022 वनडे विश्व कप में टीम के लिए हरफ़नमौला खिलाड़ी की भूमिका निभाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे लंबे समय का कोई लक्ष्य नहीं बना रही हैं। "यह मेरे लिए काम नहीं करता हैं। इसलिए मैं केवल छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करती हूं। जब मैं गेंदबाज़ी करती हूं तो यह मेरे लिए एक सत्र, एक स्पेल और हर एक गेंद के बारे में होता है। मुझे लगता है कि दूसरे वनडे में मुझे अपनी लय वापस मिली है। उसको आगे बढ़ाते हुए चीज़ों को सरल रखना है और जितना हो सके उतना टीम के लिए अपना योगदान देना है।"
"एक गेंदबाज़ी ऑल-राउंडर के रूप में मुझे रन बनाने चाहिए। हर बार जब मैं मैदान पर उतरती हूं, तो मेरा लक्ष्य टीम की सफलता में योगदान देना होता है। मैं लक्ष्य निर्धारित कर रही हूं लेकिन कम समय के लिए। मेरे दिमाग में कोई दीर्घकालीक लक्ष्य नहीं है। इसलिए मेरा ध्यान केवल कल के मैच में अच्छी गेंदबाज़ी करने पर और अगर बल्लेबाज़ी का मौका मिले तो बेहतर स्कोर करने और बल्ले से अधिक योगदान देने पर है।"
टॉन्टन में सलामी बल्लेबाज़ लॉरेन विनफ़ील्ड-हिल का विकेट, इस दौरे पर पांडे का पहला विकेट था। विनफ़ील्ड-हिल की विकेट एक सेट बल्लेबाज़ को बाहर जाती गेंद को खिलाने की पांडे की क्षमता और विकेटों के पीछे तानिया भाटिया की चुस्ती का नतीजा थी। दोनों तेज़ गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी और शिखा पांडे को विकेटों के करीब से कीपिंग कर रही तानिया ने एक मुश्किल कैच को लपक कर विनफ़ील्ड-हिल को चलता किया। तीन पारियों में चार सफलताओं के साथ भाटिया दस्तानों के साथ इस सीरीज़ में शानदार फ़ॉर्म में रही है।
पांडे ने कहा, "मैं तानिया की बहुत बड़ी फ़ैन हूं। तेज़ गेंदबाज़ों को विकेटों के पास से कीपिंग करना आसान काम नहीं है और जिस तरह से वह नई गेंद के साथ भी हमारे सामने करीब खड़े रहकर विकेटकीपिंग कर रही थी, वह अद्भुत है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा करना हर किसी के बस की नहीं है और आप उन कीपरों की गिनती अपनी उंगलियों पर कर सकते हैं। वह जो हमारे लिए कर रही हैं वह काबिले तारीफ़ है।"
"यह कुछ, छोटी, छोटी चीजें हैं जो हमने मैदान पर देखी हैं कि अगर इंग्लैंड के बल्लेबाज़ क्रीज़ से बहुत बाहर खड़े हैं और मैं स्विंग गेंदबाज हूं, तो मेरी स्विंग का पैनापन कम हो जाता है। इस आधार पर काफी व्यावहारिक निर्णय लिए जा रहे हैं कि हमें उन्हें क्रीज से खेलने के लिए मजबूर करने की जरूरत है और इसी लिए तानिया स्टंप्स के करीब आती हैं," पांडे ने कहा।
"मुझे लगता है कि कल हमें पहले विकेट में [गोस्वामी द्वारा बोमॉन्ट को बोल्ड किया जाना], तानिया के स्टंप्स पर खड़े होने से बहुत फर्क पड़ा। तानिया हमारे लिए बहुत अच्छा काम कर रही है और यह मैदान पर परिस्थितियों का मुकाबला करने के बारे में है।"
पहले वनडे मैच में हार के बाद कप्तान मिताली राज ने अपने तेज़ गेंदबाज़ों से अधिक ज़िम्मेदारी लेने और गोस्वामी का बेहतर साथ देने का आव्हान किया था। पांडे ने कहा कि दूसरे मैच में तेज़ गेंदबाज़ों ने परिभाषित योजनाएं तैयार की थी जिसका फ़ायदा उनके बेहतर प्रदर्शन में देखने मिला।
