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क्यों साउथ अफ़्रीका वनडे सीरीज़ को छोड़कर टी20 लीग को प्राथमिकता दे रहा है ?

क्या साउथ अफ़्रीका विश्व कप नहीं खेलना चाहता?

South Africa celebrate clean sweeping India 3-0, South Africa vs India, 3rd ODI, Cape Town, January 23, 2022

साउथ अफ़्रीका के लिए 2023 वनडे विश्व कप में जगह बनाने का मार्ग और कठिन हो गया है  •  AFP/Getty Images

क्रिकेट साउथ अफ्रीका (सीएसए) ने ऑस्ट्रेलिया में तीन वनडे अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने से इनकार किया है और इससे क्रिकेट में एक बार फिर 'क्लब बनाम देश' विवाद पर बात छिड़ गई है। यह विवाद इस महीने के अंत में होने वाली आईसीसी की वार्षिक आम बैठक में भी सामने आ सकता है, जब आगे के समय के लिए भविष्य के दौरे (एफ़टीपी) पर भी बात होनी है।
फ़ुटबॉल और रग्बी में होने वाली इस चर्चा का अब क्रिकेट में भी होना सामान्य होगा। जैसे-जैसे टी20 लीग को तवज्जो मिलेगी वैसे ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए समय निर्धारित करना मुश्किल होता जाएगा। क्या ऐसा भी हो सकता है कि एक दिन द्विपक्षीय क्रिकेट पूरी तरह से ओझल हो जाए? और क्या ऐसा हुआ तो इस प्रक्रिया में साउथ अफ़्रीका का रोल याद किया जाएगा?
सीएसए ने क्या किया है और क्यों?
सीएसए ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ तीन वनडे की सीरीज़ से अपना नाम वापस ले लिया है और याद रखिए कि पिछले मार्च ऑस्ट्रेलिया ने ख़ुद साउथ अफ़्रीका में तीन टेस्ट खेलने से मना कर दिया था। यह वनडे अहम इस कारण से भी थे कि इनकी गिनती वनडे सुपर लीग में होती। फ़िलहाल साउथ अफ़्रीका अगले वर्ष होने वाले विश्व कप में सीधे क्वालीफ़िकेशन की दौड़ से बाहर 11वें स्थान पर है। इस सीरीज़ को ना खेलने से इसके अंक ऑस्ट्रेलिया को मिलेंगे जो अभी आठवें स्थान पर है। साउथ अफ़्रीका के पास इसके बाद शीर्ष के आठ टीमों में स्थान बनाने के लिए आठ वनडे मैच ही होंगे। ऐसे में अगले साल के क्वालिफ़ायर में एक मज़बूत टीम का होना लगभग तय है।
बात यह है कि सीएसए अगले साल एक नई टी20 फ्रैंचाइज़ी लीग शुरू करने वाला है। इस लीग का आयोजन जनवरी में होना है जब ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध तीन वनडे खेले जाने थे। सीएसए का उद्देश्य है इस नए लीग को आईपीएल के बाद दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित और धनदायक लीग बनाना। छह टीमों के लिए टेंडर बुधवार तक ही बांटे जाएंगे और उम्मीद जताई जा रही है कि टीम बनाने के इच्छुक लोगों में बड़े व्यापारी और कुछ आईपीएल टीम के मालिक भी शामिल हैं। इस लीग को चलाने में पूर्व आईपीएल सीओओ सुंदर रमन और साउथ अफ़्रीका का सुपरस्पोर्ट नेटवर्क का हाथ होगा। लीग की अनुमानित आय से सीएसए भारत के विरुद्ध द्विपक्षीय क्रिकेट खेलने पर अधिक निर्भरता से आज़ाद हो जाएगा लेकिन ऐसा होने के लिए साउथ अफ़्रीका के टॉप सफ़ेद गेंद खिलाड़ियों का खेलना अनिवार्य होगा।
अच्छा, इतना पैसा?
अप्रैल में सीएसए के एक कामकाजी दस्तावेज़ के अनुसार यह लीग चार साल में शुरुआती लागत की भरपाई कर लेगी और पांचवे साल से मुनाफ़ा देने लगेगी। पहले 10 साल में अनुमानित लागत है 56 मिलियन डॉलर (क़रीब 450 करोड़ रुपये) जबकि आमदनी होगी 119 मिलियन डॉलर (लगभग 950 करोड़ रुपये) यानी मुनाफ़ा होगा 63 मिलियन डॉलर (लगभग 500 करोड़ रुपये) जो द्विपक्षीय क्रिकेट से मुमकिन फ़ायदे से कहीं अधिक है।
यह तो केवल सीएसए के फ़ायदे की बात थी। खिलाड़ियों को भी डॉलर में वेतन मिलेंगे, जो मौजूदा समय में घरेलू क्रिकेट या अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने पर रैंड में मिलने वाली राशि से कहीं ज़्यादा होगा। संक्षेप में यह टी20 लीग सीएसए के लिए पैसे कमाने का सबसे बेहतर तरीक़ा है। मौजूदा समय में सिवाय भारत के किसी और देश के ख़िलाफ़ द्विपक्षीय सीरीज़ से बोर्ड को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता। 2019-20 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की मेज़बानी के बावजूद सीएसए के खाते में घाटा ही अर्जित हुआ था।
फिर भी, विश्व कप में ना खेलना एक बड़ी बात नहीं?
