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यास्तिका भाटिया: विश्व कप में खेल कर मुझे यह पता लग चुका है कि मुझे आगे और क्या बेहतर करना है

20 वर्षीय युवा खिलाड़ी ने हालिया बीते डब्ल्यूपीएल में कमाल का प्रदर्शन किया था

भारतीय टीम ने 2022 की शुरुआत से अब तक कुल 35 टी20 मैच खेले हैं। यास्तिका भाटिया ने उनमें से केवल 13 मैचों में ही भाग लिया है। हालांकि उन 13 मैचों में कॉमनवेल्थ गेम्स का फ़ाइनल और इस साल फ़रवरी में महिला टी20 विश्व कप का सेमीफ़ाइनल भी शामिल था। भारतीय टीम प्रबंधन उन्हें एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में देखता है जो दबाव में खु़द को काफ़ी बेहतर तरीक़े से संभाल सकती है।
बांग्लादेश दौरे से पहले उन्होंने कहा, ''मैं अभी भी सीख रही हूं कि दबाव वाली स्थिति में कैसे खेलना है। हालांकि वह आमतौर पर अनुभव से ही आता है।"
कॉमनवेल्थ गेम्स के फ़ाइनल में यास्तिका चोटिल तानिया भाटिया के स्थान पर 9वें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरीं थी। तब भारत को 11 गेंदों में 17 रनों की ज़रूरत थी। हालांकि यास्तिका पांच गेंदों में सिर्फ़ दो ही रन बना सकीं और रिवर्स स्वीप लगाने की फ़िराक में पगबाधा आउट हो गईं थी। भारत वह फ़ाइनल सिर्फ़ नौ रनों से हार गया था।
उस शॉट के बारे में बात करते हुए यास्तिका ने कहा, "कोई भी बाहर से कह सकता है कि आपको यह या वह करना चाहिए था लेकिन जब आप मैदान में होते हैं तो आप जानते हैं कि क्या चल रहा है और उस स्थिति से कैसे निपटना है।"
"अगर वह शॉट लग जाता और बाउंड्री मिल जाती तो हर कोई कुछ और ही कहता। मेरा इरादा टीम के लिए मैच जीतना था। मैं हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करती रहूंगी।"
यास्तिका का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव से निपटना घरेलू क्रिकेट से काफ़ी अलग है। उन्होंने 2022-23 सीज़न में सीनियर महिला टी20 ट्रॉफ़ी के छह मैचों में 223, सीनियर महिला इंटर-ज़ोनल ट्रॉफ़ी के छह मैचों में 212 और सीनियर महिला टी20 चैलेंजर ट्रॉफ़ी के चार मैचों में 203 रन बनाए थे। वह अक्सर मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए नॉट आउट रहीं, जिसमें इंडिया डी के लिए टी20 चैलेंजर ट्रॉफ़ी का फ़ाइनल भी शामिल है।
यास्तिका कहती हैं, "घरेलू स्तर पर अगर आप चार डॉट गेंद खेल लेते हो और फिर आप पांचवीं गेंद पर चौका मार देते हो तो आप आसानी से उस दबाव को कवर कर सकते हो। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपको आसानी से बाउंड्री नहीं मिलती हैं। आपको पहली गेंद से ही सतर्क रहना होता है और आपके पास ज़्यादा ग़लतियों की गुंजाइश नहीं होती है। हालांकि इसी तरह के दबाव में ही आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हो। अगर आप सिर्फ़ बड़ौदा के लिए खेलते हैं तो आप अपनी क्षमता को कैसे समझेंगे? इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए आपको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने की आवश्यकता होती है।"
यास्तिका ने विमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया था। उस दौरान उन्होंने वेस्टइंडीज़ की हेली मैथ्यूज़ के साथ एक मजबूत ओपनिंग जोड़ी बनाई और टूर्नामेंट में कुल 214 रन बनाए।
मुख्य कोच चार्लोट एडवर्ड्स ने यास्तिका को स्पष्ट संदेश था कि वह सीज़न में सभी मैच खेलेंगी। इससे यास्तिका के"आत्मविश्वास काफ़ी बढ़ावा" मिला।
"आपने देखा हो होगा कि डब्ल्यूपीएल के दौरान किस तरह से मुझे सफलता मिली। उन्होंने मुझे काफ़ी आज़ादी दी। मुझे कहा गया था कि आप बस मैदान पर जाएं और एक युवा खिलाड़ी की तरह खेलें। किसी तरह का दबाव न लें। । आपके बाद बहुत सारे अच्छे बल्लेबाज़ हैं। इसलिए आपको केवल स्ट्राइक रोटेट करने की ज़रूरत नहीं है। आप अपना गेम खेलो।''
22 साल की उम्र में और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अपने दूसरे वर्ष में यास्तिका ने वनडे और टी20 विश्व कप, कॉमनवेल्थ और एक टेस्ट खेला है। वह अच्छी तरह से जानती हैं कि उन्हें कैसे खेलना है और उन्हें किस कौशल को निखारने की ज़रूरत है।
विश्व कप से मिली सीख के बारे में बताते हुए वह कहती हैं, "अगर मैं सिर्फ़ एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित करती हूं, तो अक्सर मैं उसे पूरा लेती हूं। यह बचपन से ही मेरी सबसे बड़ी ताक़त रही है। ऐसा हमेशा नहीं होता है कि विश्व कप जैसी प्रतियोगिताओं में सारी उम्मीदें पूरी हो जाती हैं क्योंकि दूसरी टीम भी बहुत प्रयास के बाद (जीतने के लिए) वहां मौजूद होती है। शायद हमारे प्रयास पर्याप्त न हों और हमें अधिक करने की आवश्यकता हो। यह अन्य टीमों से सीखने या अपनी टीम के खिलाड़ियों को देखने के बारे में है; उन्होंने जो बेहतर किया है, हम सीख सकते हैं। आप इन्हें केवल एक बार उन परिस्थितियों से गुजरने के बाद ही समझ सकते हैं। विश्व कप खेलने से मुझे पता चला मैं क्या हूं और मुझे क्या बेहतर करने की ज़रूरत है। यह मेरे करियर के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव था।"
और जब चीज़ें योजना के अनुसार नहीं होती हैं, तो यास्तिका अक्सर अपने माता-पिता के पास होती हैं।
"मैं अपने माता-पिता के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हूं - वे सुनते हैं और ज़्यादा कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन मुझे पता है कि वे मेरे साथ खड़े हैं। वे मुझे बिल्कुल भी जज नहीं करते हैं और कहते हैं 'तू सभी बाधाओं से ऊपर आई है तो इससे भी आ सकती है।' मेरे कोच किरण [अधिक] सर और संतोष [चौगुले] सर मेरे खेल में क्या कमी है, इस मामले में मेरी मदद करते हैं।"
बांग्लादेश का दौरा भारत के लिए एक व्यस्त सीज़न की शुरुआत है, जिसमें इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के अलावा साउथ अफ़्रीका और न्यूज़ीलैंड के विरूद्ध सफे़द गेंद की श्रृंखला भी शामिल है। साथ ही भारतीय टीम की एक नज़र अगले साल बांग्लादेश में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप पर भी रहेगी। यास्तिका को इस तरह के उच्च स्तरीय क्रिकेट का स्वाद मिल चुका है और वह इसमें और भी ज़्यादा आगे जाना चाहती हैं।

एस सुदर्शन ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।