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जाडेजा एक नैसर्गिक कप्तान नहीं हैं : रवि शास्त्री

शास्त्री ने कहा कि जाडेजा कप्तानी में बिना पानी के मछली की तरह दिखे

Ravindra Jadeja acknowledges the crowd after the win, Chennai Super Kings vs Sunrisers Hyderabad, IPL 2022, Pune, May 1, 2022

जीत के प्रशंसकों का अभिवादन स्वीकारते जाडेजा  •  BCCI

पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री का मानना है कि रवींद्र जाडेजा एक "नैसर्गिक कप्तान" नहीं हैं और आईपीएल 2022 के पहले हिस्से में वह चेन्नई सुपर किंग्स का नेतृत्व करते हुए "जल बिन मछली" समान असहज दिखे थे। शास्त्री ने यह भी कहा कि अगर उनकी जगह पुन: कप्तान बने महेंद्र सिंह धोनी फ़िट रहते हैं और राज़ी हो जाते हैं तो उन्हें अगले साल भी चेन्नई की कमान संभालनी चाहिए।
इस सीज़न चार में से दो जीत धोनी की कप्तानी में तीन मैचों में मिली हैं और आठ अंकों के साथ प्लेऑफ़ में पहुंचने के लिए कम से कम बाक़ी के सभी मैच चेन्नई को जीतने होंगे। ऐसा जाडेजा की कप्तानी में होना मुश्किल लग रहा था।
शास्त्री ने जाडेजा की कप्तानी पर ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के 'टी20 टाइम आउट' कार्यक्रम में कहा, "वह एक नैसर्गिक कप्तान नहीं हैं और इससे पहले उन्होंने कप्तानी की भी नहीं थी। ऐसे में उन्हें यह ज़िम्मेदारी देना भी थोड़ा कठोर था। लोग जड्डू पर टिप्पणी करेंगे लेकिन ग़लती उनकी नहीं थी। वह जल बिन मछली जैसे नज़र आए थे। उनके लिए सिर्फ़ प्लेयर बने रहना ही बेहतर है। ऑलराउंडर्स में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में आते हैं और उन्हें उसी पर ध्यान देना चाहिए। उनको कप्तानी देना चेन्नई के लिए शुरुआती मैचों में टीम पर भारी पड़ा है। अगर मौजूदा फ़ॉर्म यह टीम शुरू से दिखाती तो प्लेऑफ़ की दावेदारी में काफ़ी आगे रहती।"
शास्त्री ने यह भी कहा कि ज़रूरत पड़ने पर चेन्नई को अगले साल मिनी नीलामी में एक नए कप्तान को दल में शामिल करना चाहिए, जैसे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने इस वर्ष फ़ाफ़ डुप्लेसी को यह ज़िम्मेदारी सौंपी। उनका मानना है कि कप्तानी देने में हड़बड़ाहट सही नहीं है और हमेशा सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ को कप्तानी थमाना उचित नहीं। उनका इशारा ऋतुराज गायकवाड़ की तरफ़ था जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपनी टीम महाराष्ट्र की कप्तानी केवल पांच वनडे और पांच टी20 मुक़ाबलों में की है। यह सारे मैच 2021-22 सत्र में ही थे। ऋतुराज ने 2020 सीज़न में चेन्नई के लिए आईपीएल डेब्यू करने के बाद इतना प्रभावित किया कि इस साल उन्हें धोनी, जाडेजा और मोईन अली जैसे दिग्गजों के साथ रिटेन किया गया था।
शास्त्री ने कहा, "आप को देखना पड़ता है वह खिलाड़ी कहां से आया है और उसने किस स्तर का क्रिकेट खेला है। क्या उसने पहले कप्तानी की है? क्या उसमें कप्तानी करने की गुणवत्ता है? आप को यह सब देखना और परखना पड़ता है। यह नहीं कि यह सर्वाधिक स्कोरर है तो इसे ही कप्तान बनाते हैं। यह भारत में बहुत होता है और सिर्फ़ घरेलू क्रिकेट ही नहीं नेशनल टीम स्तर पर भी। कोई अग़र निरंतरता से रन बनाए तो उसका नाम कप्तानी की उम्मीदवारी में बढ़ाया जाता है। यह नहीं देखते कि उसने पहले कप्तानी की भी है या नहीं।"
उन्होंने आगे कहा, "कप्तानी एक अलग ही स्पर्धा है। इसमें स्वाभाव ज़रूरी है, गेम को पढ़ना आना चाहिए और लोगों का प्रबंधन ज़रूरी है। सर्वोपरि गुण है संचार और ऐसा केवल अपनी टीम के साथ ही नहीं बल्कि मीडिया से भी। फ़िलहाल वह यह ज़िम्मेदारी किसे दे सकते हैं? शायद आरसीबी की तरह फ़ाफ़ जैसे किसी को? या अगर उन्हें लगता है ऋतुराज या मोईन या किसी स्थानीय खिलाड़ी में यह गुण हैं तो उन्हें भी दी जा सकती है।"
जाडेजा से कप्तानी लेते हुए धोनी को लगा था कि "कप्तानी का बोझ" जाडेजा पर असर कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि कीपिंग करते हुए गेम पर नज़र बनाए रखना उनके ख़ुद के लिए आसान नहीं था और वह एक उत्तराधिकारी को अपनी पहचान बनाने का भरपूर मौक़ा देना चाहते थे। शास्त्री के अनुसार विश्व के सर्वश्रेष्ठ फ़ील्डर होने के नाते जाडेजा इस काम को भी ठीक से अंजाम नहीं दे पा रहे थे।
उन्होंने कहा, "जाडेजा विश्व के बेहतरीन फ़ील्डरों में से एक हैं और शायद उनमें भी बेस्ट। जब आप टीम के बेस फ़ील्डर हैं तो आपको डीप में ऐसे स्थानों में होना पड़ता है जहां से आप अधिकतम दूरी तय कर सकें और अच्छे कैच भी लपकें। यदि कप्तानी के चलते आपको खिलाड़ियों को निर्देश देने के लिए दायरे के आसपास रहना पड़े तो हार आपकी अपनी टीम की होती है।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo के स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।