अंडर-19 कूच बेहार ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में रविवार को शिवमोगा में मुंबई के ख़िलाफ़ चौहरा शतक लगाकर
प्रखर चतुर्वेदी ने अपना नाम रिकॉर्ड बुक में शामिल कर लिया है।
उन्होंने युवराज सिंह के 24 साल पुराने 358 रन के रिकॉर्ड को तोड़ा, जो इससे पहले तक टूर्नामेंट के फ़ाइनल में सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर था। कुल मिलाकर टूर्नामेंट के इतिहास में यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। 2011-12 सीज़न में विजय ज़ोल ने महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए असम के ख़िलाफ़ नाबाद 451 रन बनाए थे।
पहली पारी में ओपनिंग करते हुए चतुर्वेदी ने नाबाद 404 रन बनाए और मुंबई के ख़िलाफ़ पहली पारी में बढ़त के हिसाब से जीत दर्ज की। कर्नाटका ने 223 ओवरों में आठ विकेट पर 890 रन बनाए और इसके जवाब में मुंबई दूसरे दिन 380 रन पर ऑलआउट हो गई। चतुर्वेदी ने 638 गेंद का सामना किया और अपनी पारी में 46 चौके और तीन छक्के लगाए।
यह एक तरह से चतुर्वेदी के लिए चमत्कार रहा क्योंकि वह शुरुआत में अंडर-19 टीम में नहीं चुने गए थे, जबकि अंडर-19 विश्व कप टीम में भी उनका चयन नहीं हुआ था। लेकिन अब उनके कर्नाटका की रणजी टीम में भी जगह बनाने की उम्मीद है।
चतुर्वेदी की इस पारी ने राज्य की सीनियर चयन समिति को बहुत प्रभावित किया है, जहां उनकी सीनियर टीम गुजरात के ख़िलाफ़ सोमवार को छह रन से हार गई थी। 110 रन का पीछा करते हुए कर्नाटका की टीम ने 53 रनों पर अपने सारे विकेट गंवा दिए थे।
कर्नाटका के पूर्व ऑलराउंडर और प्रमुख चयनकर्ता के जेशवंत ने कहा, "वह दुर्भाग्य से अंडर-16 नहीं खेल पाया। चयनकर्ताओं को उन्हें वहां मौक़ा देने के लिए काफ़ी समझने की ज़रूरत थी।"
"यही उनके साथ अंडर-19 में भी हुआ, लेकिन सौभाग्य से उनको मौक़ा मिला और उन्होंने इसका फ़ायदा उठाया। जो खिलाड़ी अंडर-19 विश्व कप में जगह बनाने से चूक जाते हैं चतुर्वेदी उनके लिए बहुत अच्छा उदाहरण है। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर उनको तत्काल प्रभाव से कर्नाटका की टीम में शामिल किया जाए।"
"चतुर्वेदी ने जब 2017 में सिक्स एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू की थी तब वह 11 वर्ष के थे। इसके बाद कोविड-19 आ गया और ऐसे 400 खिलाड़ी एकेडमी में थे जो इस उम्र में पहली बार आए थे और वह भी इस बड़े ग्रुप का हिस्सा था। हर किसी के करियर में एक ऐसा साल ज़रूर आता है जब वह अपना अगला क़दम बढ़ाता था।"
"प्रखर की बारी 2020-21 में आई जब उन्होंने अपने क़दम आगे बढ़ाए। उनके अंदर शानदार परिपक्वता थी। आप यहां भी उनकी पारी को देख सकते हैं जहां उन्होंने सारा दबाव सहा और सभी चीज़ों का अच्छे से सामना किया।"
चतुर्वेदी एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता है। उनके पिता बेंगलुरु में एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं और मां रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक हैं। अपने क्रिकेट के साथ-साथ, चतुर्वेदी भी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता से प्रभावित हुए हैं।
