आईसीसी एलीट पैनल के पूर्व अंपायर
साइमन टॉफ़ल नहीं चाहते हैं कि टी20 क्रिकेट में वाइड और हाइट नो-बॉल में टीमों के पास रिव्यू लेने का विकल्प हो। टॉफ़ल की राय भारत और राजस्थान रॉयल्स के लेग स्पिनर
युज़वेंद्र चहल से विपरीत है, जो मानते हैं कि गेंदबाज़ों को "थोड़ी और मदद" की ज़रूरत है। चहल का मानना है कि वाइड और हाइट नो बॉल को रिव्यू कर के टीमें एक "मौक़ा ले सकती हैं" जो संभावित रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के साथ बात करते हुए चहल ने कहा कि
10 अप्रैल को लखनऊ सुपर जायंट्स के विरुद्ध लीग मैच के दौरान उन्हें संभावित रूप से अंपायर की एक ग़लत कॉल का सामना करना पड़ा था। अपने चौथे ओवर की चौथी गेंद पर चहल ने एक लेग ब्रेक गेंद फेंकी जो दुश्मांता चमीरा के ऑफ़ स्टंप के बाहर पिच हुई और फिर बाहर निकली। अंपायर ने इस गेंद को वाइड करार दिया। चहल इस फ़ैसले से असहमत थे और उन्होंने अंपायर से इस बारे में बात भी की थी।
चहल ने अगली गेंद पर श्रीलंकाई बल्लेबाज़ को पगबाधा आउट कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि एक अतिरिक्त गेंद उन्हें महंगी पड़ी क्योंकि मार्कस स्टॉयनिस ने उनके स्पेल की अंतिम गेंद पर छक्का लगाया। अंपायर की इस कॉल से मैच का परिणाम लगभग प्रभावित हो गया था, हालांकि राजस्थान उस मैच को तीन रनों से जीत गई।
चहल से पूछा गया कि क्या वाइड के लिए भी रिव्यू विकल्प को भी टीमों को मिलने वाले दो रिव्यू में शामिल करना चाहिए? उन्होंने उत्तर दिया, "अंपायर भी इंसान हैं। वे ग़लती कर सकते हैं, लेकिन दो टीमों के बीच कई बार हार का अंतर एक रन का भी हो सकता है। लखनऊ के ख़िलाफ़ मेरे साथ ऐसा हुआ था जब अंपायर ने वाइड का इशारा किया था, लेकिन जब मैंने इसे रिप्ले पर देखा तो यह वाइड नहीं था। इसके कारण मुझे एक अतिरिक्त गेंद फेंकनी पड़ी और मेरी आख़िरी गेंद पर छक्का भी लगा। यह सात गेंदों का ओवर बन गया और विपक्षी टीम सात अतिरिक्त रन बनाने में सफल रही। चूंकि टी20 बल्लेबाज़ों के वर्चस्व वाला खेल है, अगर गेंदबाज़ों को थोड़ी और मदद मिलती है, तो हम ऐसा कर सकते हैं।"
कुछ हफ़्ते बाद राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन
2 मई को कोलकाता नाइट राइडर्स के ख़िलाफ़ मैच में नाराज़ हो गए, जब मैदानी अंपायर नितिन पंडित ने प्रसिद्ध कृष्णा द्वारा डाले गए 19वें ओवर के दौरान तीन मौक़ों पर वाइड का संकेत दिया। सैमसन ने नितिन की ओर इशारा किया कि कृष्णा के गेंद फेंकने से पहले ही बल्लेबाज़ क्रीज़ के अंदर शफ़ल कर रहा है तो यह वाइड कैसे है। इस मैच में कोलकाता विजयी रही थी।
मैच के बाद की घटना का विश्लेषण करते हुए, ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के विशेषज्ञ डेनियल वेटोरी और इमरान ताहिर ने सहमति व्यक्त की कि गेंदबाज़ों को दो रिव्यू के माध्यम से अंपायरिंग त्रुटियों को "सुधारने" का विकल्प होना चाहिए। इस सीज़न में आईपीएल ने एक अतिरिक्त रिव्यू टीमों को दिया है, चहल ने कहा कि यह पर्याप्त है और हम इससे खु़श हैं।"
टॉफ़ल की इस मामले पर राय अलग है।
इस सप्ताह के अंत में प्रकाशित होने वाले एक साक्षात्कार में टॉफ़ल ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, "मैं निर्णय लेने की कला को विज्ञान में बदलने और सटीकता की तलाश करने को लेकर जो प्रयास हो रहे हैं, उससे सचेत हूं। उदाहरण के तौर पर वाइड को लिया जा सकता है। अगर आपके अनुसार या खिलाड़ी के अनुसार चलें और वाइड को यदि थर्ड अंपायर के पास रेफ़र किया जाता है तो ऐसा हो सकता है कि यह एक बहुत ही नज़दीकी फ़ैसला हो। इसके बाद अगर तीसरे अंपायर इस फ़ैसले में हस्तक्षेप करते हैं, तब भी उस फ़ैसले में तर्क की गुंजाइश रह जाएगी।"
