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हरमनप्रीत कौर : 'दबाव झेलने का अनुभव समय के साथ ही आता है'

मुंबई इंडियंस की कप्तान टूर्नामेंट के तीसरे सीज़न का इंत़जार कर रही हैं, जिसे उनकी टीम ने पहले सीज़न में जीता था

Harmanpreet Kaur scythed 52 unbeaten runs in 27 balls, India vs Sri Lanka, ICC Women's T20 World Cup, Dubai, October 9, 2024

Harmanpreet Kaur इस सीज़न फ‍िर अपनी टीम को ख़‍िताब जिताना चाहेंगी  •  ICC via Getty Images

महिला प्रीमियर लीग का तीसरा सीज़न ज्‍़यादा दूर नहीं है और यह इस साल के अंत में भारत में होने वाले वनडे विश्व कप से लगभग आठ महीने पहले आएगा। इस साक्षात्कार में, भारत और मुंबई इंडियंस की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने WPL की शुरुआत के बाद से भारत में महिला खेल के विकास, भारतीय क्रिकेट में इसकी कमी को पूरा करने, भारत बड़े टूर्नामेंटों के लिए खिलाड़ियों को कैसे तैयार कर रहा है आदि के बारे में बात की।
सबसे पहले तो, WPL के पहले दो सीज़न कैसे रहे आपके हिसाब से और इस बार आपको क्या उम्‍मीदें हैं
पहले सीजन में काफ़ी सारे घरेलू क्रिकेटरों ने अच्छा किया और बाद में उनको अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में मौक़ा मिला। दूसरे सीज़न में कुछ और खिलाड़ी हमें मिले। इस सीज़न घरेलू स्‍तर के जो खिलाड़ी हैं उन्होंने काफ़ी मेहनत की है और इस बार नीलामी में काफ़ी प्रतिस्‍पर्धा थी। काफ़ी अच्छे रेट पर खिलाड़‍ियों को ख़रीदा गया। वो जो उन्होंने अपना बेंचमार्क सेट किया और फिर उसके ऊपर कड़ी मेहनत की तो वो देखना काफ़ी रोचक था और इस सीज़न सारी की सारी टीम में काफ़ी संतुलन है, काफ़ी अच्‍छे खिलाड़ी चुने गए हैं। इस सीज़न काफ़ी अच्छे मैच होंगे और जैसे पिछले दो सीज़न में काफ़ी रोचक मैच देखने को मिले इस बार भी देखने को मिलेंगे।
पिछले दो सीज़न में क्या सबसे ज्‍़यादा हाइलाइट्स रहे आपके लिए टूर्नामेंट में?
जो भी हमने अच्छे मैच जीते हैं वही हाइलाइट्स थी। मैच जो ऐसे लग रहे थे की एक तरफ़ा हो गए हैं, हम नहीं जीत सकते और फिर हमने वापसी की और जीते। काफ़ी सारे प्रदर्शन थे और काफ़ी सारी यादें हम लोग इकट्ठी कर पाए। तो इस सीज़न और भी ज्‍़यादा यादें इकट्ठी करने की कोशिश करेंगे।
क्या ज्‍़यादा मुश्किल था, पहले सीज़न में एक नई टीम को लीड करके ट्रॉफ़ी जीतना या दूसरे सीज़न में उसको डिफेंड करने की कोशिश करना जब आपसे उम्‍मीदें थी?
