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धीमे ओवर रेट के लिए अतिरिक्त फ़ील्डर की पेनाल्टी अब वनडे मैचों में भी

आईसीसी ने गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है

Cricket as seen through the branches in Malahide, Ireland vs New Zealand, 1st ODI, Dublin, July 10, 2022

यह नियम अगले साल वनडे सुपर लीग की समाप्ति के बाद लागू होंगे  •  Sportsfile/Getty Images

टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में धीमे ओवर रेट से गेंदबाज़ी करने के लिए लगाए गए दंड के नियम को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने अब वनडे क्रिकेट में भी लागू करने का निर्णय लिया है। निर्धारित समय में पूरे नहीं किए गए ओवरों के दौरान फ़ील्डिंग टीम को एक अतिरिक्त फ़ील्डर को 30 गज़ के घेरे में रखना होगा। यह नियम अगले साल वनडे सुपर लीग की समाप्ति के बाद लागू होगा।
इस साल जनवरी में आईसीसी ने पुरुषों और महिलाओं के टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में यह नियम लागू किया था, जहां अगर फ़ील्डिंग टीम निर्धारित समय रहते पारी का अंतिम ओवर शुरू करने की स्थिति में नहीं होती है, उसे एक अतिरिक्त फ़ील्डर को 30 गज़ के घेरे में लाना पड़ता है। इसका अर्थ यह था कि टीम केवल चार खिलाड़ियों को सीमा रेखा पर तैनात कर सकती थी। अब यह नियम वनडे मैचों में भी लागू होगा।
अपने नए खेल नियमों की सूची में आईसीसी ने गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाने का फ़ैसला किया है। इससे पहले कोरोना महामारी के चलते अस्थायी रूप से यह रोक लगाई गई थी। इसके अलावा :
  • अगर किसी बल्लेबाज़ को किसी गेंद को खेलने के लिए पिच से बाहर जाना पड़ रहा है तो ऐसी गेंदों को नो बॉल करार किया जाएगा। साथ ही जब गेंदबाज़ गेंद डालने के लिए दौड़ रहा है, फ़ील्डिंग टीम का कोई भी खिलाड़ी 'अनुचित और जानबूझकर' एक जगह से दूसरी जगह हिल नहीं सकता। अगर कोई खिलाड़ी ऐसा करता है तो अंपायर गेंद को डेड बॉल करार करने के साथ-साथ बल्लेबाज़ी टीम को पांच अतिरिक्त पेनाल्टी रन दे सकते हैं।
  • एमसीसी की सिफ़ारिशों की तरह आईसीसी के यह नियम में नॉन स्ट्राइकर के रन आउट, जिसे पहले गेंद डालने से पहले गेंदबाज़ के गेंद को नॉन स्‍ट्राइकर के क्रीज़ से बाहर निकलने र गेंद टकराने को रन आउट की संज्ञा कहा जाता था, उसे "अनुचित खेल" अनुभाग से हटाकर "उचित खेल" अनुभाग में रखा गया है।
  • गेंदबाज़ों को अब डिलीवरी पूरी करने से पहले स्ट्राइकर के छोर पर गेंद फेंकने की अनुमति नहीं होगी। पहले गेंदबाज़ क़दमों का इस्तेमाल कर क्रीज़ से बाहर निकले स्ट्राइकर बल्लेबाज़ को आउट करने के लिए एक्शन में जाने से पहले गेंद को स्टंप्स की ओर फेंक सकता था। अब ऐसा करने पर गेंद को डेड-बॉल माना जाएगा।
इनमें से अधिकांश बदलाव इस साल मार्च में एमसीसी द्वारा खेल के अपने कानूनों में पेश किए गए थे, जो इस साल के अंत में लागू होने वाले हैं।
एक और बदलाव यह आएगा कि दोनों टीमों की मंज़ूरी होने पर पुरुषों और महिलाओं के वनडे और टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में हाइब्रिड पिचों के उपयोग को अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में हाइब्रिड पिचों का उपयोग केवल महिलाओं के टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में किया जा सकता है, जैसा कि बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में देखा गया था।