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रणजी ट्रॉफ़ी में पहली बार दिखीं महिला अंपायर

वृंदा राठी, एन जननी और वी गायत्री ने बनाया इतिहास

पूर्व सॉफ़्टवेयर इंजीनियर एन जननी टीएनपीएल में अंपायरिंग कर चुकी हैं  •  TNPL

पूर्व सॉफ़्टवेयर इंजीनियर एन जननी टीएनपीएल में अंपायरिंग कर चुकी हैं  •  TNPL

वृंदा राठी, एन जननी और वी गायत्री ने मंगलवार को रणजी ट्रॉफ़ी में अंपायरिंग करने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया।

पूर्व क्रिकेटर गायत्री अभी जमशेदपुर में झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच दूसरे दौर के मैच में अंपायरिंग कर रही हैं। सॉफ़्टवेयर इंजीनियर रह चुकीं जननी सूरत में रेलवे और त्रिपुरा के बीच मैच में अंपायर हैं, वहीं पूर्व स्कोरर राठी पोर्वोरिम में गोवा बनाम पुडुचेरी मैच में यह ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं।

विभिन्न पृष्ठभूमियों से ताल्लुक रखने वाली यह तिकड़ी महिला सर्किट में पहले से ही काफ़ी सम्मानित है। पुरुष घरेलू सर्किट में महिला अंपायरों को लाने के बीसीसीआई के फै़सले से इन्होंने इतिहास रच दिया है।

घोर क्रिकेट प्रेमी 36 वर्षीय जननी ने अंपायर बनने के लिए कई बार तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (टीएनसीए) से संपर्क किया था। महिलाओं को अंपायरिंग करने की अनुमति देने के लिए राज्य निकाय द्वारा अपना नियम बदलने के कुछ साल बाद उन्होंने 2018 में BCCI की लेवल 2 की अंपायरिंग परीक्षा पास की और अंपायरिंग करने के लिए अपनी आईटी की नौकरी छोड़ने से पहले थोड़ा मनन किया। इसके बाद जननी ने 2021 में तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) में भी अंपायरिंग किया है।

32 वर्षीय राठी मुंबई की रहने वाली हैं। बीसीसीआई स्कोरर की परीक्षा पास करने से पहले वह स्थानीय मैचों में स्कोरर की भूमिका निभाती थीं। वह 2013 महिला विश्व कप में बीसीसीआई की आधिकारिक स्कोरर थीं। बाद में वह अंपायरिंग में चली गईं।

जननी और राठी अनुभवी अंपायर हैं और उन्हें 2020 में आईसीसी के डेवलपमेंट अंपायरों के पैनल में भी शामिल किया गया था।

अनुभवी अंपायर कोच डेनिस बर्न्स ने दोनों की आईसीसी डेवलपमेंट पैनल में प्रमोशन की सराहना की थी। उन्होंने भारतीय अंपायरों के साथ काफ़ी नज़दीकी से काम किया है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके उत्थान की देखरेख की है।

बर्न्स ने कहा था, "मुझे लगता है कि जननी और वृंदा भारत में महिला अंपायरों की 'नई लहर' का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।"

दिल्ली की रहने वाली 43 वर्षीय गायत्री ने क्रिकेटर बनने का सपना संजोया था लेकिन कंधे की चोट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने बीसीसीआई की परीक्षा पास करने के बाद 2019 में अंपायरिंग शुरू की। वह पहले रणजी ट्रॉफ़ी में रिज़र्व (चौथे) अंपायर के रूप में काम कर चुकी हैं।

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में पुरुष क्रिकेट में पहले से ही कई महिला अंपायर अंपायरिंग कर रही हैं, जबकि बीसीसीआई के साथ पंजीकृत 150 अंपायरों में से सिर्फ़ तीन महिलाएं हैं।