मनीष पांडे ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 2008-09 में डेब्यू किया था। उससे पहले वह अंडर 19 विश्व कप का हिस्सा थे, जहां वह विराट कोहली की नेतृत्व वाली टीम में शामिल थे। दो बार रणजी ट्रॉफ़ी जीतने वाली टीम के हिस्सा रहे मनीष इस बात का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि वह इस सत्र में अपनी टीम को फ़ाइनल में पहुंचने में मदद करें। उत्तर प्रदेश के ख़िलाफ़ सोमवार से शुरू हो रहे क्वार्टरफ़ाइनल से पहले मनीष ने सेलेक्ट मीडिया से बात करते हुए टीम में हुए बदलाव और अपनी भूमिका के बारे में बात की।
मुम्बई की टीम के लिए फ़ाइनल में न पहुंच पाना एक असफलता की तरह है। कर्नाटका की टीम अपनी सफलता को कैसे मापती है ?
फ़ाइनल में पहुंचना और उसे जीतना हमेशा से ही हमारा लक्ष्य रहा है। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहां जीत प्राप्त करना प्रमुख लक्ष्यों में से एक होता है। हमारा प्रदर्शन बढ़िया होता है, तो लोग हमारे बारे में बात भी अच्छी करते हैं। जब यह प्रतियोगिता शुरू हुई तो हमारा सबसे पहला लक्ष्य जो था वह यह था कि हमें क्वार्टरफ़ाइनल में पहुंचना है। अब हमारा लक्ष्य यह है कि हम हर मैच में अपना 100 फ़ीसदी दें और फ़ाइनल जीतने का प्रयास करें।
आप अपने करियर का 95वां प्रथम श्रेणी मैच खेलने जा रहे हैं। यह सफ़र अब तक कैसा रहा है ?
व्यक्तिगत प्रदर्शन कभी-कभी आपको प्रभावित करते हैं, लेकिन जब भी कर्नाटका नॉकआउट तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाता है तो यह मुझे एक खिलाड़ी के रूप में परेशान करता है। एक समूह के रूप में हमारा लक्ष्य यह है कि आने वाले वर्षों में खिलाड़ियों का एक अच्छा समूह विकसित करना है, यही वह चीज़ है जिसे हम एक टीम के रूप में करना चाहते हैं। उतार-चढ़ाव होंगे, लेकिन मुझे लगता है कि मैंने [लंबे समय तक] इस टीम का हिस्सा बनने के लिए काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया है। किसी भी टीम में आपको आसानी से जगह नहीं मिलती। इसके लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की है। वह कड़ी मेहनत और [भूख] मुझे आज भी मुझे आगे बढ़ने का प्रेरणा देती है। मैं अपना 95वां मैच ठीक उसी तरह से खेलूंगा जैसे पहला मैच खेला था।
आप 2008 से प्रथम श्रेणी मैच खेल रहे हैं। अभी आपकी उम्र 32 साल है ऐसी कौन सी चीज़ है जो आपको लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है?
हमेशा सफलता की खोज करना, मेरे लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहा है। साथ ही मैं अपने आप को और टीम को हमेशा बेहतर बनाने का प्रयास करता हूं। मैं वह खिलाड़ी कतई नहीं बनना चाहूंगा जिसके कारण टीम को अपना सर झुकाना पड़े। कर्नाटका की टीम में सभी खिलाड़ी अपने फ़िटनेस पर काफ़ी जोर देते हैं. हमारी टीम में जिन युवा खिलाड़ियों को भी शामिल किया गया है वह काफ़ी फ़िट हैं। युवा खिलाड़ियों को टीम के लिए अच्छा करते हुए देखकर काफ़ी बढ़िया महसूस होता है।
एक बल्लेबाज़ के तौर पर आप व्यस्त टी20 सत्र से वापसी कर रहे हैं। अब लाल गेंद के प्रारूप में समायोजित होने में कितना समय लगेगा?
आप कोई भी फ़ॉर्मैट में खेल रहे हों, केवल एक चीज़ जो स्थिर रहती है वह है बल्लेबाज़ी करते समय आपका इरादा कितना मज़बूत है। मेरा इरादा रन बनाने का है, चाहे वह लाल गेंद की क्रिकेट हो या सफ़ेद गेंद की। लाल गेंद की क्रिकेट में अगर आप मेरा स्ट्राइक रेट देखेंगे तो वह थोड़ा ऊंचा है। मैं हमेशा रनों की तलाश में रहता हूं। मेरे लिए सकारात्मक सोच के साथ रनों की तलाश करना प्रमुख लक्ष्य है। यही मुझे आगे बढ़ने में मदद करता जब आप कर्नाटका के लिए खेलते हैं तो ऐसा लगता है कि आपकी बल्लेबाज़ी करने की क्षमता बढ़ जाती है।
जब भी मैं आईपीएल या किसी लंबे दौरे से वापस आता हूं, तो मैं इस टीम में वापस आने के लिए काफ़ी उत्सुक रहता हूं। मुझे लगता है कि मैं यहां [कर्नाटक सेट-अप] अपने सर्वश्रेष्ठ कोचिंग स्टाफ़ और खिलाड़ियों के साथ हूं। साथ ही कप्तान के रूप में अतिरिक्त ज़िम्मेदारी का मतलब है कि आपको ड्राइविंग सीट पर रहना होगा और टीम को चलाना होगा। मुझे अतिरिक्त ज़िम्मेदारी पसंद है; यह मेरी मदद करता है और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि कर्नाटक को एक बेहतर टीम बनाने के लिए हमें हमेशा अपना 100% देना है।
आप विरोधियों के ख़िलाफ़ कैसे योजना बनाते हैं?
विपक्ष चाहे कोई भी हो, चाहे वो स्टार हों या ना हों, हम इसे इस तरह से नहीं देखते हैं। हमारे पास बहुत सारे स्टार खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने वर्षों और वर्षों तक अच्छा प्रदर्शन किया है। बल्लेबाज़ के रूप में हम गेंद को देखते हैं, गेंदबाज़ को नहीं। यही हमारा मूलमंत्र है।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं।