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मध्य प्रदेश ने मुंबई को उन्हीं की शैली में दिया जवाब

यश और शुभम की दोहरी शतकीय साझेदारी ने 41 बार की चैंपियन टीम के छुड़ाए पसीने

यश दुबे और शुभम शर्मा ने 222 रनों की साझेदारी निभाई  •  PTI

यश दुबे और शुभम शर्मा ने 222 रनों की साझेदारी निभाई  •  PTI

ज़िद्द मुंबई क्रिकेट की सबसे मज़बूत नींव है। ज़िद्दी या खड़ूस होने का अर्थ यह है कि आप क्रीज़ पर पैर जमाकर घंटों बल्लेबाज़ी करें और विपक्षी गेंदबाज़ों को थकाते चले जाएं। लंबे अरसे से मुंबई के बल्लेबाज़ों ने विपक्षी गेंदबाज़ों को इतना थकाया है कि उनके बारे में सोचकर बुरा लगने लगता है। मुंबई ने सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, वसीम जाफ़र जैसे कई खड़ूस बल्लेबाज़ देखे हैं।
हालांकि शुक्रवार को बेंगलुरु में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल मुक़ाबले के तीसरे दिन 41 बार की चैंपियन मुंबई को मध्य प्रदेश के हाथों ऐसी ही खड़ूस बल्लेबाज़ी का सामना करना पड़ा।
पहली पारी में मुंबई के 374 रनों के स्कोर का पीछा करते हुए मध्य प्रदेश को अच्छी शुरुआत की आवश्यकता थी और यश दुबे ने ऐसा ही किया। अपना 24वां प्रथम श्रेणी मैच खेल रहे यश ने विकेटकीपर हिमांशु मंत्री के साथ 47 रन जोड़े। पहली विकेट गिरने के बाद वह अपने असली रंग में उतर आए। उन्होंने आक्रमण और रक्षात्मक बल्लेबाज़ी का बढ़िया मिश्रण दिखाया और मध्य प्रदेश को पहली पारी में महत्वपूर्ण बढ़त की दहलीज़ पर ला खड़ा किया।
दूसरे दिन के 44 रन के स्कोर से अपनी पारी को आगे बढ़ा रहे यश ने एक सुंदर स्क्वेयर कट के साथ तीसरे दिन की शुरुआत की। इस शॉट पर टाइमिंग इतनी अद्भुत थी कि डीप प्वाइंट पर तैनात यशस्वी जायसवाल के पास उस गेंद को रोकने का कोई मौक़ा नहीं था। यश के साथी जोड़ीदार शुभम शर्मा ने भी चौके के साथ तीसरे दिन रन बनाने का आग़ाज़ किया। इन दोनों बल्लेबाज़ों ने मुंबई द्वारा फेंकी गई हर चुनौती का डटकर मुक़ाबला किया और पहले सेशन में 105 रन बनाए। वह इतने संयम के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे कि मुंबई के फ़ील्डर अपनी बातों से उनका ध्यान भटकाने पर उतर आए।
शुभम के रूप में उनको एक सही जोड़ीदार मिला। यह आग और पानी का सही मिश्रण था। जहां यश अपना समय ले रहे थे, शुभम ने तेज़ी से रन बनाए। ख़राब गेंदों पर प्रहार करते हुए उन्होंने 74 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। इस दौरान उन्होंने आठ चौके भी जड़े। वहीं यश ने पचासा पूरा करने के लिए 139 गेंदें खेली।
वह यहीं पर नहीं रुके। मुंबई के गेंदबाज़ी क्रम पर अपना आक्रमण जारी रखते हुए उन्होंने किसी भी गेंदबाज़ को लय पकड़ने का मौक़ा ही नहीं दिया। दूसरे सेशन में तुषार देशपांडे और मोहित अवस्थी के एक घातक स्पेल का सामना करते हुए भी दोनों गेंदबाज़ों ने अपनी विकेट नहीं फेंकी और गेंदों को छोड़ते रहे।
आप कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश को भाग्य का साथ मिला। कई क़रीबी फ़ैसले उनके पक्ष में नहीं गए और कुछ कैच भी छूटे। 55 के स्कोर पर शुभम को जीवनदान मिला जब अरमान जाफ़र ने शॉर्ट प्वाइंट पर उनका कैच टपकाया। फिर रजत पाटीदार, शम्स मुलानी की नो बॉल पर कैच आउट हुए। उन्हें मौक़े मिले और उन्होंने उनका पूरा फ़ायदा उठाया।
यश और शुभम ने सरफ़राज़ ख़ान की पारी से सीख ली। दूसरे दिन के खेल के अंत के बाद इस सीज़न में सर्वाधिक रन बनाने वाले सरफ़राज़ ने कहा था कि उनका मानना है कि शतक बनाने के लिए आपको कम से कम 200 गेंदों का सामना करना होगा। यश और शुभम ने ठीक ऐसा ही किया और अपना अपना शतक पूरा किया। ऐसा करते हुए दोनों के बीच 222 रनों की अनमोल साझेदारी हुई जो इस मैच का नतीजा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।
यश और शुभम की जोड़ी ने मुंबई को मैच में काफ़ी पीछे छोड़ दिया है। उनकी साझेदारी तब टूटी जब शुभम, मोहित की गेंद पर कैच आउट हुए लेकिन मुंबई के लिए यह परेशानियों का अंत क़तई नहीं था। चौथे नंबर पर पाटीदार ने ताबड़तोड़ शुरुआत की। अपने घरेलू मैदान (आईपीएल में रजत रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए खेलते हैं) पर खेलते हुए रजत मुंबई पर जमकर बरसे। अपने तरकश में मौजूद शॉट्स के भंडार का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने दिखाया कि क्यों उन्हें मध्य प्रदेश की टीम का सबसे घातक बल्लेबाज़ माना जाता है।
336 गेंदों का सामना करने के बाद यश आख़िरकार 133 रन बनाकर आउट हुए। शतक पूरा करने पर उन्होंने दोनों कानों को बंद करते हुए यह बताया कि उन्हें आसपास हो रही आवाज़ से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। जब वह आउट हुए तब फ़ील्डरों की खरी-खोटी अभिवादन में तब्दील हो गई। उनके आउट होने के समय मध्य प्रदेश ने 341 रन बना लिए थे और यश अपना काम पूरा कर चुके थे। अब बारी थी रजत की। तूफ़ानी शुरुआत करते हुए उन्होंने अपने बेहतरीन शॉट्स से दर्शकों का मनोरंजन किया। मात्र 44 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा करने वाले पाटीदार एक अलग ही लय में बल्लेबाज़ी कर रहे थे। हालांकि इसके बाद जब 52 के स्कोर पर उन्हें वह जीवनदान मिला, उन्होंने मुंबई को उनका ख़ामियाज़ा भुगतने पर मजबूर किया। अपने रक्षात्मक खेल का प्रदर्शन करते हुए रजत ने गेंदों को छोड़ा और आंखों के नीचे डिफ़ेंस किया। तीसरे दिन के अंत के बाद वह 106 गेंदों का सामना करते हुए 67 रन बनाकर नाबाद हैं और अब चौथे दिन शतक बनाने के लिए बेताब होंगे।
तीसरे दिन पहले यश, फिर शुभम और अंत में रजत ने ठीक वही किया जो मुंबई के बल्लेबाज़ इतने सालों से करते आ रहे थे। वह खड़ूस बने और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि चौथे दिन पर जाते हुए उनकी टीम एक मज़बूत स्थिति में है।

अफ़्ज़ल जिवानी (@jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।