टॉफ़ल ने कहा कि वाइड को लेकर फ़ैसला लेना कभी भी आसान काम नहीं रहा है। इसको लेकर कभी भी क्रिकेट के नियमावली और खेल की परिस्थितियों में एक निश्चित परिभाषा नहीं रही है।
"क्या आप थर्ड अंपायर के रूप में लेग स्टंप के बाहर की गेंद को वाइड करार दिए जाने के फ़ैसले को चिन्हित करने या उसे पहचानने में सफल हो सकते हैं? किसी वाइड गेंद को रिव्यू करने के लिए थर्ड अंपायर के जाना निश्चित रूप से एक दिलचस्प प्रस्ताव है।"
"बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए अगर कोई दाएं हाथ का तेज़ गेंदबाज़ बाहर निकलने वाली गेंद फेंकता है, उस गेंद पर वाइड का फ़ैसला लेना काफ़ी कठिन है। साथ ही फ़ील्ड अंपायर के फ़ैसले को ग़लत ठहराना भी काफ़ी कठिन होगा। क्या आप इस बात को परिभाषित कर सकते हैं कि एक वाइड को फ़ैसले को बदलने के लिए तीसरे अंपायर के पास निर्णायक सबूत क्या होंगे? ख़ासकर लेग साइड, ऑफ़ साइड या हाइट के लिए वाइड देने के लिए।"
"इसके अलावा आप एक वाइड की लाइन को कैसे खीचेंगे? ऐसा हो सकता है कि उस गेंद पर बल्लेबाज़ ने शॉट खेला है? क्या बल्लेबाज़ ने उस गेंद तक पहुंचने की कोशिश की थी? अब आप जब इस फै़सले को तीसरे अंपायर के पास भेज रहे हैं तो आप तीसरे अंपायर पर इन सभी बातों को परिभाषित करने का दबाव डाल रहे हैं। अगर गेंद बल्ले को या पैड को छूकर गई है तो यह निश्चित रूप से एक ग़लती है। हालांकि मुझे चिंता यह है कि यह विवाद कहां ख़त्म होगा। क्या फ़ील्ड अंपायर के हर एक फ़ैसले को रिव्यू प्रणाली के अंदर लाया जाएगा?"
वहीं पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री का मानना है कि वाइड और हाइट नो बॉल पर जो भी विवादास्पद फ़ैसले हों, वह सीधे टीवी अंपायर के द्वारा लिया जाए। इसे रिव्यू प्रणाली के अंदर नही लाया जाए।
शास्त्री ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहा, "मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं, क्योंकि यह गेम चेंजर हो सकता है। मैच के अंतिम पलों में ऐसे फ़ैसले काफ़ी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। जब आख़िरी ओवर में 12-15 रनों की आवश्यकता हो तब नो-बॉल से काफ़ी फ़र्क पड़ सकता है। आपके पास थर्ड अंपायर बैठे हैं, आपके पास तकनीक है, इसका इस्तेमाल करें। "
इस तरह की कवायद संभावित रूप से मैच के समय को बढ़ा सकती है, जिसके लिए शास्त्री सहमत थे। "आप एक निष्पक्ष खेल चाहते हैं। यदि इसमें एक मिनट की देरी है तब भी कोई दिक़्क़त नहीं है। बस एक निष्पक्ष खेल हो ताकि बाद में कोई तर्क न हो। ऐसे फ़ैसलों को तीसरे अंपायर पर छोड़ दें, उन्हें अंतिम निर्णय लेने दें।"
हालांकि टॉफ़ल इस बात से भी सहमत नहीं हैं। तीसरे अंपायर को सीधे या डीआरएस के माध्यम से ऐसे फ़ैसलों में शामिल करने का मतलब होगा कि मैच धीमा हो जाएगा।
"इन सभी समीक्षाओं में कितना समय लगेगा? क्या आप उसके लिए तैयार हैं? मुझे पिछले साल की एक बात याद है, दिवंगत शेन वॉर्न जैसे कुछ कॉमेंटेटर शिक़ायत कर रहे थे कि एक वनडे मैच निर्धारित समय से 30 मिनट बाद समाप्त हुआ।"
साइमन टॉफ़ल का पूरा साक्षात्कार गुरुवार 26 मई को ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो पर प्रकाशित किया जाएगा
नागराज गोलापुडी ESPNcricinfo के न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।