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यदि आप भूल गए हों : भुवनेश्वर कुमार जैसी प्रतिभा रातों-रात नहीं मरती

भुवनेश्वर अभी भी टी20 के सबसे कुशल गेंदबाज़ों में से एक हैं

लियम लिविंगस्टन का विकेट लेने के बाद भुवनेश्वर कुमार  •  BCCI

लियम लिविंगस्टन का विकेट लेने के बाद भुवनेश्वर कुमार  •  BCCI

एक ख़ास उम्र के तेज़ गेंदबाज़ों के लिए कानाफूसी शुरु हो जाती है, ख़ासकर अगर गेंदबाज़ मध्य गति का हो तो यह और भी तेज़ हो जाती है। हज़ारों लोगों को यह लगने लग जाता है कि क्या उन्होंने अपनी निप खो दी है, अपना यार्ड खो दिया है और क्या उन्होंने उस अतिरिक्त गति को भी खो दिया है जो उन्हें अतिरिक्त घातक होने की अनुमति देता है।
इशांत शर्मा के साथ भी हाल ही में ऐसा ही कुछ हुआ। दुनिया भर के बल्लेबाज़ों पर वर्षों तक दबदबा बनाने के बाद उनकी हालिया गिरावट के बारे में सामूहिक ज्ञान यह है कि उन्हें विकेट से उतनी ऊर्जा नहीं मिल रही है। गेंदबाज़ों, विशेष रूप से तेज़ गेंदबाज़ों को कई बार तब तक उपयोग किया जाता है जब तक वह शारीरिक रूप से अपना काम करने में सक्षम नहीं होते हैं, और फिर उन्हें अगले ऐसे गेंदबाज़ के लिए त्याग दिया जाता है पिच पर गेंद को तेज़ डालता है।
भुवनेश्वर कुमार को कुछ ऐसी ही टिप्पणियों के साथ पिछले साल टारगेट किया गया जब उनका सबसे ख़राब आईपीएल सीज़न गुज़रा। उन्होंने 11 मैचों में केवल छह विकेट लिए थे। वह इतना तेज़ कभी नहीं रहे थे, वह 30 की उम्र को पार कर चुके थे और चोट के बाद वापस आ रहे थे, जिससे लोगों को लगा कि शीर्ष पर उनका समय समाप्त हो गया है।
लेकिन उसी साल उन्होंने इंग्लैंड की टीम को अविश्वसनीय रूप से सपाट पिचों पर कष्ट देने में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। 20 मार्च 2021 को, उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ एक ऐसे खेल में गेंदबाज़ी की जिसमें 412 रन बने थे। भुवनेश्वर के चार ओवर में 15 रन गए और उन्होंने जेसन रॉय और जॉस बटलर को आउट किया। कोई अन्य भारतीय गेंदबाज़ प्रति ओवर 8.50 रन से कम पर नहीं गया।
तीन हफ़्ते बाद ही वह आईपीएल में थे और वह अपने पहले तीन मैचों में से दो में 11 से अधिक की इकॉनमी से रन ख़र्च चुके थे और कोविड ब्रेक से पहले उन्होंने नौ रन प्रति ओवर के हिसाब से रन दिए थे। हालांकि सीज़न के दूसरे हिस्से में उन्होंने किफ़ायती गेंदबाज़ी तो की लेकिन वह छह मैचों में तीन विकेट ही ले पाए।
अगर आप भुवनेश्वर के पिछले सीज़न और सिर्फ़ आईपीएल के फ़ॉर्म को देखेंगे तो आप कहेंगे की वह अब एक गेंदबाज़ के तौर पर समाप्त हो चुके हैं। हालांकि इस पर बात करना बेहद दिलचस्प है कि वह लंबी कद काठी और तेज़ न होने के बावजूद वर्षों तक इतनी अच्छी गेंदबाज़ी कैसे करते रहे? उनकी सबसे बड़ी स्किल उनकी स्किल ही है। उनकी पर्फ़ेक्ट कलाईयों ने उन्हें टेस्ट मैचों में बेहतरीन औसत प्रदान की है। वहीं सफ़ेद गेंदों से भी वह लाजवाब हैं। भुवनेश्वर की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि वह बाक़ी कई गेंदबाज़ों की तुलना में गेंद को कहीं बेहतर ढंग से दोनों तरफ़ घुमाने में सक्षम हैं।