दूसरा सीज़न अधिक चुनौतीपूर्ण रहा क्योंकि पहले सीज़न में काफ़ी सारी चीज़ें हम लोग अच्छी कर रहे थे। लेकिन दूसरे सीज़न थोड़ा सा अप एंड डाउन रहा, फिर हमने कमबैक करने की कोशिश भी की। दूसरा सीज़न और चुनौतीपूर्ण था तो उन चीज़ों को देखते हुए हमने ये सीज़न काफ़ी सारी चीज़ाें के ऊपर काम भी किया है और खिलाड़ी बदलाव भी किए हैं। तो उम्‍मीद है इस सीज़न वो सारी चीज़ों को कवर करेंगें जो दूसरे सीज़न में मिस की और बेहतर क्रिकेट खेलने की कोशिश करेंगे।
पिछले सीजन के एलिमिनेटर में आप लोग केवल पांच रन से रह गए थे। तब मैच के बाद आपने कहा था की बाकी खिलाड़ी संभाल नहीं पाए थे। युवा खिलाड़ियों को ऐसी दबाव भरी परिस्थिति में बहतर करना कैसे सीखा सकते हैं क्योंकि नेट्स में मैच दबाव और बाकी चीज़ें आप पैदा नहीं कर सकते।
देखिए अनुभव समय के साथ ही आता है क्योंकि अगर आप बोलो की एक दम से दो मैच में आपको वो अनुभव आने वाला है और उसी तरह की परिस्थिति आने वाली है तो वह मुमकिन नहीं है। लेकिन हमारी यही बात रहती है की अगर आप देखो तो टॉप पांच से छह बल्‍लेबाज़ अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की क्रिकेट खेलते हुए आ रहे हैं चाहे वह भारतीय हों या विदेशी। लेकिन उसके बाद पूरे ही घरेलू स्‍तर के प्लेयर्स है। वो वहां से अच्छा प्रदर्शन देकर आए हैं इसी वजह से वो टीम में हैं। लेकिन अगर मौक़े नहीं मिलते तो उनके लिए यही होता है कि हम लोग कोशिश करते हैं की उनको ओपेन नेट कराएं, उनको परिस्थिति में डालें, उनको उस परिस्थिति की प्रैक्टिस करवाएं। ताकि एकदम से उनके सामने ये परिस्थिति अगर आती हैं तो उसको अच्छे से कैसे मैनेज कर सकते हैं।
तो वो सारी चीजें दिमाग़ में रहती हैं और प्रैक्टिस भी रहती है। लेकिन जब ये मैच खेल रहे होते हैं, उसका अनुभव और प्रैक्टिस अनुभव एकदम जुदा है। पर वो समय के साथ ही आता है और वो चीज़े हमें भी पता हैं की हमने ग़लतियां की और उनसे सीखा है और सीखते-सीखते आज इस स्‍तर पर पहुंचे। लेकिन इस सीज़न हमने चीज़ों को और बेहतर से समझा है और बतौर क्रिकेटर खु़द और अपनी टीम में कैसे सुधार कर सकते हैं। ये जो बाक़ी दिन हैं हमारे सामने वो पूरे टाइम को हम लोग इस्‍तेमाल करना चाहेंगे कि उसमें अपने आपको बेहतर क्रिकेटर बनाए और परिस्थिति के हिसाब से कैसे क्रिकेट खेलना है हम लोग और अच्छे से कर पाए।
WPL में पांच में से तीन कप्‍तान तो बाहर के रहे हैं। इस बार एलिसा हीली नहीं हैं, वो अलग बात है। क्‍या आपको लगता है कि आने वाले समय में ज़्यादा से ज़्यादा इंडियन प्लेयर्स कप्‍तान बने?
देखिए हर फ़्रैंचाइज़ क्रिकेट का एक अपना नज़रिया होता है, अपनी सोच होती है और वो चीज़ें हमारे हाथ में नहीं है, हमारे कंट्रोल में नहीं है। लेकिन आइडियली तो सब चाहते हैं कि भारतीय खिलाड़ि‍यों को आगे लाएं आर उनको और ज़िम्मेदारी मिलनी चाहिए लेकिन सबका अपना अपना सोच होती है। मेरे लिए अच्छा है कि मुझे यहां मुंबई इंडियंस में ये मौक़ा मिला। मैं यही देखती हूं कि यहां जितने भारतीय खिलाड़ी हैं उनके साथ कैसे अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में मदद कर सकती हूं और जितने हमारे विदेशी क्रिकेटर हैं उनके साथ मिलकर हम लोग कैसे अपने क्रिकेट को सुधार कर सकते है। यही कोशिश रहती है कि हम सब साथ रहे, बेहतर क्रिकेट खेलें।
अगर WPL में इंडियन प्लेयर्स को कप्‍तानी करने का मौका मिलता तो वो बतौर क्रिकेटर बहुत सुधार करते। कहीं ना कहीं फ़्रैंचाइज़ को इंडियन प्लेयर्स पर और भरोसा दिखाना चाहिए और उनको और मौक़ा देना चाहिए और आगे लाना चाहिए। जब मैं WBBL और हंड्रेड में थी तो मैं भी वहां अपने कप्‍तानों को मदद करती थी। तो अगर फ़्रैंचाइज़ से और मदद मिले इंडियन प्लेयर्स को तो वो भी सुधार करेंगी।
पिछले WPL के दौरान अमोल मुज़ूमदार ने कहा था कि इंडियन टीम मैनेजमेंट कोशिश कर रही है की इस लीग से तेज़ गेंदबाज़ों का एक पूल बनाया जाए। पर अभी तक जो गेंदबाज़ WPL से इंडियन टीम तक पहुंची हैं वो ज़्यादातर स्पिनर्स है। तो कैसे एक तेज़ गेंदबाज़ों का पूल बनाया जा सकता है जब सिस्टम से ज़्यादातर स्पिनर्स ही आते हैं?
