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राशिद ख़ान पर अभिषेक शर्मा के प्रहार से वेटोरी को किसकी याद आई?

गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ खेली गई अभिषेक की पारी उनकी यादगार पारियों में से एक है

अभिषेक शर्मा गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ जब बल्लेबाज़ी करने आए तब वह आईपीएल 2022 में पावरप्ले के दौरान सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की सूची में तीसरे पायदान पर थे। हालांकि इस दौरान उनके 120 का स्ट्राइक रेट ज़्यादा साफ़ तस्वीर दिखाता है। ज़ाहिर तौर पर, अभिषेक जल्दी अपना विकेट नहीं देने के इरादे से खेल रहे हैं।
सीज़न के शुरुआती दौर में सनराइज़र्स हैदराबाद के मुख्य कोच टोम मूडी ने कहा था लोग अभिषेक शर्मा को बेहद जल्दी जज कर रहे हैं कि 21 वर्षीय युवा बल्लेबाज़ अपनी टीम के लिए कई मैच जिताऊ पारियां खेलेगा। राशिद ख़ान की गेंदों पर जिस तरह से अभिषेक ने प्रहार किया, उसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनर्स में से एक राशिद ख़ान की 15 गेंदों पर अभिषेक शर्मा ने ताबड़तोड़ 35 रन ठोक डाले। जिसमें तीन लंबे छक्के और एक गुगली गेंद पर कवर के ऊपर से लगाया गया चौका भी शामिल था।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो टाइम आउट पर बात करते हुए डैनियल वेटोरी ने कहा कि अभिषेक ने जिस तरह का खेल दिखाया, उस खेल में संयम साफ़ तौर पर झलक रहा था। विटोरी ने अभिषेक शर्मा के इंटेंट की प्रशंसा करते हुए कहा, "उन्होंने लेंथ को बखूबी पिक किया। आप महान खिलाड़ियों और उनकी लेंथ पिक करने की क्षमता की बात करते हैं, जैसे ही राशिद ख़ान ने फुलर गेंद की वह टूट पड़े। उन्होंने तीनों छक्के गेंद की पिच तक पहुंच कर लगाए। सिर्फ़ क्रिस गेल और सुरेश रैना राशिद के ख़िलाफ़ इस तरह की बल्लेबाज़ी किया करते थे और ऐसा उनकी गेंद पर पहुंचने की क्षमता की वजह से संभव हो पाता था।"
वेटोरी ने आगे कहा, "हालांकि मामला सिर्फ़ राशिद की ओवर पिच गेंदों का नहीं है, क्योंकि अन्य बल्लेबाज़ राशिद की ओवर पिच गेंदों को भी मिस कर रहे थे। मैं यह सोचता हूं कि वह कितने स्थिर थे, जब भी राशिद ने लेंथ मिस की, अभिषेक ने उन गेंदों का भरपूर फ़ायदा उठाया और जब भी शॉर्ट गेंद मिली उसे कवर की तरफ़ पंच भी किया। इसके साथ ही उन्होंने सिंगल निकालने में भी कोई कोताही नहीं बरती।"
क्या अभिषेक शर्मा को राशिद ख़ान का सामना करने में उनकी टीम के सहयोगियों ने मदद की होगी? उन्होंने सनराज़र्स के लिए चार सीज़न(2019-22) साथ में खेले। इस सवाल के जवाब में क्रिस लिन ने कहा, "मेरे ख़्याल से जब आप राशिद ख़ान जैसे गेंदबाज़ का सामना करते हैं, तो आपकी पूरी कोशिश होती है कि उन्हें गेम से बाहर रखा जाए। विशेषकर ऐसी परस्थिति में जब उन्हें पहले दो ओवर में विकेट हासिल नहीं हुआ हो, तब आपको उनकी गेंदों पर प्रहार करने का लाइसेंस मिल जाता है। जब राशिद पहले दो ओवरों के भीतर विकेट झटक लेते हैं, तब वह ख़तरनाक हो जाते हैं। फील्ड में बदलाव किया जाता है, और फील्ड के साथ-साथ आपकी मनस्थिति भी बदल रही होती है। इसलिए आप बिना विकेट के 30 या 35 रन देखते हैं और यह एक जीत है।"
वेटोरी ने भी ज़ोर देते हुए कहा, "आप अमूमन दो बल्लेबाज़ों को यह चर्चा करते हुए सुनते हैं कि मैं इस गेंदबाज़ को नहीं खेल सकता, दूसरा बल्लेबाज़ इस गेंदबाज़ पर आक्रमण कर सकता है। आप यह समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों है? वह भी तब जबक दोनों ही समान बल्लेबाज़ होते हैं। शायद यह अलग-अलग गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ उनके आत्मविश्वास की वजह से होता है। अभिषेक शर्मा ने इसे नेट्स से प्राप्त किया होगा या चर्चाओं से मिले अनुभव के कारण ऐसा हुआ हो, शायद राशिद ख़ान के ख़िलाफ़ अभिषेक शर्मा अधिक आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाज़ी कर सकते थे। इसी वजह से एक समय पर अभिषेक शर्मा आत्मविश्वासी हो गए, लेकिन वाक़ई यह एक शानदार पारी थी।"
अभिषेक शर्मा की पारी ने सनराइज़र्स द्वारा बनाए गए 185 रनों के लिए एक मंच तैयार किया। अभिषेक शर्मा ने इस सीज़न का दूसरा और आईपीएल करियर का अपना छठा अर्धशतक जड़ा। इस सीज़न में अब उनके खाते में 131 के स्ट्राइक रेट से 285 रन हो गए हैं, जिसने उन्हें इस सीज़न सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की सूची में पांचवें पायदान पर पहुंचा दिया है।
क्रिस लिन ने अभिषेक शर्मा की निर्भीकता की तारीफ़ करते हुए कहा, "वह युवा हैं और निडर हैं। उनके भीतर असफलता का कोई भय नहीं है। दूसरी तरफ़ ड्रेसिंग रूम में ऐसे भी खिलाड़ी होते हैं, जिनसे आप किसी ऐसे गेंदबाज़ की चर्चा करते हैं जिनका वह सामना नहीं कर पाते, तो वह काफ़ी असहज हो जाते हैं। लिहाज़ा ऐसे किसी खेल से पहले अभिषेक शर्मा की तैयारी और उनके ज़हन को पढ़ना काफ़ी दिलचस्प होगा।"
क्रिस लिन ने कहा, "मैंने दूसरे छोर बहुत सारे ऐसे बल्लेबाज़ों का सामना किया है, जिनसे अगर आप यह पूछेंगे कि क्या वह गेंद को पिक कर पाए, तो वह यह नहीं बता पाएंगे। वह सिर्फ़ गेंद को उसी तरह से खेलते हैं जैसे गेंद उन्हें दिखाई देती है, वह गेंद की चिंता नहीं करते। उन्हें सिर्फ़ इस बात की चिंता रहती है कि वह गेंद को बल्ले के बीच से ही मारें, क्योंकि उन्हें पता होता कि बाउंड्री को क्लियर करने के लिए वह काफ़ी मज़बूत हैं।"