"(पहले मैच के बाद) हमने साथ बैठकर अपनी ताकत के बारे में बात की। स्पष्ट योजनाएं बनाकर उनपे अमल करना और विकेटों के बारे में ना सोचते हुए कसी हुई गेंदबाज़ी करने पर चर्चा हुई। यही कहा गया था - अपनी योजनाओं को सरल रखो और पारी की शुरुआत से ही काम पर लग जाओ," पांडे ने बताया।
"मुझे लगता है कि हमने दूसरे मैच में सभी विभागों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और हम पकड़ बना रहे हैं," पांडे ने कहा। "यह देखते हुए कि यह एक बहु-प्रारूप श्रृंखला है, हम जानते हैं कि अगर हम बचे हुए सभी चार मैच जीत जाते हैं तो भी हम इसे जीत सकते हैं।"
"हम वास्तव में उनके ख़िलाफ़ ख़ुद का आकलन नहीं कर रहे हैं। यह सिर्फ ख़ुद पर भरोसा करने के बारे में है। हम जानते हैं कि हम एक बहुत अच्छी टीम हैं और जब हम अपनी ताकत के साथ खेलते हैं, और हमारे पास अच्छा दिन होता है तो हम दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकते हैं। हम बस ख़ुद पर विश्वास कर रहे हैं और जो कुछ हुआ उसके बारे में ज़्यादा सोचे बिना अगले मैच की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि मुख्य कोच रमेश पवार ने भी टीम का मनोबल ऊंचा रखने में अहम भूमिका निभाई है।
पांडे ने कहा, "उन्होंने (रमेश पवार) हमारा बहुत समर्थन किया है। दूसरे मैच के बाद भी, ड्रेसिंग रूम का माहौल बहुत सकारात्मक था। उन्होंने हमेशा कहा है कि अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार खेलते हैं, तो हम दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकते हैं। उन्हें हम पर पूरा भरोसा है और वह एक समूह के रूप में हमारा समर्थन करते हैं। हमें और क्या चाहिए? एक कोच के रूप में वह तीनों विभागों में बहुत मददगार रहे हैं।"
सीरीज़ में अब तक भारत की पहली पारी के स्कोर - 201 और 221 - इंग्लैंड की बल्लेबाज़ी को चुनौती नहीं दे पाएं है। राज और शेफ़ाली वर्मा के अलावा, भारत का कोई भी बल्लेबाज़ स्कोरिंग पर खास छाप नहीं छोड़ पाया है। हालांकि, पांडे ने कहा कि टीम को मैच जिताने की उतनी ही ज़िम्मेदारी गेंदबाजी दल की है जितनी बल्लेबाजों की।
शिखा ने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगी कि बल्लेबाज़ी चिंता का विषय है। मैं आपको एक खिलाड़ी का नज़रिया दे सकती हूं। जब हम मैदान पर उतरते हैं, तो खेल के तीनों पहलुओं के बारे में एक साथ सोचते हैं। इसलिए अगर बल्लेबाज़ हमें रन बनाकर नहीं दे सकते हैं, तो हम गेंदबाज़ों को मेहनत करके बल्लेबाज़ों का समर्थन करने की ज़रूरत है। मुझे नहीं लगता कि किसी एक विभाग में कमी है।"
"अगर हम तीनों विभागों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो हमारी जीत की संभावना बढ़ जाएगी। जो हो गया उसके बारे में सोचने से कुछ नहीं होगा, हम आगे जाकर एक टीम के रूप में क्या कर सकते हैं उसके बारे में सोचना चाहिए। बल्लेबाज़ जितने भी रन बनाए, गेंदबाज़ों को उनका बचाव करना होगा और गेंदबाज़ जितने रन लुटाते है, बल्लेबाज़ों को जाकर उस लक्ष्य को पार करना होगा," यह कहकर पांडे ने अपनी बात का अंत किया।