पांच दिन के इस खेल में शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ अमूमन जोखिम लेने से बचते हैं,
सर्वाधिक रन,
सर्वाधिक शतक और
बेहतरीन औसत की सूचियों में उनका नाम शुमार होता है। हालांकि जायसवाल इस सूची में भी शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया में वह भारत के लिए अहम कड़ी साबित हो सकते हैं, लेकिन इससे पहले जायसवाल ने ऐसी चुनौती का सामना नहीं किया है।
जायसवाल को अगले पांच टेस्ट में एक ऐसे गेंदबाज़ी आक्रमण का सामना करना है जो कि घातक है और उसके भीतर गहराई भी है। एक साल से अधिक के अब तक के करियर में जायसवाल ने ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घर पर पांच टेस्ट मैच खेलने के अलावा वे साउथ अफ़्रीका भी गए। हालांकि वहां पर भारत को सिर्फ़ दो टेस्ट मैच ही खेलने थे। इन दो टूर्नामेंट की तुलना में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी अधिक चुनौतीपूर्ण रहने वाली है।
इस सप्ताह में पर्थ में पहुंचने के बाद से भारत के अभ्यास सत्रों में बल्लेबाज़ों को ऑस्ट्रेलिया की तेज़ और उछाल भरी पिचों का आदि होने पर ज़ोर दिया गया है। इसी क्रम में
केएल राहुल भी चोटिल हो गए हैं। पिछले तीन वर्षों में सिर्फ़ दो देश ही ऐसे हैं (जहां कम से कम दो टेस्ट खेले गए हों) जहां ऑस्ट्रेलिया (27.08) से कम रन बने हैं।
टेस्ट मैच में बल्लेबाज़ी वैसे भी आसान नहीं रहती है, ख़ास तौर पर जब लाल गेंद की चमक बरक़रार हो। यह बल्लेबाज़ विशेष पर निर्भर करता है कि वो आक्रमण शुरू करने के लिए गेंद की चमक जाने का इंतज़ार करता है या नहीं। हालांकि इस अवधि में ऑस्ट्रेलिया में नई गेंद और पुरानी गेंद के ख़िलाफ़ बने रनों की औसत में अधिक अंतर नहीं है। अगर मान लें कि गेंद 30 ओवर के बाद अपनी चमक खोना शुरू करती है तब ऑस्ट्रेलिया में नई गेंद के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी औसत 27.81 है जबकि पुरानी गेंद के ख़िलाफ़ 26.64 है।
यह ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ी आक्रमण के अनुशासन की गवाही है और जायसवाल ने IPL में कुछ गेंदों को छोड़कर अभी तक इस आक्रमण का सामना नहीं किया है। उनके लिए इस दौरे पर सीखने के लिए बहुत कुछ होगा। मंगलवार को ही जायसवाल WACA में इंडिया ए के नेट सत्र में शानुल हुए थे और उन्होंने एक गेंद को इतनी ज़ोर से मारा था कि वह मैदान के बाहर सड़क पर चली गई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि वह यहां अपनी शैली में बदलाव करने के मूड में नहीं हैं। अन्य लोगों की भी कुछ यही राय है।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर ने ESPNcricinfo के स्ट्रेट टॉक में कहा, "उनकी बल्लेबाजित में आग है। उनके पास ऐसा गेम है हो उन्हें ऑस्ट्रेलिया में सफलता दिला सकता है।"
जायसवाल की शैली ऐसी है कि अगर उन्हें पारी की पहली गेंद पर आक्रमण करने का मौक़ा मिले तो वह उसे गंवाते नहीं हैं। भले ही कोई 700 से अधिक विकेट ले चुका गेंदबाज़ गेंद डाल रहा हो या 150 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से गेंद आ रही हो, उनके खेलने का ढंग बदलता नहीं है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के एक लंबे और मुश्किल दौरे पर 22 वर्षीय जायसवाल भारत के लिए सबसे अहम खिलाड़ियों में से एक साबित हो सकते हैं। यहां तक कि ख़ुद ऑस्ट्रेलियाई भी इस बात से भली भांति परिचित हैं।
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर शेन वॉट्सन ने कहा, "उन्होंने तेज़ी से रन बनाए हैं। उन्होंने विपक्षी टीम को एक भी ऐसा मौक़ा नहीं दिया है कि वे उन्हें आउट करने में सक्षम हो सकें।" हालांकि
वॉट्सन ने यह बात न्यूज़ीलैंड सीरीज़ से पहले एक सवाल के जवाब में कही थी जब उनसे पूछा गया था कि क्या भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में चेतेश्वर पुजारा की कमी खलेगी।
वॉट्सन ने कहा था, "मुझे लगता है कि अगर इस तरह के बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया में आकर आक्रामकता के साथ खेलें और ख़राब गेंदों पर शॉट जड़कर ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाएं तब इसका भी कुछ वैसा ही असर होगा और इससे गेम को भी चलाने में मदद मिलेगी।"
जायसवाल ने 14 में से 10 टेस्ट घर पर खेले हैं, जिसमें 75.16 की औसत से 902 रन स्पिन के ख़िलाफ़ आए हैं वहीं उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ी के विरुद्ध 38.84 की औसत से 505 रन बनाए हैं। उन्हें शॉर्ट पिच गेंदबाज़ी पर आक्रमण करना पसंद है, जिसकी एक झलक उन्होंने पर्थ में इंडिया ए के ख़िलाफ़ मैच सिमुलेशन में भी दिखाई। हालांकि उन्हें लेंथ के आसपास रहने वाली गेंदों पर संभवतः काम करने की ज़रूरत है। जायसवाल 13 में से सात बार इसी लेंथ पर आउट हुए हैं और WACA में भी एक बार यही चीज़ हुई जब वह 15 के निजी स्कोर पर स्लिप में लपके गए। हालांकि उन्होंने एक बार फिर बल्लेबाज़ी की और 58 रन बनाए।
मांजरेकर ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया में जब तक गेंद पुरानी नहीं हो जाती तब तक आपको ड्राइव करने के लिए गेंद की पिच तक पहुंचना बेहद ज़रूरी होता है। लेकिन यशस्वी नई गेंद का सामना करेंगे, ऐसे में उन्हें ड्राइव करने के दौरान सावधानी बरतनी होगी क्योंकि यह उनके पसंदीदा शॉट में से एक है।"
मिचेल स्टार्क, जॉश हेज़लवुड और पैट कमिंस उन्हें बार बार यह ग़लती करने के लिए उकसाएंगे। नेथन लायन भी उन्हें चैन की सांस नहीं लेने देंगे, भले ही जायसवाल को वैसी गेंदें पसंद हैं जैसी कि लायन करते हैं लेकिन लायन को भी जायसवाल जैसे बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करने में मज़ा आता है। बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के विरुद्ध लायन की औसत 24.20 की है।
जायसवाल एक ऐसे बल्लेबाज़ हैं जिनकी सफलता टीम को सफलता दिला सकती है क्योंकि वह विपक्षी टीम की रणनीति और लय बिगड़ सकते हैं। लेकिन वह युवा हैं और अब से पहले वह कभी ऑस्ट्रेलिया नहीं गए हैं। जायसवाल के पास अपार संभावनाएं हैं और बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी का उनका अनुभव उन्हें आगे काफ़ी मदद करेगा।
अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में कंसल्टेंट सब एडिटर नवनीत झा ने किया है।