8 मई की रात लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) अपने होम ग्राउंड में अभ्यास कर रही थी। स्टेडियम में लगी बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाता है कि पंजाब किंग्स (PBKS) बनाम दिल्ली कैपिटल्स (DC) मुक़ाबला फ़्लडलाइट्स की तकनीकी ख़राबी के कारण रद्द कर दिया जाता है। ग्राउंड पर भी खिलाड़ियों में थोड़ी हलचल देखने को मिलती है और अगली सुबह तक यह साफ़ हो जाता है कि
IPL 2025 को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया है। ऐसे में LSG के सभी खिलाड़ी अपने घर को वापस चले जाते हैं, लेकिन LSG में शामिल जम्मू और कश्मीर के
अब्दुल समद समेत दो नेट गेंदबाज़ों के लिए ये सात दिन उनकी ज़िदगी के सबसे कठिन दिनों में से एक बन गए।
भारत-पाकिस्तान सीमा पार तनाव के कारण जम्मू-कश्मीर सहित उत्तर भारत के अधिकतर एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया था और सबसे प्रभावित इलाका जम्मू और कश्मीर का ही रहा। समद समेत दो नेट गेंदबाज़ उमर ख़ान और
अतिफ़ बिन मुश्ताक़ भी अन्य खिलाड़ियों की तरह अपने घर जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें लखनऊ में ही रूकना पड़ा।
इन तीनों के ही परिवारों ने इनको वापस लौटने से मना कर दिया था। ऐसे में इन तीनों ही खिलाड़ियों ने इस मुश्किल सप्ताह को लखनऊ के होटल हयात में काटा। हालात तनावपूर्ण होते जा रहे थे और ये तीनों पूरा दिन टीवी पर आंख गड़ाए और फ़ोन से अपने परिचतों से बातचीत कर उनके हाल-चाल ले रहे थे। मुश्किल ये भी थी कि तीनों के लिए लखनऊ में करने के लिए भी कुछ नहीं था। एक बार को इन तीनों का ही मन दिल्ली जाने को किया, लेकिन हालात बिगड़ता देख उनकी यह भी हिम्मत नहीं हो पाई।
समद तो वैसे जम्मू की कच्ची छावनी में रह रहे हैं, लेकिन इन तीनों ही खिलाड़ियों का संबंध सीमा से लगे शहर राजौरी से है। समद के परिवार के अधिकतर सदस्य अभी भी राजौरी के कालाकोट में रहते हैं।
वहीं नेट गेंदबाज़ दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ उमर ख़ान, राजौरी जिले के कोटरंका गांव से हैं। जम्मू और कश्मीर के लिए अंडर-19 और अंडर-23 खेल चुके उमर को पीर पंजाल एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता अय्यूब ख़ान सेना में थे और 1982 एशियन गेम्स में भारत के लिए कुश्ती में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। दूसरे नेट बॉलर, दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ मुश्ताक़ का संबंध भी राजौरी से ही है।
ESPNcricinfo से बातचीत में उमर ने कहा, "सीमा पर हालात मुश्किल हो गए थे और यहां लखनऊ में साथी खिलाड़ियों ने वापस लौटना शुरू कर दिया था। हमारे लिए मुश्किल यह थी कि जम्मू एयरपोर्ट बंद हो चुका था। अगर हम ट्रेन से भी जाते तो केवल जम्मू तक ही पहुंच पाते। उसके बाद राजौरी तक पहुंचने का केवल सड़क से ही साधन है। हमारे घर वालों ने भी हमसे वापस लौटने को मना कर दिया था।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने तो बचपन से ही राजौरी में सीज़फ़ायर का उल्लंघन होते देखा है। हमें इन सब मोर्टार की आदत है, लेकिन इस बार कुछ अधिक था। घर वाले भी वहां पर काफ़ी परेशान दिख रहे थे। हमारा लखनऊ में रहना मज़बूरी बन गया था। केवल फ़ोन ही एक जरिया था, जिससे मैं अपने परिवार से जुड़ा हुआ था। कई बार तो ऐसा होता था कि फ़ोन तक नहीं मिलता था।
"इन दिनों होटल ही हमारा घर बन गया, जहां पर हम जिम-पूल में रहकर समय बिताने को मज़बूर थे। शुरुआत में दो दिन यहां पर रहने के बाद जब मन नहीं लगा तो सोचा कि दिल्ली ही चला जाए, लेकिन हालात और ख़राब हो गए, जिससे फिर हमारी यह भी हिम्मत नहीं हुई। मेरे पिता सेना में रहे हैं और पांच भाईयों में मैं सबसे छोटा हूं, इसी वजह से परिवार को मेरी और भी अधिक चिंता थी। समय मेरा एक भाई सेना में रहते हुए असम में तैनात है और उसको भी परिवार की चिंता थी।"
दूसरी ओर मुश्ताक़ ने कहा, "मेरा घर राजौरी में है और वहां से LOC अधिक दूरी पर नहीं है। पहले सीमावर्ती इलाक़ों में मोर्टार गिरते थे, जिसकी हमने बचपन से ही आवाजें सुनी थी। लेकिन इस बार राजौरी, पुंछ, नौशेरा जैसे शहर भी निशाने पर थे। हालात राजौरी में पहुंचने लायक नहीं थे, क्योंकि ट्रेनों को भी पंजाब में ही रोक दिया जा रहा था और जम्मू एयरपोर्ट भी बंद था। हालात तो वहां ये थे कि वहां रहने वाले लोग ही वापस जम्मू की ओर जा रहे थे।"
IPL अब दोबारा शुरू हो चुका है। रविवार को समद पुराने दिनों की तरह नेट्स पर लंबे-लंबे छक्के लगा रहे थे। उमर और मुश्ताक़ पूरी ताक़त के साथ अभ्यास में गेंदबाज़ी कर रहे थे, इस उम्मीद में कि आने वाले समय में उनको भी किसी टीम में मौक़ा मिलेगा। लेकिन पिछले सात दिन उनके और उनके परिवार के लिए सबसे तनावपूर्ण दिनों में से एक रहें, जिसे वे जल्द से जल्द भूलना चाहेंगे।