पिछले क़रीब एक साल में
रोहित शर्मा ने काफ़ी उतार-चढ़ाव देखा। उन्होंने पिछले साल जून में भारत को T-20 विश्व कप चैंपियन बनाया था, लेकिन इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रदर्शन काफ़ी ख़राब रहा। लगातार बल्लेबाज़ी और कप्तानी दोनों में फेल होने के कारण उन्हें आलोचकों ने निशाने पर लिया और उन्हें टीम से हटाए जाने तक की मांग होने लगी। अब 9 मार्च, 2025 की तारीख़ को रोहित ने पूरे भारत को ऐसी खु़शी दी है जिसके बाद उनकी आलोचना करने वालों में तगड़ी कमी देखने को मिलेगी।
चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 का ख़िताब जीतकर रोहित ने लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में अपनी शानदार कप्तानी को जारी रखा है। रोहित ने फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ भारत को आतिशी शुरुआत दिलाई और अपनी अर्धशतकीय पारी से शुरुआत में ही उन्हें मैच से बाहर कर दिया था।
इस मैच से पहले अटकलों का बाज़ार काफ़ी गर्म था कि रोहित वनडे से अपने संन्यास का भी ऐलान कर सकते हैं, हालांकि मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।
रोहित ने कहा, "मैं इस प्रारूप से संन्यास लेने नहीं जा रहा हूं। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं ताकि आगे कोई अफ़वाह नहीं फैलाई जाए। देखते हैं अभी कोई फ़्यूचर प्लान नहीं है, जो हो रहा है चलता रहेगा।"
प्लेयर ऑफ़ द मैच बनने पर रोहित ने कहा, "इस ट्रॉफ़ी को जीतना बहुत अच्छा अहसास है। पूरे टूर्नामेंट में हमने शानदार क्रिकेट खेला और अंत में अपनी मेहनत का फल इस तरह मिलना वाकई ख़ास है। जिस तरह से हमने इस मैच में खेला, उससे मैं बेहद खुश हूं। यह (खेलने का यह तरीक़ा) मेरे लिए स्वाभाविक नहीं है, लेकिन यह कुछ ऐसा था जिसे मैं सच में आज़माना चाहता था। जब आप कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, तो टीम का समर्थन बहुत ज़रूरी होता है, और टीम मेरे साथ थी--2023 वर्ल्ड कप में राहुल भाई और अब गौती भाई (गौतम गंभीर) का पूरा समर्थन मिला। इतने सालों से मैंने अलग अंदाज़ में खेला है, लेकिन मैं देखना चाहता था कि क्या हम अलग तरीके से खेलकर भी अच्छे नतीजे हासिल कर सकते हैं।"
फ़ाइनल में रोहित काफ़ी शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे थे और ऐसा लग रहा था कि शतक लगाएंगे, लेकिन वह स्टंपिंग हो गए थे। स्पिनर के ख़िलाफ़ आगे निकलने के बाद रोहित को बहुत कम ही इस तरह आउट होते देखा गया है।
उन्होंने कहा, "पैरों का इस्तेमाल करना कुछ ऐसा है जो मैं अब काफ़ी समय से कर रहा हूं। इससे पहले इसी कोशिश में आउट भी हुआ हूं, लेकिन मैंने कभी इस रणनीति से हटने की नहीं सोची। यह खेल को आसान बनाता है और आपको आज़ादी देता है। यही कारण है कि मैं बल्लेबाज़ी में गहराई चाहता था--जाडेजा का नंबर 8 पर आना आपको यह आत्मविश्वास देता है कि आप खुलकर खेल सकते हैं। अगर रणनीति काम कर जाती है तो ठीक, नहीं भी तो कोई बात नहीं। सबसे ज़रूरी चीज़ यह है कि मेरे दिमाग़ में स्पष्टता बनी रहे।"
भारत ने दुबई में ही अपने सारे मैच खेले और उन्हें हर मैच में स्टेडियम लगभग फुल ही देखने को मिले थे। भारत के सभी मैचों के लिए फ़ैंस की संख्या स्टेडियम के अंदर तो काफ़ी अधिक थी ही, लेकिन बाहर से सपोर्ट करने वाले भी असंख्य थे।
दर्शकों पर रोहित ने कहा, "मैं उन सभी लोगों का शुक्रगुज़ार हूं जो हमें सपोर्ट करने आए। दर्शकों का समर्थन ज़बरदस्त था। यह हमारा घरेलू मैदान नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे हमारा बना दिया। यह जीत बेहद संतोषजनक रही। फैंस के लिए काफ़ी आभार। हम उनकी मौजूदगी की अहमियत समझते हैं। शायद यह हमेशा दिखता नहीं है, लेकिन जब वे स्टेडियम में आते हैं, तो वह हमें और प्रेरित करता है।"
भारत ने इस टूर्नामेंट में अपने अंतिम तीन मैच चार स्पिनर्स के साथ खेले। इसमें सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल मैच शामिल रहे। रोहित ने टी-20 विश्व कप में भी स्पिनर्स को ही प्रमुख हथियार बनाया था।
स्पिनर्स के बारे में रोहित ने कहा, "शुरुआत से ही हमारे स्पिनर्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन पर बहुत उम्मीदें होती हैं, लेकिन उन्होंने कभी निराश नहीं किया। पिच ने उनकी मदद की, और हमने इसका पूरा फ़ायदा उठाया। हमारी गेंदबाज़ी पूरे टूर्नामेंट में काफ़ी संतुलित रही। [चक्रवर्ती पर] उनके पास कुछ अलग ही क्वालिटी है। जब आप इस तरह की पिच पर खेल रहे होते हैं, तो आपको ऐसे गेंदबाज़ की ज़रूरत होती है। उसने टूर्नामेंट की शुरुआत नहीं की थी, लेकिन जब मौक़ा मिला तो विकेट निकाले। हमारे लिए यह फ़ायदेमंद साबित हुआ।"