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क्या पांच शतक लगाने के बाद कोई भी टीम टेस्ट मैच हारी है?

हैरी ब्रूक ने हेडिंग्ली टेस्ट के दौरान 99 और 0 का स्कोर बनाया, क्या ऐसा पहले भी हुआ है?

Andy Flower sweeps, Zimbabwe v South frica, 1st Test, Harare, 3rd day, September 9, 2001

ऋषभ पंत के अलावा ऐंडी फ़्लॉवर एकमात्र अन्य विकेटकीपर बल्लेबाज़ हैं, जिन्होंने एक टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाया है  •  Getty Images

पांच शतक के बावज़ूद भारत, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहला टेस्ट हार गया। क्या ऐसा पहले कभी हुआ है? बांग्लादेश से कृष्ण साहा और कई अन्य के सवाल
हेडिंग्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत की हार टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में बिल्कुल अनोखी घटना रही। ऐसा पहली बार हुआ जब किसी टीम के बल्लेबाज़ों ने पांच शतक लगाए हों और फिर भी उनकी टीम टेस्ट मैच हार गई हो। यह घटना 63,000 से अधिक प्रथम श्रेणी मैचों में भी पहले कभी नहीं हुई।
इससे पहले केवल एक बार ऐसा हुआ था कि एक टीम की तरफ़ से टेस्ट में चार शतक लगे हों और फिर भी उनकी टीम हार गई हो। ऐसा ऑस्ट्रेलिया के साथ 1928-29 के टाइमलेस टेस्ट में हुआ था। यह डॉन ब्रेडमैन का दूसरा टेस्ट था और उन्होंने इस मैच में अपना पहला शतक लगाया था। हालांकि ऐसे लगभग 11 उदाहरण हैं, जब किसी टीम ने एक टेस्ट में तीन शतक लगाए हों, लेकिन उनकी टीम मैच हार गई हो।
ऋषभ पंत ने हेडिंग्ली में दो शतक लगाए। टेस्ट क्रिकेट में कितने विकेटकीपर ऐसा कर चुके हैं? स्कॉटलैंड से मार्क मैकेंज़ी और अन्य का सवाल
ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हेडिंग्ली में पहले टेस्ट में 134 और 118 का स्कोर खड़ा किया। यह केवल दूसरी बार हुआ है कि किसी विकेटकीपर ने एक टेस्ट में दो शतक लगाए हों।
ज़िम्बाब्वे के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऐंडी फ़्लॉवर ने 2001 में हरारे में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 142 और नाबाद 199 का स्कोर बनाया था।
पंत भारत के लिए एक टेस्ट में दो शतक लगाने वाले सिर्फ़ सातवें बल्लेबाज़ हैं। सुनील गावस्कर ने यह कारनामा तीन जबकि राहुल द्रविड़ ने ऐसा दो बार किया है। लेकिन इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय हैं। हेडिंग्ली में एक टेस्ट में दो शतक लगाने वाले एकमात्र अन्य खिलाड़ी वेस्टइंडीज़ के शे होप हैं, जिन्होंने 2017 में यह उपलब्धि हासिल की थी। जॉनी बेयरस्टो ने 2022 में भारत के ख़िलाफ़ ऐजबेस्टन में और कुमार संगकारा ने दो बार यह कारनामा किया है, लेकिन इन मैचों में वे विकेटकीपर नहीं थे।
हैरी ब्रूक ने पहले टेस्ट में 99 और 0 का स्कोर खड़ा किया। क्या यह एक असामान्य घटना है? भारत से ऑरलैंडो कोएल्हो का सवाल
इंग्लैंड के बल्लेबाज़ हैरी ब्रूक ने हेडिंग्ली में पहले टेस्ट की पहली पारी में 99 और दूसरी पारी में शून्य रन बनाए और पहली गेंद पर ही आउट हो गए। वे एक ही टेस्ट में 99 और 0 का स्कोर बनाने वाले केवल पांचवें बल्लेबाज़ हैं। इससे पहले ऐसा कारनामा पंकज रॉय (भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, दिल्ली, 1959), मुश्ताक़ मोहम्मद (पाकिस्तान बनाम इंग्लैंड, कराची, 1973), मिस्बाह-उल-हक़ (पाकिस्तान बनाम वेस्टइंडीज़, ब्रिज़टाउन, 2017) और बाबर आज़म (पाकिस्तान बनाम ऑस्ट्रेलिया, अबूधाबी, 2018) ने किया है।