देखिए तेज़ गेंदबाज़ी खेमा ऐसा खेमा है जिसमें आपके पास जितने प्लेयर्स होंगे उतने कम लगते हैं। कार्य प्रबंधन इनका बहुत ऊंचा रहता है और बैक टू बैक क्रिकेट खेलते हैं और चोट लगने के चांस बहुत ज्‍़यादा रहते हैं। तो हमेशा यही माइंडसेट रहता हैं की जितने ज्‍़यादा तेज़ गेंदबाज़ खिलाड़ी हमें मिले हमारे लिए अच्छा रहता हैं। लेकिन अगर हम लोग इंडियन क्रिकेट की बात करें तो ज़्यादातर स्पिनर्स ही देखने को मिलते हैं क्योंकि पिच वैसी पहले से चलती हुई आ रही हैं और वहां स्पिनर्स को ज़्यादा विकेट मिलती हैं और वो एक कारण है स्पिनर्स को ज्‍़यादा आगे मौक़ा भी मिलता हैं। लेकिन अभी एक माइंडसेट वैसे बदला गया है इंडियन क्रिकेट में, ख़ासकर महिला सर्किट में कि अब सिर्फ़ प्रदर्शन के ऊपर आप प्लेयर्स को पिक मत करे और टीम की ज़रूरत क्या हैं उन चीज़ों को भी दिमाग़ में रखा जा रहा है।
इन चीजों के ऊपर हम लोग काम कर रहे हैं। राष्‍ट्रीय क्रिकेटर अकादमी में भी अगर आप देखो तो कोशिश करते हैं कि कैंप हो, तेज़ गेंदबाज़ बुलाएं, उनको ट्रेनिंग दें। हर एक टीम मैनेजमेंट ये चाहता है कि हमारी टीम जीते और इनको वो प्लेयर्स चाहिए जो उनको मैच जिताए और इसमें स्पिनर्स ही मैच जिताने वाले है। तो वो कहीं ना कहीं पेसर्स के लिए वो चीज़ एक मिस हो जाती है लेकिन फिर भी एक कोशिश की जाती है कि उन प्लेयर्स को एनसीए बुलाया जाए, उनको वहां पर ट्रेनिंग कराएं और इस सीज़न काफ़ी सारे तेज़ गेंदबाज़ पिक हुए हैं और मुझे उम्‍मीद है कि वो लोग अच्छा करेंगे और इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए अच्छा होगा कि हम अगर ज्‍़यादा प्रतिस्‍पर्धा पैदा कर पाएं।
इस बार का विश्व कप भारत में ही है तो फिर से फोकस स्पिनरों पर ही रहेगा, लेकिन इस बार प्रारूप अलग है, पिछली बार का WPL टी20 विश्‍व कप के पहले था, इस बार वनडे विश्‍व कप है। तो इस पर भी आपकी एक नज़र रहेंगी कि बाक़ी टीमों से कौन सी लड़कियां अच्छी कर रही हैं और इनको शायद मौक़ा दिया जाए।
जी हां, क्योंकि मेरा मानना ये है कि अगर इस स्‍तर पर कोई भी क्रिकेटर अच्छा करता है तो उसमें कुछ ना कुछ ख़ासियत तो है। लेकिन प्रारूप बिल्‍कुल अलग है। ये टी20 है और विश्‍व कप वनडे है लेकिन कहीं ना कहीं अगर इस स्‍तर पर आकर इस दबाव को संभाल सकते है तो वो किसी भी स्‍तर पर जाकर दबाव को संभाल सकते हैं। हम टी20 क्रिकेट भी खेलते है, वनडे भी खेलते हैं और टेस्ट क्रिकेट भी खेलते है लेकिन सबसे अहम यही होता है कि जब आप इस स्‍तर की क्रिकेट खेल रहे हो, तो आप इस दबाव को संभाल कर पा रहे हो या नहीं। अगर कुछ खिलाड़ी ऐसे देखने को मिले जो इस स्‍तर पर अपने आपको अच्छे से संभाल कर पा रहे है और टीम को जि‍ता रहे हैं तो मुझे लगता है क्‍यों नहीं उनको मौक़ा मिले और उनको मौक़ा मिले देश के लिए अच्‍छा करने का।
टी20 इतना बदल गया है और इतनी फ़्रैंचाइज़ लीग भी हैं। क्या उस चीज़ ने आपको कभी सोचने पर मजबूर किया है कि शायद अपनी कप्‍तानी थोड़ी बदली जाए, ये देखते हुए कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड कैसे खेलती हैं?
