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कुछ कमी है, लेकिन नारायण रास्ता खोजते रहते हैं

उनका एक्शन बदलने से बड़ा अंतर आया है, लेकिन उन्होंने खुद को फिर से खोजा है और बेहद प्रभावशाली बने हुए हैं

Sunil Narine bowls, Chennai Super Kings vs Kolkata Knight Riders, IPL 2020, Dubai, October 29, 2020

एक्‍शन बदलने के बाद नारायण के लिए बहुत कुछ बदल गया है  •  BCCI

मोहॉक अभी भी वहां है, वह चमक भी वहां है और वह पूरी बाज़ू की टीशर्ट? हां, शायद वह उन्हें नहाते वक़्त भी पहनते हैं। सुनील नारायण की हर चीज़ उन्हें बॉक्स ऑफ‍़िस बनाती है, लेकिन कुछ कमी है।
वह कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के स्टार गेंदबाज़ों में से एक है। विकेट और जीत का वास्तुकार। उन्होंने गुरुवार की रात जो विकेट लिया, वह ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण था जो टीम के प्लेऑफ़ के सपने को जीवित रखता है, लेकिन कुछ कमी है।
मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ उन्हें तीसरे ही ओवर में गेंदबाज़ी का भार सौंपा गया। और अपने तीसरे, और पारी के दसवें ओवर में उन्होंने विपक्षी कप्तान रोहित शर्मा को पवेलियन का रास्ता दिखाय।लेकिन कुछ कमी है।
यह विकेट उन्हें अतिरिक्त उछाल के चलते मिला। रोहित चले थे अपना पसंदीदा स्लॉग स्वीप लगाने लेकिन गेंद में उछाल के चलते लॉन्गऑन में कैच थमा बैठे। लेकिन कुछ कमी...एक मिनट। नारायण जैसा जादूगर अतिरिक्त उछाल जैसी सूक्ष्म गुणों पर कब से भरोसा करने लगा?
याद कीजिए 2012 का सत्र जब इस नए खिलाड़ी को अपने आधार मूल्य के 10 गुना दर पर ख़रीदा गया था। उन दिनों अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता था की गेंद किस तरफ़ निकलेगी। मुंबई के डगआउट में एक घुंगराले बाल वाले सज्जन बैठते हैं जो एक बार कवर ड्राइव लगाने चले थे और गेंद ने तीव्र गति से अंदर आते हुए उन्हें क्लीन बोल्ड कर दिया 2013 की उस रात को अपने पहले ओवर में सुनील नारायण ने सचिन तेंदुलकर को एक साधारण बल्लेबाज़ की भांति दर्शाया था। वह दिन अलग थे।
नारायण अपनी गेम के शिखर पर थे - एक जादूगर जिसके हाथ में क्रिकेट बॉल एक गेंद से क़हर बरपाने वाला औज़ार बन जाता था।लेकिन तब से अब तक काफ़ी कुछ बदल चुका है। उनकी बोलिंग एक्शन पर उठाए गए सवालों ने ज़रूर उनके आत्मविश्वास पर असर डाला है। उन्होंने अपने कई करतब पीछे छोड़ दिए हैं। विश्व कप टीम से भी अपना नाम पहले ही हटा चुके हैहालांकि ऐसे कई लोग हैं जो आईसीसी और उनके बोलिंग एक्शन को लेकर नीति पर पूरा भरोसा नहीं जताते। सक़लैन मुश्ताक़ का कहना है कि आख़िर यह 15 डिग्री का नियम कहां से आया? और मोहम्मद हफ़ीज़ को इस बात पर संदेह होता है कि कुछ गेंदबाज़ों को बार-बार बुलाया जाता और कुछ औरों को कभी भी नारायण के पास ऐसे बहस के लिए वक़्त नहीं।
नौ साल पहले वो गेंद को काफ़ी ज़्यादा टर्न कराते थे और अपनी विविधता के चलते आईपीएल में औसतन हर तीन गेंद में एक फ़ॉल्स शॉट करवाते थे। अब उनकी विविधता कम ज़रूर हुई है लेकिन हलके परिवर्तन के सहारे अब वह हर चार गेंदों में ऐसा करते मुंबई के विरुद्ध यही उनकी सफलता का राज़ था, जहां पहली ओवर में 11 रन लुटाने के बाद उन्होंने क्रमशः चार, तीन और दो रन बल्ले से और सिर्फ़ दो और लेग बाई दिए। तेज़ शुरुआत के बावजूद मुंबई की पारी में इन ओवर्स ने गति अवरोधक का काम कियप्लेयर ऑफ़ द मैच का पुरस्कार लेते हुए नारायण ने कहा, "द हंड्रेड, सीपीएल और अब यहां मैंने काफ़ी सारा क्रिकेट खेल लिया है। मैंने अपने एक्शन पर बहुत परिश्रम किया है और मैं इसे बरक़रार रखना चाहूंगा और अपने टीम को जीतते देखना चाहूंगा।लेकिन कुछ कमी है।
पर ऐसा ठीक ही है। चरम पर नारायण विश्व के असाधारण गेंदबाज़ों की चोटी पर ज़रूर थे लेकिन आज भी उनको खेलना आसान नहीं। और उनका करियर हमारे लिए एक बड़ी सीख़ भी लाती है - चाहे कितनी भी अडचनें जीवन में आए, आप हार नहीं मान सकते।"

अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।