धर्मशाला टेस्ट: क्या पाटीदार अधिक दुर्भाग्यशाली रहे हैं?
शॉट पर नियंत्रण और फ़ाल्स शॉट के आंकड़े तो कुछ यही कह रहे हैं
कार्तिक कृष्णस्वामी
02-Mar-2024
पाटीदार अपने छोटे से करियर में लगातार असफल हुए हैं • Getty Images
गेंद जब बल्ले के बीचो-बीच लगती है, तो बल्लेबाज़ को एक अलग ही रोमांच की अनुभूति होती है। इसे गेंद को मिडिल करना कहते हैं। अगर आप टेनिस बॉल क्रिकेट भी खेले हैं, तो भी आपको इस रोमांच का अनुभव हुआ होगा। टेस्ट क्रिकेटर भी ऐसा ही महसूस करते हैं।
रजत पाटीदार ने राजकोट टेस्ट के पहले दिन इसी अनुभव को महसूस किया होगा, जब मार्क वुड की पांचवें स्टंप की बैक ऑफ़ लेंथ गेंद को उन्होंने अपने एक पंजे पर खड़े होकर कवर की दिशा में पंच किया था। यह सब कुछ टाइमिंग का खेल था और उनको अपने पैर अधिक चलाने ही नहीं पड़े थे।
अगर आप क्रिकेट खेले हैं तो आपको पता होगा कि आप कई बार ख़राब गेंदों पर भी आउट हो सकते हैं या ऐसी गेंद जो पिच से फंसकर आई हो और फिर बल्लेबाज़ को फंसा गई हो। पाटीदार के साथ भी ऐसा हुआ और वह टॉम हार्टली की पिच से फंसकर आती गेंद को कवर में कैच दे बैठे।
32, 9, 5, 0, 17, 0.
ये पाटीदार के इस सीरीज़ की छह पारियों में किए गए स्कोर हैं, जो उन्होंने 10.5 की औसत से बनाए हैं। वह कुछ अच्छी गेंदों पर आउट हुए हैं, इसके अलावा कुछ डिसमिसल ऐसे भी थे, जो गेंद के अच्छी तरह मिडिल होने के बाद स्टंप पर जा लगे। सभी बल्लेबाज़ों को अपने करियर में ऐसे दिन देखने पड़ते हैं। पाटीदार के साथ बस इतना है कि ये चीज़ें उनके डेब्यू सीरीज़ में हो रही है।
जब कोई बल्लेबाज़ ख़राब फ़ॉर्म से गुजरता है, तो उसके तकनीक और टेंपरामेंट पर सवाल उठने लगते हैं। पाटीदार के मामले में उनका 40 का प्रथम श्रेणी औसत भी सवाल खड़े करता है।
भारत यह सीरीज़ जीत चुका है। केएल राहुल और विराट कोहली अभी भी अनुपस्थित हैं। उन्हें रणजी ट्रॉफ़ी सेमीफ़ाइनल में मध्य प्रदेश के लिए रिलीज़ भी नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि उन्हें धर्मशाला टेस्ट में एक और मौक़ा मिल सकता है।
इसका कारण बिल्कुल साफ़ है। भारत ने उनमें कुछ निश्चित स्किल देखे हैं और तभी उन्हें टेस्ट टीम में लाया गया है। तीन ख़राब मैचों के बाद उनमें अभी भी निश्चित रूप से वे स्किल होंगे, जिसकी मदद से उन्होंने इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ लगातार दो मैचों में इंडिया ए के लिए शतक लगाए थे।
इस सीरीज़ में पाटीदार के भाग्य ने भी उनका साथ नहीं दिया है, जो आप ऊपर के ग्राफ़ से भी समझ सकते हैं। इस सीरीज़ में कम से कम 100 गेंद खेलने वाले भारतीय बल्लेबाज़ों में सिर्फ़ शुभमन गिल, ध्रुव जुरेल और अक्षर पटेल ही ऐसे भारतीय बल्लेबाज़ हैं, जिनका शॉट पर नियंत्रण पाटीदार के 89.02% से कुछ अधिक है। हालांकि पाटीदार उन दुर्भाग्यशाली बल्लेबाज़ों में से एक हैं, जो बीट होने के बाद सबसे कम फ़ाल्स शॉट पर आउट हुए हैं। पाटीदार ने इस सीरीज़ में 18 फ़ाल्स शॉट खेले हैं, जिसमें उन्हें छह बार पवेलियन जाना पड़ा है। इसका मतलब है कि हर तीसरे मिसजज किए गए शॉट पर उन्हें अपने विकेट गंवाने पड़े हैं।
ऊपर के ग्राफ़ से आप यह भी देख सकते हैं कि श्रेयस अय्यर और केएस भरत का बल्लेबाज़ी पर नियंत्रण सबसे कम है और ये दोनों अब एकादश से बाहर हैं। हालांकि पाटीदार को अब भी टीम में रखा गया है, इसका मतलब है कि टीम प्रबंधन भी प्रोसेस पर नज़र रख रहा है ना कि रिज़ल्ट पर। संभवतः उन्हें भी पता है कि पाटीदार ने अच्छी बल्लेबाज़ी की है और बस भाग्य उनके साथ नहीं रहा है।
ऐसा भी हो सकता है कि पाटीदार को धर्मशाला में अंतिम एकादश में जगह ना मिले और अपने शानदार हालिया घरेलू फ़ॉर्म की मदद से देवदत्त पड़िक्कल डेब्यू कर जाए। लेकिन टीम प्रबंधन को भी पता है कि पाटीदार के ख़राब आंकड़ों के कारण उनकी प्रतिभा को नकारा नहीं जा सकता, जिसके कारण उन्हें टीम में लाया गया था।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं