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जैसबॉल से मिलिए : एक ऐसा बल्‍लेबाज़ जिससे नज़रें नहीं हटती

टेस्‍ट करियर की शुरुआत में ही मुंबई स्‍कूल की बल्‍लेबाज़ी के प्रोडक्‍ट यशस्‍वी जायसवाल अपनी बल्‍लेबाज़ी के तगड़े शॉट्स की झलकी दिखा चुके हैं

Yashasvi Jaiswal leaps in celebration after bringing up his double hundred, India vs England, 3rd Test, Rajkot, 4th day, February 18, 2024

दोहरा शतक जमाने के बाद जायसवाल  •  Getty Images

दुनिया भर की संस्कृतियों में यह धारणा बनी हुई है कि किसी की प्रशंसा करना बुरी नज़र को बुलावा दे सकता है।
रविवार की शाम रोहित शर्मा को भी इस विश्‍वास का हिस्‍सा बना पाया गया, जब उनसे इंग्‍लैंड के ख़‍िलाफ़ चल रही सीरीज़ में यशस्‍वी जायसवाल के रनों से भरे सफ़र के बारे में पूछा गया। उनसे यह सवाल राजकोट में पुरस्‍कार समारोह में पूछा गया।
उन्‍होंने कहा, "मैं उसके बारे में बहुत कुछ बोला है। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि ड्रेसिंग रूम के बाहर भी लोग उसके बारे में बात कर रहे होंगे। मैं उसको लेकर शांत रहना चाहता हूं, उसके बारे में अधिक नहीं बोलना चाहता।"
उनसे यही सवाल दोबारा से पत्रकार वार्ता में पूछा गया।
रोहित ने कहा, "मैं जायसवाल पर कुछ नहीं कहूंगा। हर कोई उसके बारे में बात कर रहा है। उसको खेलने दो। वह अच्‍छा खेल रहा है और यह हमारे लिए अच्‍छा है और वह अच्‍छी लय में है। मैं उसके बारे में अधिक कुछ नहीं कहना चाहता। इतना बस है अभी के लिए।"
इन क्षणों में रोहित किसी क्रिकेट टीम के कप्तान नहीं लग रहे थे, बल्कि एक प्रतिभाशाली बच्चे के चिंतित माता-पिता लग रहे थे जो अत्यधिक प्रशंसा के अनजाने अभिशाप के बारे में चिंतित थे।
आप रोहित के प्रति सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि जायसवाल उस तरह के खिलाड़ी हैं। इतना अच्छा, उनके बारे में बात करना ग़लत लगता है। लड़के को रहने दो। उसे इसमें लगे रहने दो। बस देखें और आनंद लें, नहीं?
यह भावना, इसमें कोई संदेह नहीं कि रोहित के अलावा कई अन्य लोगों द्वारा साझा की गई है, शायद यह उन नामों का भी परिणाम है, जिन्हें जायसवाल की हालिया उपलब्धियों ने डॉन ब्रैडमैन और विनोद कांबली के साथ जोड़ा है। एक ऐसा करियर जो इतना उत्पादक है कि किसी से कभी भी इसकी बराबरी करने की उम्मीद नहीं की जाएगी। इन दो में से एक का करियर भी उभार पर था लेकिन एक निराशा के साथ ख़त्‍म हुआ, कांबली जो बायें हाथ के बल्‍लेबाज़ ही थे और मुंबई के ही थे। जो साधारण शुरुआत के साथ आए थे और टेस्ट क्रिकेट में रनों की तीव्र भूख और छक्के मारने का शौक दोनों लेकर आए थे।
ब्रैडमैन और कांबली। तो फिर, एक उज्ज्वल शुरुआत तो बस एक शुरुआत है।
लेकिन जायसवाल ने क्‍या शुरुआत की है। उन्‍होंने सात टेस्‍ट खेले हैं और 71.75 की औसत से 861 रन बना डाले हैं। वह पहले ही तीन बड़े शतक लगा चुके हैं, 171, 209, 214* हर शतक पिछले शतक से बड़ा था और हर शतक दूसरे से अलग था।