दो अन्य खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्होंने एक ही टेस्ट में 0 और नाबाद 99 का स्कोर बनाया है। इंग्लैंड के ज्यॉफ़्री बॉयकॉट ने 1979 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पर्थ में और साउथ अफ़्रीका के ऐंड्रयू हॉल ने 2003 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हेडिंग्ली में ऐसा किया था।
हेडिंग्ली में भारत की पहली पारी में 471 रन बने, जिसमें तीन बल्लेबाज़ों ने शतक और तीन शून्य पर आउट हुए। क्या यह तीन शतकों के बावजूद सबसे कम स्कोर है? भारत से संदीप का सवाल
आप सही हैं। भारत की 471 रनों की यह पारी तीन शतकों वाली सबसे छोटी पारी है। इससे पहले यह रिकॉर्ड साउथ अफ़्रीका के नाम था, जब उन्होंने 2016 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उन्होंने 475 रन बनाए थे और इसमें स्टीवन कुक (115), हाशिम अमला 109 और क्विंटन डि कॉक (नाबाद 129) का शतक शामिल था।
अगर ऑलआउट न होने वाली पारियों को शामिल करें, तो तीन शतक वाली सबसे कम टेस्ट स्कोरिंग पारी का रिकॉर्ड भी साउथ अफ़्रीका के नाम है। उन्होंने 2008 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 393 रन पर तीन विकेट खोकर पारी घोषित की थी।
भारतीय पारी में तीन बल्लेबाज़ शून्य पर भी आउट हुए। तीन शून्य के स्कोर के साथ सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड अफ़ग़ानिस्तान के नाम है, जब उन्होंने 2024 के बुलवायो टेस्ट में ज़‍िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ 699 रन बनाए थे। इसमें तीन व्यक्तिगत शतक लगे थे, जिसमें दो दोहरा शतक भी शामिल था।
मैंने सुना है कि दिलीप दोषी ने इंग्लैंड में एक लिस्ट ए मैच में 8-7-1-1 के अद्भुत आंकड़े दर्ज किए थे, लेकिन फिर भी उन्हें अगले मैच में नहीं खिलाया गया। क्या यह सच है? भारत से रहमान अश्विनी का सवाल
हां, यह चौंकाने वाला लेकिन सही वाकया है। बाएं हाथ के भारतीय स्पिनर दिलीप दोषी का हाल ही में 77 साल की उम्र में निधन हो गया। वह 1977 में नॉटिंघमशायर के लिए खेल रहे थे। उन्होंने नॉर्थैम्पटनशायर के ख़िलाफ़ रविवारीय लीग मैच के दौरान आठ ओवरों में केवल एक रन दिया, जिसमें सात मेडन ओवर शामिल थे। इस मैच में नॉर्थैम्पटनशायर केवल 43 रन पर ऑलआउट हो गई।
इसके दो सप्ताह बाद कैंटरबरी में केंट के ख़िलाफ़ अगला मैच था। अपनी आत्मकथा Spin Punch में दोषी ने लिखा: "मैं दोपहर 12:30 पर तैयार हो गया था लेकिन मुझे बताया गया, 'धन्यवाद, लेकिन इस मैच में केनी वॉटसन खेलेंगे।' मैं हैरान रह गया। पिछले मैच की जीत मैंने दिलाई थी। डेरिक अंडरवुड जैसे केंट खिलाड़ी भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे।"
वजह यह थी कि नॉटिंघमशायर के पास तीन विदेशी खिलाड़ी थे - दोषी, क्लाइव राइस और वॉटसन। लेकिन एक मैच में केवल दो ही खेल सकते थे। दोषी के अनुसार, "राइस का मानना था कि सीमित ओवरों में धीमी गेंदबाज़ी की जगह नहीं है और उन्होंने यह सोच क्रिकेट कमेटी को भी बेच दी।"
टेस्ट क्रिकेट में दोषी की शुरुआत देर से हुई क्योंकि भारत की टीम में बाएं हाथ के स्पिनर के रूप में बिशन सिंह बेदी लंबे समय तक थे। दोषी को 1979-80 में पहली बार मौक़ा मिला, जब वह लगभग 32 साल के थे। फिर भी उन्होंने 114 टेस्ट विकेट लिए। उस समय बेदी ऑस्ट्रेलिया के क्लैरी ग्रिमेट के बाद दूसरे गेंदबाज़ ऐसे थे, जिन्होंने 30 की उम्र के बाद टेस्ट डेब्यू करते हुए 100 विकेट हासिल किए हों। बाद में सईद अजमल (पाकिस्तान), रायन हैरिस (ऑस्ट्रेलिया), मोहम्मद रफ़ीक़ (बांग्लादेश) और ब्रूस यार्डली (ऑस्ट्रेलिया) ने भी यह कारनामा किया।
शिवा जयरमन के सहयोग के साथ
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स्टीवन लिंच Wisden on the Ashes संस्करण के एडिटर हैं