तमिलनाडु ने कर्नाटका को हराकर लगातार दूसरी बार सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी अपने नाम की • TNCA
पिछले तीन सत्रों में तीन फ़ाइनल और कुल मिलाकर तीन टी20 ट्रॉफ़ी। तमिलनाडु ने अपने वरिष्ठ खिलाड़ी - दिनेश कार्तिक, रवि अश्विन, मुरली विजय, अभिनव मुकुंद, बाबा अपराजित और वॉशिंगटन सुंदर की अनुपस्थिति में अपना सबसे हालिया टी20 ख़िताब हासिल किया। देखिए किस तरह तमिलनाडु सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में प्रभावशाली दल बन गया है।
संतुलित टीम
तमिलनाडु की मौजूदा टीम के पास टी20 क्रिकेट में सफल होने के लिए आवश्यक लगभग सभी सामग्रियां हैं। उनके पास एम अश्विन में एक विश्वसनीय लेगस्पिनर, आर साई किशोर में बाएं हाथ का लंबा स्पिनर जो किसी भी स्थिति में गेंदबाज़ी कर सकता है, शाहरुख ख़ान के रूप में विस्फोटक फ़िनिशर, यॉर्कर विशेषज्ञ टी नटराजन, बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ हरि निशांत और एक छोर संभाले रखने के लिए एंकर के रूप में जगदीशन और विजय शंकर मौजूद है। ये सभी खिलाड़ी अपने साथ आईपीएल का अनुभव लेकर आते हैं और जब भी वह अनुपलब्ध होते हैं, तब उनके पास एम सिद्धार्थ, जी राजू, विवेक राज और सरवना कुमार के रूप में बैकअप विकल्प है।
अपराजित की ऑफ़ स्पिन का ज़्यादातर इस्तेमाल नहीं किया जाता था। लेकिन जब 2019-20 के सीज़न में आर अश्विन और वॉशिंगटन की अनुपस्थिति में टीम को उनकी ज़रूरत थी, तब उन्होंने बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को परेशान किया। जब अपराजित इंडिया ए के साथ जुड़ने की वजह से नॉकआउट मुक़ाबलों से बाहर हुए, तब आर संजय यादव ने अपने हाथ खड़े किए।
चयन में निरंतरता
निशांत, जगदीशन, शंकर और शाहरुख बल्लेबाज़ी क्रम के नियमित सदस्य बन गए हैं जबकि साई किशोर नई गेंद से कठिन ओवरों में गेंदबाज़ी कर रहे हैं। इन सभी को लगातार मौक़े मिले हैं और वह उन पर खरे उतरे हैं।
साई किशोर ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, "तमिलनाडु की सफलता का श्रेय टीम प्रबंधन को जाता है जो पिछले तीन वर्षों में लगभग एक ही टीम के साथ गए। हमने ज़्यादा बदलाव नहीं किए और लगभग चेन्नई सुपर किंग्स की तरह वही टीम खिलाई। हम सभी जानते हैं कि हमारी भूमिका क्या है और हमें गेंदबाज़ी आक्रमण में क्या करना है।"
टीएनपीएल का प्रभाव
तमिलनाडु टीम में गहराई और हर भूमिका के लिए बैकअप विकल्प के पीछे का बड़ा कारण है तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल)। आईपीएल में सीएसके के निलंबन के बाद स्थानीय प्रशंसकों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई यह प्रतियोगिता राष्ट्रीय टीम के साथ-साथ आईपीएल टीमों के लिए नए खिलाड़ियों को परखने का मंच बन गई है।
जब नटराजन चोटिल थे तब तमिलनाडु ने 2021 टीएनपीएल में सर्वाधिक विकेट लेने वाले सरवना कुमार को टीम में शामिल किया। अपने पहले मैच में 48 रन लुटाने के बाद उन्होंने शानदार वापसी करते हुए सेमीफ़ाइनल में हैदराबाद के ख़िलाफ़ पांच विकेट झटके और टीम को फ़ाइनल में पहुंचाया। बी साई सुदर्शन का चयन भी टीएनपीएल के कारण हुआ था और उन्होंने चार पारियों में 30 से अधिक का स्कोर बनाकर ख़ुद को साबित किया। कप्तान शंकर के अनुसार टीएनपीएल खिलाड़ियों को निडर होकर खेलने का आत्मविश्वास देता है।
जमकर तैयारी
इस कोरोना काल में भी, सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के दो विजयी अभियानों से पहले तमिलनाडु टीम ने जमकर तैयारी की। इस सीज़न से पहले तमिलनाडु क्रिकेट संघ ने उन्हें चेपॉक में अभ्यास करने की अनुमति दी और टूर्नामेंट के लिए लखनऊ जाने से पहले टीम के लिए एक अभ्यास शिविर भी आयोजित किया गया। 2020-21 में इंट्रा-स्क्वॉड मैचों ने चोट से वापसी कर रहे शाहरुख को अपनी लय प्राप्त करने में मदद की।
शंकर ने कहा, "हां, लखनऊ जाने से पहले चेन्नई में हमारा एक छोटा सा शिविर था। आठ-10 दिन के उस शिविर में हमने नेट और मध्य विकेट पर अभ्यास किया। साथ ही हमने बड़े शॉट लगाने की तैयारी की और कुछ अभ्यास मैच भी खेलें। जब हम यहां आए तब हम सभी परिस्थितियों के लिए तैयार थे।"
मज़बूत नेतृत्व
दिनेश द्वारा पिछले कुछ सीज़नों में टीम को एक साथ लाने के बाद अब बारी थी शंकर की। दोबारा कप्तानी सौंपी जाने के बाद उनका पहला लक्ष्य ड्रेसिंग रूम में फिर से पारिवारिक माहौल बनाने का था। वह जानते थे कि ऐसा करने से बाक़ी सब ठीक हो जाएगा। यहां तक कि उन्होंने चलते टूर्नामेंट में पिता बनने के बावजूद घर न जाकर बायो-बबल में रहने का विकल्प चुना।
तमिलनाडु के लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने के बाद उन्होंने रिज़र्व खिलाड़ियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "पिछले दस वर्षों से तमिलनाडु टीम का हिस्सा होने के बाद, मैं कह सकता हूं कि इस ड्रेसिंग रूम का माहौल मेरे सबसे अच्छे अनुभवों में से एक है। मैंने रिज़र्व खिलाड़ियों का उल्लेख किया क्योंकि मैं उनकी जगह रह चुका हूं। मैं कई मैचों में टीम से बाहर बैठा हूं। मैं जानता हूं कि बाहर बैठने के बाद मेहनत करना और ख़ुद को प्रेरित करना कितना कठिन है। वे लोग हर प्रशिक्षण सत्र का हिस्सा बने और कईयों को तो ठीक से नेट में पर्याप्त समय भी नहीं मिला। इसके बावजूद वह हर दिन ख़ुद को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे थे जो एक अच्छा संकेत है।