डोमिनिका में डेब्‍यू पर प्रयास उल्लेखनीय था क्योंकि यह धीमी पिच पर कितना साधारण दिखाई दिया था। डोमिनिका की धीमी पिच पर जहां अन्‍य भारतीय बल्‍लेबाज़ टाइमिंग को लेकर संघर्ष कर रहे थे, वहीं वह समय ले रहे थे, परिस्थिति के हिसाब से खेल रहे थे, एक के बाद एक मील के पत्थर तक पहुंचे और प्रत्‍येक पिछले की तुलना में बेहतर था। यह एक ऐसी पारी थी जिसकी आपने विराट कोहली से उम्मीद की होगी, जिन्होंने परिस्थितियों को देखते हुए अपनी पहली बाउंड्री लगाने के लिए 80 गेंदें लीं, लेकिन शायद 21 वर्षीय नवोदित खिलाड़ी से यह उम्‍मीद नहीं की होगी।
इसके बाद पिछले दो सप्‍ताह में उन्‍होंने दो दोहरे शतक लगाए, एक पहली पारी में, जो अगर नहीं बनता तो भारत मुश्किल में होता। उन्‍होंने टीम के 396 रन का 53 प्रतिशत रन बनाए, जिससे तीसरी पारी में भारत को बड़ी बढ़त मिली।
शायद कुछ भी यह नहीं दर्शाता कि दोनों पारियों में इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों के ख़‍िलाफ़ अपनाए गए तरीक़ों की तुलना में ये दो दोहरे शतक कितने अलग थे।
विशाखापटनम में उन्‍होंने जेम्‍स एंडरसन की 67 गेंद खेली और केवल 17 रन बनाए। राजकोट में 39 गेंद एंडरसन और मार्क वुड की खेली और 61 रन बनाए। स्‍ट्राइक रेट के मामले में वह एक पारी में 25.37 से दूसरी पारी में 156.41 तक पहुंच गए।
जो शॉट उन्‍होंने राजकोट में चौथे दिन खेले वह उनके किटबैग में पहले से ही हैं : द फ़ालिंग स्‍कूप, गुड लेंथ गेंद पर आगे निकलकर मारना, घुटनों पर बैठकर मारना। भारत के पिछले प्रभावी बायें हाथ के बल्‍लेबाज़ ऋषभ पंत की बात करें तो घरेलू टेस्‍ट में उन्‍होंने भी एंडरसन पर एक रिवर्स स्‍कूप लगाया था, इस पारी में भी ऐसे एक या दो शॉट थे। ऐसा लगता है कि जायसवाल पूरी सीरीज़ में अपनी पूरी रेंज दिखाए बिना सीरीज़ निकाल सकते थे।
आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर पंत को वास्तव में ऐसा करना ही पड़ा तो वह लगातार पांच गेंदें छोड़ देंगे, लेकिन चौथी गेंद छोड़ते ही आप अपनी कुर्सी से उठ जाएंगे और फ़र्श पर टहलने लगेंगे। जब जायसवाल ने अपनी पहली पारी में जेसन होल्डर के लगातार पांच गेंद छोड़े, तो आप शायद अपने स्‍नैक के साथ कुर्सी पर बैठकर क्रिकेट ही देख रहे होंगे।
कुछ खिलाड़ी इतने अच्‍छे होते हैं कि आप उनसे आंखे नहीं हटा सकते हैं। कुछ इतने अच्छे हैं कि अक्सर ऐसा करते हैं, इस निश्चितता के साथ कि जब आप अपने फ़्रीज से लौटेंगे तब भी वे बल्लेबाज़ी कर रहे होंगे।
जायसवाल दोनों तरह के बल्‍लेबाज़ हो सकते हैं, लेकिन वह अधिकतर दूसरे वाले हैं। वह बांबे स्‍कूल और राजस्‍थान रॉयल्‍स स्‍कूल के प्रोडक्‍ट हैं और उस सीख ने उन्‍हें बहुत बड़ा कौशल प्रदान किया है। इस स्‍तर पर ऐसा लगता है कि अगर आप उन्‍हें किसी भी स्थिति में भेजते हैं और उम्‍मीद करते हैं कि वह अधिक कुछ सोचे बिना सही चुनाव करेंगे तो यही होगा।
वह स्पष्टता और निश्चितता बिल्‍कुल आंशिक रूप से उनके फ़ॉर्म का परिणाम है, और तथ्य यह है कि उच्चतम स्तर पर एक बल्लेबाज़ के रूप में उन्‍हें अभी तक कोई वास्तविक झटका नहीं लगा है। यह भविष्‍य में जरूर आएगा। उनको देखकर यह सोचना मुश्किल है कि उन्‍हें इससे उबरने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा।
हालांकि, अभी के लिए, उन्‍हें ऐसे ही रहने देना शायद सबसे बुद्धिमानी होगी। देखें और बस आनंद लें।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सहायक एडियोटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।