आंद्रे सिद्धार्थ को CSK के साथ खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन वहां के अनुभव से वह समृद्ध हुए • BCCI
तमिलनाडु के किशोर बल्लेबाज़ सी आंद्रे सिद्धार्थ के लिए पिछला घरेलू सीज़न उतार-चढ़ाव से भरा रहा। अपने पहले रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में, उन्होंने तमिलनाडु को नॉकआउट तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी और 12 पारियों में 68 की औसत से 612 रन बनाए थे।
18 साल की उम्र में वह वैभव सूर्यवंशी के बाद IPL 2025 की नीलामी में चुने जाने वाले दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के साथ करार किया। इससे पहले 2024 के अंत में उन्होंने दुबई में भारत अंडर-19 टीम के लिए अपना डेब्यू किया था।
पिछले रणजी सीजन में उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें पहली बार दलीप ट्रॉफ़ी में जगह दिलाई। पिछले महीने 19 साल के हुए सिद्धार्थ इससे संतुष्ट नहीं हैं और और अपने लिए ऊंचा लक्ष्य रखना चाहते हैं।
सिद्धार्थ ने चेन्नई में प्री-सीज़न बुची बाबू टूर्नामेंट के दौरान CSK हाई परफॉर्मेंस एकेडमी में बात करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि मेरा [2024-25] सीज़न अच्छा रहा। मेरे लिए सबसे बड़ी बात यह थी कि मेरी उम्र में मैंने 600 रन बनाए। मैं खुश था लेकिन थोड़ा निराश भी। मुझे पता था कि मैंने पांच अर्धशतक बनाए, लेकिन अगर मैं दो-तीन शतक बना लेता, तो मुझे ज्यादा संतोष होता। इसलिए मैं पिछले सीज़न से थोड़ा निराश हूं।"
हालांकि सिद्धार्थ को IPL 2025 में CSK के लिए खेलने का मौक़ा नहीं मिला, लेकिन एक अभ्यास सत्र में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से हुई बातचीत ने उन्हें बड़े स्कोर बनाने की भूख दी।
सिद्धार्थ ने कहा, "जब हम अभ्यास के दौरान वानखेड़े [मुंबई] में थे, तो उन्होंने [धोनी] मुझसे बस इतना कहा कि 'शांत रहो'। मुझे लगा कि ये सब कहते हैं। लेकिन उन्होंने समझाया कि शांत रहने के साथ-साथ सबसे जरूरी है अपने दिमाग़ को खाली रखा जाए। दिमाग़ खाली रखना बहुत मुश्किल है और अगर आप फ़ॉर्म में नहीं हैं तो यह और भी मुश्किल हो जाता है।
"तो यह मानसिक ताक़त की बात है। आपको रनों के लिए भूखा रहना होगा। मैं संतुष्ट नहीं हो सकता। उदाहरण के लिए, मैंने बुची बाबू टूर्नामेंट में महाराष्ट्र के खिलाफ 111 रन बनाए। मैं संतुष्ट नहीं था। मैं उस दिन दोहरा शतक बनाना चाहता था।"
अनुभवी विजय शंकर के तमिलनाडु से त्रिपुरा जाने के बाद इस सीज़न में सिद्धार्थ को मध्यक्रम में ज़्यादा ज़िम्मेदारी मिल सकती है। उन्होंने पूर्व भारतीय खिलाड़ियों रॉबिन सिंह [कंसल्टेंट] और टी कुमारण, जो अब राज्य टीम के नए गेंदबाजी कोच हैं, के साथ TNCA अकादमी में तैयारी की है।
सिद्धार्थ ने कहा, "क़रीब एक महीने पहले हमने TNCA में एक कैंप लगाया था। मैंने रॉबिन सिंह और टी कुमारण सर के साथ ट्रेनिंग की और इससे मेरे खेल में सुधार हुआ। उन्होंने मुझे कुछ चीजें बताईं जिन पर काम करना था और इसका असर मेरे खेल में दिख रहा है। इसमें तीनों पहलू शामिल थे- बल्लेबाज़ी, फ़िटनेस और फ़ील्डिंग।"
"दलीप ट्रॉफ़ी खेलना फिलहाल मेरे दिमाग़ में नहीं है, लेकिन किसी के लिए भी यह अच्छा अनुभव होगा। मेरे लिए यह बात अधिक महत्वपूर्ण है कि मैं कैसे सुधार करूं और अपनी कमियों को दूर करूं क्योंकि मुझे पता है कि दलीप ट्रॉफ़ी से ज़्यादा अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना और रणजी ट्रॉफ़ी जीतना मेरे लिए ज़्यादा ज़रूरी है।"
सिद्धार्थ ने अब तक केवल आठ प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, लेकिन उन्होंने परिस्थितियों के अनुसार अपनी बल्लेबाजी को ढालने का ज़ज्बा और मानसिकता दिखाई है।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि खेल का मानसिक पहलू किसी भी स्किल से ज्यादा ज़रूरी है। मैंने ख़ुद को अभ्यास में मुश्किल परिस्थितियों में डाला है, चाहे फ़िटनेस हो या फ़ील्डिंग। मुझे लगता है कि इसका असर मेरे मैचों में दिख रहा है। [अपने क्लब मैच में], मैंने एएम जैन [चेन्नई के कॉलेज ग्राउंड] पर [नंबर 11] संदीप वॉरियर के साथ 30 गेंदें खेलीं।
"उस समय मुझे डिफ़ेंस करना था और मैच बचाना था। महाराष्ट्र के ख़िलाफ़ [बुची बाबू टूर्नामेंट में], मुझे पता था कि मुझे आक्रामक खेलना है। [जम्मू-कश्मीर के ख़िलाफ़], स्थिति ऐसी थी कि मुझे सिर्फ़ टीम के लिए खेलना था। अब मुझे लगता है कि मैं रणजी ट्रॉफ़ी के लिए तैयार हूं।"
CSK के साथ IPL सीज़न के बाद सिद्धार्थ अपनी नई TNPL टीम लाइका कोवई किंग्स से जुड़े, लेकिन उनके लिए मुश्किल सीज़न रहा। उन्होंने सात पारियों में 107.37 की स्ट्राइक रेट से केवल 131 रन बनाए। उन्होंने इसे सहजता से लिया और महसूस किया कि उतार-चढ़ाव दोनों को संभालना सीख लिया है।
उन्होंने कहा, "हां, मेरा TNPL अच्छा नहीं गया। लेकिन यह सिर्फ समय की बात थी और मैंने इसे समझ लिया। मैं इस अनुभव के लिए आभारी हूं। CSK के साथ ट्रेनिंग के बाद मेरी फ़िटनेस, फ़ील्डिंग और बल्लेबाज़ी में काफी सुधार हुआ है। अगर मैं गिरावट के बारे में ज़्यादा सोचूंगा, तो बतौर क्रिकेटर और इंसान दोनों तरह से नहीं बढ़ पाऊंगा। यही मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं।"
हैदराबाद के ख़िलाफ़ चेन्नई में बुची बाबू फ़ाइनल में तमिलनाडु के लिए खेलने के दो दिन बाद सिद्धार्थ साउथ ज़ोन टीम के साथ दलीप ट्रॉफ़ी फ़ाइनल के लिए बेंगलुरु जाएंगे। हालांकि दलीप फ़ाइनल खेलना सिद्धार्थ के लिए एक और उपलब्धि होगी, लेकिन उनका मुख्य लक्ष्य तमिलनाडु को रणजी ट्रॉफी जिताना है।
सिद्धार्थ ने कहा, "दलीप ट्रॉफ़ी खेलना फिलहाल मेरे दिमाग़ में नहीं है, लेकिन किसी के लिए भी यह अच्छा अनुभव होगा। मेरे लिए यह बात अधिक महत्वपूर्ण है कि मैं कैसे सुधार करूं और अपनी कमियों को दूर करूं क्योंकि मुझे पता है कि दलीप ट्रॉफ़ी से ज़्यादा अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना और रणजी ट्रॉफ़ी जीतना मेरे लिए ज़्यादा ज़रूरी है।"
"तमिलनाडु अभी भी घरेलू क्रिकेट में एक मज़बूत टीम है। पिछले दो-तीन सालों से हम [नॉकआउट के लिए] क्वालिफ़ाई कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इस साल हम कप जीत सकते हैं। तमिलनाडु के लिए ट्रॉफ़ी जीतना ही मेरा मुख्य लक्ष्य है।"