आर्थिक दृष्टिकोण से विश्व कप ना खेलने से बहुत बड़ा घाटा नहीं होता। भागीदारी शुल्क और अन्य अनुमोदन में आप सिर्फ़ दो मिलियन डॉलर (लगभग 16 करोड़ रुपये) गंवाएंगे। हालांकि ऐसा होने से भविष्य में प्रायोजक ढूंढने का काम कठिन बन सकता है।
वैसे भी विश्व कप को आप केवल वाणिज्य में नहीं तोल सकते। कई खिलाड़ी हर चार साल होने वाली इस प्रतियोगिता के अनुसार अपने करियर की योजना बनाते हैं। साउथ अफ़्रीका के विशेष संदर्भ में यह प्रतियोगिता और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 1992 में पहली बार इसका हिस्सा बनने के बाद से इस टीम ने कभी विश्व कप नहीं जीता है। 2023 के बाद 2027 में साउथ अफ़्रीका विश्व कप की मेज़बानी करेगा और सीएसए सीईओ फ़ोलेट्सी मोसेकि के अनुसार 2023 के लिए क्वालिफ़ाई ना कर पाना किसी "आपदा" से कम नहीं होगा।
इन गतिविधियों पर खिलाड़ियों की क्या राय है?
ऐसा समझा जा रहा है कि राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में वनडे खेलने को उत्सुक तो थे लेकिन उन्हें इस स्थिति में अपने बोर्ड के साथ खड़े रहने की ज़रूरत समझ में आती है। साउथ अफ़्रीका क्रिकेटर्स एसोसिएशन और उसके अंतर्राष्ट्रीय अध्याय 'फ़ीका' ने कई बार आईसीसी से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट और घरेलू टी20 क्रिकेट के बीच तालमेल बिठाने में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सीएसए की लीग उसी समय आयोजित होगी जब यूएई टी20 और ऑस्ट्रेलियाई बीबीएल चल रहे होंगे। बोर्ड को उम्मीद है कि बेहतर खिलाड़ियों के होने से उनकी लीग यूएई टी20 से बेहतर ध्यान आकर्षित कर पाएगी और साथ ही टाइम ज़ोन अलग होने से बीबीएल से भी ख़तरा कम होगा। देखने वाली बात यह होगी कि फ़ाफ़ डुप्लेसी जैसे फ़्री एजेंट किस को चुनेंगे - बीबीएल या सीएसए की लीग? ऐसे सवाल का जवाब कुछ ही दिन में मिलेगा और इससे यह भी साफ़ पता चलेगा कि विश्व क्रिकेट में इस लीग को किस नज़र से देखा जा रहा है।
अच्छा इससे विश्व क्रिकेट पर क्या असर होगा?
भाई, असर तो बहुत बड़ा होगा।
अगले साल जनवरी में सीएसए टी20, यूएई टी20 और बीबीएल हैं तो फ़रवरी-मार्च में पीएसएल। इसके बाद मार्च से मई में होगा आईपीएल। जून और जुलाई में द हंड्रेड के बाद अगस्त में सीपीएल भी आयोजित होगा। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए सिर्फ़ सितंबर से दिसंबर का समय मिलेगा और ज़ाहिर सी बात है कुछ क्रिकेट के प्रारूप काफ़ी हद तक घटाए जाएंगे।
वनडे सुपर लीग 50 ओवर क्रिकेट को और रोचक और सार्थक बनाने के लिए शुरू की गई थी लेकिन साउथ अफ़्रीका के इस फ़ैसले ने दर्शाया है कि इससे भी टीमों का समर्थन कोई तय बात नहीं है। अगर सुपर लीग अगले चरण में शामिल ना हो तो वनडे क्रिकेट विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफ़ी और उसके अभ्यास मैचों तक ही सीमित रह सकता है।
ज़ाहिर है इसका असर अन्य प्रारूपों पर भी पड़ेगा। हो सकता है द्विपक्षीय टी20 क्रिकेट में कटौती हो ताकि अधिक घरेलू लीग खेले जा सके। टेस्ट क्रिकेट का भविष्य और भी दयनीय हो सकता है अगर यह केवल 'बिग थ्री' तक ही सीमित रह जाए। आईसीसी के सभी सदस्य टेस्ट क्रिकेट की ओर प्रतिबद्धता का आश्वासन ज़रूर देते हैं लेकिन अगर इसमें कोई मुनाफ़ा ही नहीं बचे तो कौन इसका संरक्षक बनेगा?
ऐसा हो सकता है आगे चलकर टीमें अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कार्यक्रम का समय बदल दे। साउथ अफ़्रीका अपने सीज़न को अगस्त में शुरू करते हुए नए साल के टेस्ट तक ख़त्म करने की सोच रहा है ताकि लीग के लिए समय मिले। ऑस्ट्रेलिया भी अगले साल से ऐसा कुछ करेगा।
विश्व क्रिकेट बुनियादी तौर पर बदलने वाला है। वेस्टइंडीज़ जैसे टीम में केंद्रीय अनुबंध को लेकर विवाद कई सालों से आम बात रही है। हाल ही में इंग्लैंड और भारत जैसी टीमों ने एक ही समय में अलग प्रारूप में दो टीमों के चयन से भी एक नया रास्ता दिखाया है। लेकिन सीएसए के इस फ़ैसले में पहली बार ऐसा हुआ है कि बीसीसीआई के अलावा किसी और बोर्ड ने अपने आर्थिक लाभ को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से आगे रखते हुए एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट पर असर डालने का जोखिम उठाया है। आप कतई नहीं कह सकते कि क्रिकेट में यह एक बड़ा परिवर्तन नहीं है।

फ़िरदौस मूंडा ESPNcricinfo की साउथ अफ़्रीकी संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।