देखिए हर एक टीम के अपने पॉज़िटिव होते है और अपने अपने एरियाज होते है जहां पर आपको बतौर टीम सुधार करना चाहिए। जो ब्रांड ऑफ़ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड खेलती है, हमारा पूरा अलग है और एक रात में चीज़ें नहीं बदल सकती। एकदम से सारी चीज़ें चेंज करना प्लेयर्स के लिए भी अच्छा नहीं रहेगा। लेकिन उसके साथ-साथ पिछले दो तीन साल में चीज़ें बहुत चेंज हो रही है क्योंकि इससे पहले हमारे पास सिर्फ़ एक ही प्लेटफ़ॉर्म था, घरेलू स्‍तर क्रिकेट और वहां से उनको अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में लेकर आते थे जब तो बतौर कप्‍तान और सपोर्ट स्टाफ़ का बहुत ज्‍़यादा मुश्किल काम होता था, क्‍योंकि उस खिलाड़ी को अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार करना होता था। क्योंकि घरेलू क्रिकेट के बाद अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट खेलने में एक बड़ा गैप है।
उस गैप को कवर करने के लिए अभी हमारे पास WPL है। इस सीज़न में अगर आप देखो तो टीम में काफ़ी सारे जो चेंजस आए हैं और टीम ने कही ना कही से टैलेंट को पकड़ा है और अपनी टीम में लाया है। वो काफ़ी मदद करेगा क्योंकि अभी कम से कम अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर और घरेलू स्‍तर क्रिकेट में जो एक गैप था वो WPL ने ज़रूर भरा है।
अभी प्लेयर्स को उतना तैयार नहीं करना पड़ता। सिर्फ़ इतना होता है कि प्लानिंग XI चेंज करनी है, प्लेयर रोल्स बनाने हैं। लेकिन पहले बहुत अलग था। पहले हम को प्लेयर्स को ज़्यादा मैचेज़ देने पड़ते थे, और इससे टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ता था।
क्या WPL की वजह से नए प्लेयर्स का माइंडसेट भी चेंज हुआ है? क्या इस आर्थिक फ़ायदे की वजह से प्लेयर्स और तैयार होकर आती हैं, जैसे स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग पर काम करके, डाइट पर काम करके?
जी हां, बिल्कुल। इस सीज़न मैंने घरेलू सीज़न को काफ़ी नज़दीक से देखा है कि कैसे प्लेयर्स अपने आप को सुधार करके आए हैं। इस साल जो हमारा घरेलू क्रिकेट हुआ है वो अच्छे लेवल का क्रिकेट था। पहले टीम मुश्किल से 200 या 250 रन बना पाती थी वनडे क्रिकेट में। इस सीज़न 300 भी बने हैं और टीम ने लक्ष्‍य का पीछा भी किया है। WPL ने एक स्टैंडर्ड तो सेट किया है कि आपको ऊपर के लेवल का क्रिकेट खेलना है तो अपने में कुछ बदलाव तो लाने पड़ेंगे। WPL से एक प्लेयर को जब कांट्रॅक्ट मिलता है तो वो अपने पर स्पेंड कर सकते है। लेकिन उससे पहले घरेलू क्रिकेट में वो इतना कमा नहीं पाते थे। हम उनसे उतनी उम्‍मीद नहीं कर सकते थे कि हर प्लेयर अपने आप पर उतना ख़र्चा कर पाएगा कि नहीं। WPL और फ़्रैंचाइज़ क्रिकेट आने के बाद टीम ध्‍यान रख रही है। फ़्रैंचाइज़ क्रिकेट आने के बाद अच्छे क्रिकेटर्स पूरा साल व्‍यस्‍त रह सकते हैं। वो चीज़ें प्लेयर्स को काफ़ी मदद की हैं और आगे और भी क्रिकेट धीरे-धीरे सुधरेगा।
दिसंबर में आपने एक सीरीज़ के पहले कहा था की इंडियन टीम एक जगह जो पीछे रह गई है वो है प्लेयर्स का माइंडसेट, जो वो बड़े मैच में चूक जाते हैं। इंडियन टीम में वो आप कैसे बेहतर करने को देख रही हैं?
देखिए वो ओवर दी ईयर ही आएगी। उसके लिए पहली चीज़ होती है कि आपको कई मैच मिले। जब एक प्लेयर जिला या राज्‍य स्‍तर पर खेलता है, उसको कितने मैच मिल रहे हैं और कितने टाइम वो उसी स्थिति में होता है यह देखना होगा। अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में परिस्थिति वैसे बार-बार आएगी। लेकिन राज्‍य स्‍तर पर वो कितनी बार आती है? वो भी ज़रूरी है। अभी WPL की वजह से यहां पर रोज़ आप मैच सिनेरियो खेल रहे हो, ओपन नेट्स कर रहे हो।
जब सब टीवी पर देख रहे है तो बहुत आसान होता है कहना कि ऐसा या वैसा होना चाहिए था। लेकिन ये काफ़ी ज़रूरी है कि क्या उस प्लेयर को उस परिस्थिति में खेलने का कितना अनुभव है। पुरुष क्रिकेट में अगर आप देखो उनको IPL खेलते हुए 10 से ज्‍़यादा साल हो चुके हैं, तो उन्होंने कितनी बार उन चीज़ों का अनुभव किया है। लेकिन एक लड़की ने वो कितनी बार अनुभव किया है, कितनी बार उस चीज़ से बाहर आई है, वो बहुत मायने रखता है। अभी आने वाले दो तीन साल में बहुत क्रिकेट है और जो चीज़ें हम पिछले 2-3 साल से मिस कर रहे हैं इस सीज़न वो चीज़ें हम काफ़ी देखने वाले हैं। इस बार सारी टीम अच्छी हैं, नज़दीक मैच होंगे और वही टीम जीतेगी जो उस परिस्थिति को हैंडल कर पाएगी। काफ़ी सारी चीज़ें हमें इस सीज़न टीम को जिताने में मदद करेंगी और हम लोग जो हर्डल बोलते हैं उसके लिए ये सीज़न प्‍लेयर्स की काफ़ी मदद करेगा।
जब आप इंडिया का डोमेस्टिक पूल देखती है तो अब आपको क्या लगता है कि अगले कुछ साल में एक दो टीम बढ़ाने का भी समय आ गया है WPL में?
देखिये इस सीज़न में काफी सारे अच्छे प्लेयर अनसोल्ड गए हैंं, अंतर्राष्‍ट्रीय तो आपको आसानी से मिल जाएंगे तो राज्‍य स्‍तर के जो प्लेयर थे, अगर उनको भी मौक़ा मिलेगा तो कहीं ना कहीं इंडियन क्रिकेट को बहुत फ़ायदा होगा। हो सकता है अगले सीज़न हम शायद एक और टीम जोड़ सकते हैं और आने वाले समय में धीरे-धीरे और टीम जोड़ सकते हैं। प्लेयर्स तो है, क्योंकि पहले भी हमेशा लोग कहते थे कि प्लेयर्स नहीं हैं, तीन से ज्‍़यादा टीम नहीं बन पाएगी, लेकिन पांच टीमें भी बन पाई। पांच से छह भी हो सकती है और 1-2 साल के बाद सात भी हो सकती हैं और आने वाले समय में 10 भी हो सकती है। यह बस मौक़ा देने के बारे में है। अगर आप मौक़ा दोगे तो प्‍लेयर के लिए जॉब विकल्‍प खुलेंगे। फुल टाइम क्रिकेटर् बनने का मौक़ा मिलेगा। तो कहीं ना कहीं आपको सुधार भी दिख जाएगा। मौक़े मिलने चाहिए, मिलेंगे तो अपने आप प्लेयर्स आएंगे।

विशाल दीक्षित ESPNcricinfo में असिस्‍टेंट एडिटर हैं।