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तेज़ गेंदबाज़ों के लिए आदर्श लेंथ वह है जो ऑफ़ स्टंप को छूकर निकले - डेल स्टेन

इंग्लैंड में तेज़ गेंदबाज़ों के लिए सही लेंथ पकड़ना बहुत महत्वपूर्ण है

पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर के साथ ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो के कार्यक्रम 'ऑन द बॉल' में साउथ अफ़्रीका के तेज़ गेंदबाज़ डेल स्टेन ने बारीकी से समझया कि एक तेज़ गेंदबाज़ के लिए सही लेंथ पर गेंद डालना कितना अहम है। स्टेन के मुताबिक़, किसी भी बल्लेबाज़ को परेशान करने के लिए ऐसी लेंथ पर गेंद डाली जानी चाहिए जो ऑफ़ स्टंप के बिल्कुल ऊपर जाकर लगे।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच इंग्लैंड के साउथैंप्टन में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। बारिश से प्रभावित इस मैच में अब तक तेज़ गेंदबाज़ों का ही बोलबाला रहा है, न्यूज़ीलैंड के तेज़ गेंदबाज़ काइल जेमीसन ने तो अपनी स्विंग से भारतीय बल्लेबाज़ों को ख़ूब परेशान किया और पांच विकेट भी झटके।
स्टेन कहा कि ये इतना आसान नहीं होता क्योंकि हर मैदान पर उछाल और तेज़ी अलग-अलग होती है।
"गेंद कितना उछाल लेगी, कितनी नीचे रहेगी ये स्थिति हर मैदान के साथ-साथ बदलती रहती है, कहीं आपको उसी लेंथ से ज़्यादा उछाल मिलेगी तो कहीं गेंद ठीक उसी लेंथ पर गिरने के बाद नीचे रहेगी। और यह एक ऐसी चीज़ है जिसपर आपको मेहनत करनी होती है। आपका जहां मैच होने वाला हो, उस ग्राउंड पर थोड़ा पहले जाना चाहिए और फिर ख़ुद को तैयार करना चाहिए कि उस मैदान पर वह लेंथ कौन सी होगी जहां गेंद टप्पा खाकर ऑफ़ स्टंप के ऊपर जाकर लगे। अमूमन उस मैदान या स्टेडियम में आपको एक हफ़्ते पहले जाना चाहिए और कुछ वॉर्म अप मैच खेलने चाहिए ताकि एक अंदाज़ा मिल सके।"
डेल स्टेन ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए ये भी कहा कि बल्लेबाज़ के मुताबिक़ भी आपको अपनी लेंथ में परिवर्तन करना होता है और इसमें कभी-कभी प्वाइंट और स्क्वेयर लेग के फ़ील्डर की भूमिका भी अहम हो जाती है।
"हर बल्लेबाज़ों की एक अपनी अलग शैली होती है, जैसे कि भारतीय कप्तान विराट कोहली स्विंग को ख़त्म करने के लिए क्रीज़ से बाहर निकलकर खेलते हैं। ऐसे बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ जब आप अपनी लेंथ छोटी कर देते हैं तो फिर गेंद स्टंप्स पर जाकर नहीं लगती और वह ऊपर से निकल जाती है। इसलिए आपको ऐसा तरीक़ा खोजना होता है जिससे कि बल्लेबाज़ वापस क्रीज़ में जाकर खेलने को मजबूर हों जाएं। इसके लिए आपको दो या तीन ओवर का स्पेल शॉर्ट गेंद और बाउंसर के साथ डालना चाहिए। इसके लिए प्वाइंट या स्क्वेयर लेग पर खड़े खिलाड़ियों का रोल भी काफ़ी अहम होता है, जो मिड ऑफ़ या मिड ऑन के ज़रिए गेंदबाज़ तक ये संदेश पहुंचाते रहते हैं कि बल्लेबाज़ क्रीज़ के अंदर से खेल रहा है या बाहर निकलकर।"
स्टेन इन परिस्तिथियों में ख़ुद को कैसे ढालते थे और बल्लेबाज़ को कैसे परेशान करते थे, इसपर जवाब देते हुए कहा, "मैं हमेशा उस लेंथ को तलाशता था जहां से गेंद स्टंप्स पर जा कर लगे, ख़ासतौर से उस बल्लेबाज़ के लिए जो क्रीज़ पर नया हो ताकि मैं उसे ज़्यादा से ज़्यादा परेशान कर सकूं। इसके बाद मैं अपने लेंथ में परिवर्तन करते हुए थोड़ी पीछे करने लगता था, ताकि बल्लेबाज़ बैकफ़ुट पर जा सके और फिर अचानक से एक गेंद ऊपर की लेंथ में डालता था।"
जब संजय मांजरेकर ने इंग्लैंड में सफल होने का राज़ जानना चाहा तो स्टेन ने एक बार फिर लेंथ को अहम बताया और इसके लिए उन्होंने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ग्लेन मैक्ग्रा का उदाहरण दिया।
"आपको इंग्लैंड में पूरी तरह से अपनी लेंथ पर ही निर्भर रहना होता है, दरअसल, इंग्लैंड की पिच उतनी तेज़ नहीं होती लिहाज़ा जब आप शॉर्ट गेंद करते हैं तो हो सकता है बल्लेबाज़ तक वह रूक कर या थोड़ी धीमी पहुंचे। यही वजह है कि आपको यहां अपनी लेंथ से भटकना नहीं चाहिए, आप मैक्ग्रा को याद करें जो कभी भी अपनी लेंथ को बदलते नहीं थे और ज़्यादा से ज़्यादा वह ऊपर रखते हुए बल्लेबाज़ों को खेलने पर मजबूर करते थे। ऐसा लगता था कि वह अपनी हर एक गेंद से बल्लेबाज़ को परेशानी में डाल रहे हैं।"

सैयद हुसैन ESPNcricinfo हिंदी में मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं। @imsyedhussain