इस अनादर्श दुनिया में न्यूज़ीलैंड को मजबूरन एक अनुचित सौदे का अधिकतम लाभ उठाना पड़ा
इस कोरोना काल में तीन बड़ी टीमों छोड़कर बाक़ी जगह पर टेस्ट क्रिकेट का सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ है
सिद्धार्थ मोंगा
24-Nov-2021
महामारी जैसे संकट विकास की प्रक्रिया को तेज़ कर सकते हैं। जो लोग "योग्यतम" से कहीं भी नीचे हैं, उन्हें बने रहने के लिए अनुकूल होना पड़ता है और अक्सर समझौता करना पड़ता है। बिग थ्री (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) के बाहर टेस्ट क्रिकेट उसी प्रक्रिया से गुज़र रहा है।
इंग्लैंड भी ऐशेज़ शुरू होने के तीन सप्ताह पहले ऑस्ट्रेलिया में दो टीम बनाकर एक दूसरे के साथ खेल रही है। भारत ने अपनी पहली पसंद के टेस्ट खिलाड़ियों को इंडिया ए के साथ साउथ अफ़्रीका के दौरे पर भेजा। विश्व टेस्ट चैंपियन न्यूज़ीलैंड भी 14 नवंबर को यूएई में टी20 विश्व कप फ़ाइनल खेलने के बाद अपनी नंबर एक टेस्ट रैंकिंग को बचाने एक ऐसी टीम के ख़िलाफ़ उतरेगी जो 10 सालों से घर में एक भी टेस्ट सीरीज़ नहीं हारी है। उन्होंने तो 17 नवंबर से पांच दिनों के अंदर तीन टी20 मैचों की सीरीज़ भी खेल ली और 22 नवंबर को पहले टेस्ट के स्थान कानपुर पहुंचकर दो अभ्यास सत्र भी कर लिए।
यह नहीं कहा जा सकता है कि अगर न्यूज़ीलैंड को अभ्यास मैच मिलते और वह उन्हें जीत जाती तो वह बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी, लेकिन उन्होंने ख़ुद को एक बहुत अच्छा मौक़ा दिया है। ख़ास तौर से तब जब भारत ने विराट कोहली (पहले टेस्ट में), रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी को आराम दिया है। तब भी भारत अपनी गहराई के चलते सीरीज़ का प्रबल दावेदार हैं। यह बायो-बबल में होने वाले आज के क्रिकेट की सच्चाई को दर्शाता है और कुछ हद तक साफ़ करता है कि न्यूज़ीलैंड बिग थ्री का हिस्सा नहीं है।
बायो-बबल में रहना और इतने कठिन शेड्यूल में खेलना जिमसें एक दिन से दूसरे दिन होटल, ग्राउंड, होटल की यात्रा करनी पड़ती है, अब इतना आसान नहीं रह गया है।
स्वाभाविक रूप से, बिग थ्री के बाहर टेस्ट क्रिकेट सबसे ज़्यादा हारता है क्योंकि इन तीन को ही सबसे अधिक योग्य माना जाता है। आईपीएल टीमों को कैंप मिलते हैं, टी20 विश्व कप में वॉर्म अप मैच होते हैं, ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंग्लैंड को टेस्ट खेलने के लिए अधिक तैयारी का समय मिलता है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट की विश्व चैंपियन को अपनी नंबर एक रैंकिंग बचाने के लिए जल्दबाज़ी का दौरा करना पड़ा।
वे अभी भी भाग्यशाली हैं कि अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अपना काम करने में सक्षम हैं, वो भी तब जब कई लोग अपनी आजीविका खो चुके हैं। हालांकि, यह क्रिकेटरों पर लागू नहीं होता।
केन विलियमसन ने टेस्ट सीरीज़ शुरू होने से पहले कहा, "मुझे लगता है कि एक आदर्श दुनिया में आप अपनी तैयारी चुन सकते हो। इमसें कोई शक़ नहीं है कि कार्यक्रम बहुत मुश्किल है, लेकिन बहुत कुछ आपके हाथ में नहीं होता है। इस समय हम जितनी तैयारी कर सकते हैं उसकी कोशिश कर रहे हैं। और हम आने वाली चुनौती के लिए तैयार हैं। भारतीय टीम बहुत मज़बूत है और हम उस देश में क्रिकेट खेल रहे हैं जहां खेल में सबसे बड़ी चुनौतियां मिलती हैं।"
विलिमयसन ख़ुद भी टेस्ट मैचों के लिए तैयार रहने की वजह से टी20 सीरीज़ में नहीं खेले थे, लेकिन ट्रेंट बोल्ट और रोहित ने टेस्ट की जगह टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ चुनी। केएल राहुल भी फ़िट और तैयार होते अगर वह टी20 नहीं खेलते, जिसकी वजह से उनकी जांघ में खिंचाव आ गया, तनाव की वजह से यह चोट लगने की संभावना है। दूसरी दुनिया में, खिलाड़ियों को वह चुनाव भी नहीं करना पड़ता क्योंकि वह टी20 सीरीज़ भी नहीं होती।
इसकी बजाय, न्यूज़ीलैंड बोर्ड अध्यक्ष एकादश के ख़िलाफ़ एक अभ्यास मैच खेलता, जिसमें दो या तीन भारतीय खिलाड़ी भी अपना दावा पेश करते। शायद अजिंक्य रहाणे ने फ़ॉर्म को वापस पाने के लिए ऐसा मैच खेला होता।
गहराई की वजह से भारत भले ही प्रबल दावेदार हैं•Associated Press
उस दौर के क्रिकेट को महामारी ने चरणबद्ध तरीक़े से हटा दिया है। कम से कम विलियमसन इतने भोले नहीं हैं कि वह इस सीरीज़ से पहले के टी20 मैचों के व्यावसायिक महत्व को नहीं जानते।
जब टी20 सीरीज़ की महत्वता के बारे में विलिमयसन से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "विश्व कप के बाद यह काफ़ी चुनौतीपूर्ण शेड्यूल है। इसका श्रेय दोनों टीमों को जाता है, जिन्होंने साथ मिलकर कदम बढ़ाए। यह रोचक और अलग है, लेकिन यह ख़ास भी है कि उन मैचों को दर्शकों ने मैदान पर आकर देखा। खिलाड़ियों ने भी मैचों का लुत्फ़ लिया।"
"इस समय, यह चुनौतीपूर्ण रहा है। हमें उस तरह का शेड्यूल नहीं मिल पाता है जो हम पसंद करते हैं और यह हमारे नियंत्रण से बाहर की बात हो गई है। हम सभी भाग्यशाली हैं कि यहां अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं। भारत में रहना और यहां इस प्रारूप में क्रिकेट खेलना एक और ख़ास चीज़ है जो हम कर सकते हैं।"
तो टेस्ट क्रिकेट संकट के इस समय में जीवित बने रहने के लिए ख़ुद को ढाल लेगा, लेकिन इन शेड्यूल के सामान्य होने से सावधान रहें। ख़ासतौर से उन लोगों के लिए जो टेस्ट क्रिकेट के कार्यक्रम को भरा हुआ देखना चाहते हैं। उन्होंने इस चीज़ का आनंद लिया है और हो सकता है कि यह तब भी दोहराया जाए जब महामारी ख़त्म हो चुकी हो। यदि आप उन्हें दिखाते हैं कि आप घर से काम कर सकते हैं, तो वे सोचने लगते हैं कि क्या चीज़ें खुलने पर ऑफ़िस डेस्क पर ख़र्च करना उचित है।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।