अधिकतर तेज़ गेंदबाज़ सफ़ेद गेंद से या तो आउट स्विंग करा सकते हैं या इन स्विंग, क्योंकि उनका गेंदबाज़ी एक्शन एक ख़ास तरह की गेंदों के लिए बना होता है। कुछ गेंदबाज़ दोनों तरह की गेंद डाल सकते हैं लेकिन उन्हें सिर्फ़ एक तरह की गेंद पर ही महारत हासिल होती है। कुछ दोनों ही तरह की गेंदों पर महारत हासिल कर लेते हैं लेकिन वह नई गेंद के साथ ऐसा नहीं कर सकते। जबकि भुवनेश्वर नई गेंद को साथ सटीकता के साथ गेंदबाज़ी करने की क्षमता रखते हैं और यह टी20 में काफ़ी मददगार सिद्ध होती है।
इतना ही नहीं वह डेथ ओवर में भी बेहतर गेंदबाज़ हैं। हां, वह लसिथ मलिंगा या जसप्रीत बुमराह नहीं हैं लेकिन वह डेथ में निरंतरता के साथ अच्छी गेंदबाज़ी करते हैं। उनके पास भले ही डेथ ओवर में गेंद को घुमाने की क़ाबिलियत न हो लेकिन उनके पास डेथ ओवरों में स्लोअर गेंदें हैं। हालांकि वह ड्वेन ब्रावो नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद कि उनके पास नॉर्मल रीलीज़ है और वह उतने तेज़ भी नहीं हैं, इतना बेहतरीन करियर होना वाक़ई लाजवाब है।
भुवनेश्वर आईपीएल इतिहास के सबसे सफल गेंदबाज़ों में से एक हैं लेकिन पिछले सीज़न उनके प्रदर्शन में आई गिरावट के बाद लोगों ने उनके प्रति राय बनाने में कुछ ज़्यादा ही जल्दबाज़ी दिखा दी। भुवनेश्वर के लिए वह सीज़न बेहद ही ख़राब था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 7.97 की इकॉनमी से रन दिए थे जो कि बाक़ी गेंदबाज़ों के लिए काफ़ी अच्छी इकॉनमी थी। हालांकि यह इकॉनमी ख़ुद भुवनेश्वर के लिए अच्छी नहीं थी क्योंकि उनके टी20 करियर की कुल मिलाकर इकॉनमी 7.17 की है।वह पिछले सीज़न 200 से अधिक गेंद करने वाले इक़लौते गेंदबाज़ थे जिन्होंने दस से कम विकेट लिए थे।
भुवनेश्वर के इस प्रदर्शन को देखते हुए उनकी फ्रैंचाइज़ी सनराइज़र्स हैदराबाद ने उन्हें रिटेन करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उन्हें इस बात का अंदाज़ा था कि अन्य टीमें भी भुवनेश्वर को ख़रीदने के लिए नहीं जाएंगी और वह बहुत हद तक सही साबित हुए। सिर्फ़ लखनऊ सुपर जायंट्स ने ही भुवनेश्वर को ख़रीदने के लिए अच्छी बोली लगाई और हैदराबाद ने उन्हें चार वर्ष पहले लगाई बोली के मुक़ाबले आधे दाम पर ख़रीद लिया।
मिसाल के तौर पर, उमेश यादव को भुवनेश्वर की तुलना में केवल आधा पैसा मिला, और नीलामी के पहले दौर में भी उनकी अनदेखी की गई। पिछले साल उन्होंने कोई आईपीएल मैच नहीं खेला और एक साल पहले उन्होंने अपने दो मैचों में कोई विकेट नहीं लिया और 12 रन प्रति ओवर की दर से गए। भुवनेश्वर ने जो हासिल किया है उसके मुक़ाबले उमेश के आंकड़े आसपास भी नहीं हैं। हालांकि उमेश तेज़ हैं तब भी जब उसके लिए चीज़ें गलत हो गई हैं। उन्होंने अपनी टी 20 गेंदबाज़ी में लगातार महारत हासिल नहीं की है।
इस वर्ष भुवनेश्वर अपेक्षा के अनुरूप वापस आए हैं। उनका औसत 30 से थोड़ा अधिक है लेकिन इकॉनमी 7.25 से अधिक है।, इसमें कोई शक़ नहीं है कि वह इस साल के सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ों में से एक रहे हैं।
खेल प्रशंसकों के रूप में हम किसी के खत्म होने पर सबसे पहले उस पर अपनी मुहर लगाने की जल्दबाज़ी में होते हैं, यह कहने के लिए कि उनका समय समाप्त हो गया है। जब एक गेंदबाज़ गेंद के साथ इतना प्रतिभाशाली होता है और उसके पास इस क्षमता का गेंदबाज़ी दिमाग होता है, तो यह हमेशा थोड़ा और इंतज़ार करने लायक होता है। टी20 में ख़राब सीजन किसी को भी मार सकता है लेकिन इस तरह की प्रतिभा रातों-रात नहीं मरती।

जैरड किंबर ESPNcricinfo में क्रिकेट लेखक हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर नवनीत झा ने किया है।