अपनी 399वीं टेस्ट विकेट लेने के बाद 208 गेंदों के इंतज़ार के बाद नेथन लायन आख़िरकार 400 टेस्ट विकेट लेने वाले विश्व के 17वें गेंदबाज़ बन गए। 400 विकेटों का आख़िरी पड़ाव लायन के लिए थोड़ा संघर्षपूर्ण था - उन्होंने भारत के ख़िलाफ़ खेले गए चार टेस्ट मैचों में केवल नौ विकेट लिए और गाबा में भी उन्होंने एक लंबा इंतज़ार किया। हालांकि एक बार जब वह 400 के आंकड़े के पार पहुंचे तो उन्होंने अपनी विकेटों की सूची में तीन और विकेट जोड़ लिए।
17 गेंदबाज़ों की इस सूची में से सात स्पिनर हैं, जिनमें से पांच भारतीय उपमहाद्वीप के हैं। इसका मतलब है कि शेन वॉर्न के बाद लायन 400 टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे ग़ैर-एशियाई स्पिनर हैं। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि लंबे समय तक ऐसी पिचों पर खेलना जहां स्पिन के लिए ख़ास मदद नहीं होती है और पर्याप्त रूप से सफल होना बहुत मुश्किल है।
लायन ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत अपनी पहली गेंद पर एक विकेट के साथ की थी, और अपनी पहली पारी में उन्होंने पांच विकेट भी लिए थे। उनकी सफलता में काफ़ी हद तक निरंतरता और नियंत्रण की विशेषता है। 2011 से 2020 के बीच, उनकी वार्षिक औसत केवल दो बार 35 से अधिक रही है। (2021 में उनकी औसत 51.44 है, लेकिन यह इस साल उनका तीसरा ही टेस्ट मैच है)
400 विकेट का कीर्तिमान उसी निरंतरता का इनाम है। पिछले चार दशकों में, ग़ैर-एशियाई स्पिनरों के लिए लंबी अवधि में सफलता हासिल करना कठिन रहा है। 1980 के बाद से केवल चार गेंदबाज़ों ने 250 से अधिक विकेट लिए हैं, पांच ने 200 का आंकड़ा पार किया है, और सिर्फ़ सात ने 150 से अधिक विकेट लिए हैं। बेशक ऑस्ट्रेलिया में परिस्थितियां स्पिनर को उतनी मदद नहीं करती, जितनी वे इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड की पिचों पर करती हैं। हालांकि इन देशों में स्पिनरों का करियर आमतौर पर बहुत छोटा रहा है। हालांकि वॉर्न सफल साबित हुए क्योंकि वह काफ़ी प्रतिभाशाली थे।
ऑस्ट्रेलिया में स्थितियां आमतौर पर उंगलियों की स्पिन की तुलना में कलाई की स्पिन के लिए अधिक अनुकूल होती हैं। वहां अधिकांश पिचें उछाल प्रदान करती हैं लेकिन घुमाव नहीं मिलता। ऑस्ट्रेलिया के छह प्रमुख विकेट लेने वाले स्पिन गेंदबाज़ों में से पांच कलाई के स्पिनर हैं; इसमें लायन एक अपवाद हैं, जो उंगलियों के स्पिनर हैं।
लायन आम तौर पर चार गेंदबाज़ के संयोजन वाली टीम में खेले हैं, और उन्होंने लगभग एक चौथाई विकेट लिए हैं। उनकी टीम में अन्य उंगलियों के स्पिनरों की तुलना में 23.4 का उनका विकेट प्रतिशत एक बढ़िया आंकड़ा है। वॉर्न और स्टुअर्ट मैक्गिल का प्रतिशत उनसे अधिक है, लेकिन मैक्गिल ने केवल 44 टेस्ट खेले, जबकि ग्रैम स्वॉन ने इंग्लैंड के 60 टेस्ट मैचों में 25.9% विकेट लिए। आर अश्विन ने अपने द्वारा खेले गए 81 टेस्ट मैचों में भारत के लिए 31% विकेट लिए हैं, जबकि हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के लिए प्रतिशत क्रमशः 26.3 और 30.7 है। रंगना हेराथ ने 93 टेस्ट मैचों में श्रीलंका के 30% विकेट लिए, लेकिन मुथैया मुरलीधरन के 40.4% की तुलना में वे सभी संख्याएं फीकी पड़ जाती हैं।
इसके अलावा लायन की घरेलू औसत (32.87) बहुत प्रभावशाली नहीं दिखती है, ख़ासकर जब आप इसकी तुलना एशियाई स्पिनरों से करते हैं। लेकिन इसकी तुलना ऑस्ट्रेलिया के अन्य स्पिनरों की औसत से करें तो आपको पता चलता है कि उन्होंने कितनी दृढ़ता से बाक़ी सबको पछाड़ दिया है - घरेलू मैचों में बाक़ी स्पिनरों की औसत बढ़कर 62.09 हो जाती है। औसत का अनुपात 1.89 है, जिसका मतलब है कि वह घरेलू परिस्थितियों में अन्य स्पिनरों की तुलना में 1.89 गुना बेहतर है। साथ ही, उन्होंने इन मैचों में उन सभी स्पिनरों (182) की तुलना में अधिक विकेट लिए हैं (204)।
जिस दशक में लायन टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं, ऑस्ट्रेलिया स्पिनरों के लिए सबसे कठिन स्थानों में से एक रहा है। लायन के पदार्पण के बाद से न्यूज़ीलैंड को छोड़कर (50.18),ऑस्ट्रेलिया में सामूहिक रूप से स्पिनरों की औसत 46.64 है, जो सभी देशों में सबसे ख़राब है, जिन्होंने कम से कम पांच टेस्ट की मेज़बानी की है।
लायन अभी भी सिर्फ़ 34 साल के हैं और वह काफ़ी फिट भी नज़र आते हैं। जिस से यह साफ़ है कि वह आगे और भी ज़्यादा विकेट ले सकते हैं।