जेशवंत ने कहा, "जब भी विशेषकर माता-पिता अपने बच्चों को लेकर आते हैं तो मेरा पहला बयान क्रिकेट के साथ-साथ नियमित स्कूली शिक्षा पर भी ध्यान देना होता है। प्रखर भी अलग नहीं हैं। जो लोग कम उम्र में शिक्षा छोड़ देते हैं और अपने सारे अंडे एक टोकरी [क्रिकेट] में रख देते हैं, अगर उन्हें एक या दो ख़राब स्कोर मिलते हैं या यदि उनका एक टूर्नामेंट ख़राब होता है, तो वे पानी से बाहर मछली की तरह हो जाते हैं।"
"जो बच्चे स्कूल जाते हैं, नियमित कॉलेज जाते हैं, वे बेहतर स्थिति में हैं। उनकी स्वीकृति का स्तर बहुत अधिक है, वे अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं और क्रिकेट के अलावा भी उनके पास आगे देखने के लिए कुछ है। भले ही उन्हें दो ख़राब स्कोर मिले, फिर भी वे तीसरे मैच के लिए दबाव में नहीं आते हैं।"
"बहुत से प्रशिक्षकों और माता-पिता का मानना है कि यदि आप घंटों अभ्यास करते हैं, तो पूरा दिन मैदान पर बिताकर ही आपमें सुधार होता है। हां, यह महत्वपूर्ण है लेकिन कम उम्र में यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि छोटे बच्चे दबाव को कैसे संभालते हैं। यदि आप पूरे दिन मैदान पर हैं और स्कूल या कॉलेज नहीं जाते हैं तो आपके पास विकल्प नहीं है, तो गेंद खेलने से पहले ही आप पर दबाव होता है।"
इन दिनों कई युवा क्रिकेटरों में बड़े होने के दौरान जिस तरह का लचीलापन है, उसे रेखांकित करते हुए जेशवंत ने चतुर्वेदी का उदाहरण दिया। यह अलग बात है कि यह तभी चमकता है जब फ़ाइनल में चतुर्वेदी जैसा प्रदर्शन किया जाता है और यह सुर्खियां बटोरता है।
जेशवंत ने कहा, "वह बहुत लचीले हैं। बहुत सारे लड़के स्पष्ट रूप से दूर से आते हैं। प्रखर अपने क्रिकेट के लिए घर से 80 किमी की यात्रा करता हैं। उस प्रकार का समर्पण केवल भीतर से ही आ सकता है, यदि आप गंभीर नहीं हैं तो ऐसा कभी नहीं होगा। वह इलेक्ट्रॉनिक सिटी [दक्षिणी बेंगलुरु] से उत्तरी बेंगलुरु देवनहल्ली रोज़ आता है।"
"हमने उसके पिता से बात की और पूछा कि क्या वह उनके लिए एक थ्रोडाउन विशेषज्ञ ला सकते हैं ताकि हम यात्रा की थकान को कुछ कम कर सकें। वह व्यवस्था बेहतर ढंग से काम करने लगी और जब भी उन्हें स्कूल और जूनियर कॉलेज से छुट्टियां मिलतीं, तो वह एकेडमी आने लगे और आवासीय सुविधा में रहने लगे। तकनीक़ी रूप से, वह अच्छी तरह से सुसज्जित है।"
"उस उम्र में बच्चों को कभी-कभी इस एहसास की आवश्यकता होती है कि वे अच्छे हैं। युवराज सिंह का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद, मुझे यकीन है कि उन्हें पता चल जाएगा कि वह आगे बढ़ चुके हैं और वह दूसरे स्तर के हैं। युवा बच्चों का एक पूरा समूह है जो वास्तव में अच्छे हैं जैसे ध्रुव प्रभाकर, आदित्य समर्थ, समित द्रविड़, युवराज अरोड़ा आदि। प्रखर के पास अंडर-19 का एक और साल है, लेकिन अगर मैं निर्णय लेने की क्षमता में होता, तो मैं उसे कर्नाटका की सीनियर टीम में जल्दी शामिल होता देखना चाहता।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब ए़डिटर हैं