जब इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड एक और विश्व कप मैच खेलने मैदान पर उतरेंगे तब तक इन दोनों टीमों के बीच खेले गए सबसे अजीबोग़रीब मुक़ाबले के बाद 850 दिन बीत गए होंगे। जुलाई 2019 में लॉर्ड्स पर हुए उस मैच के बाद बहुत कुछ हो गया है - शुरुआत के तौर पर कोविड-19 महामारी और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की ट्रॉफ़ी पर न्यूज़ीलैंड का कब्ज़ा। हालांकि कितना ही समय क्यों ना बीत जाए, वह उस रोमांच और नाटक को कम नहीं कर सकता।
दोनों टीमें यह दावा करेंगी कि एक अलग महाद्वीप पर, एक अलग प्रारूप में, प्रतियोगिता के एक अलग चरण में और बड़े पैमाने पर अलग-अलग टीमों के बीच इस रीमैच का बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। कम इसलिए क्योंकि 2019 वनडे विश्व कप फ़ाइनल की टीमों की तुलना में लगभग आधे ही खिलाड़ी इस मैच का हिस्सा होंगे।
वनडे विश्व विजेता इंग्लैंड के लिए चोटिल खिलाड़ियों की सूची बढ़ती ही जा रही है।
बेन स्टोक्स और
जोफ़्रा आर्चर की ग़ैरमौजूदगी में उन्होंने एक चैंपियन टीम का गठन किया है जो सुपर 12 चरण में अपना जलवा बिखेर चुकी है। लेकिन इस चैंपियन टीम के अहम खिलाड़ी अब इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं। पहले श्रीलंका के ख़िलाफ़ इंग्लैंड के डेथ ओवर स्पेशलिस्ट
टिमाल मिल्स को जांघ में चोट लगी। उसके बाद उनके सफल सलामी बल्लेबाज़
जेसन रॉय साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ सिंगल लेते हुए, पिंडली की चोट के चलते पहले मैदान से बाहर और अब विश्व कप से बाहर हो गए हैं। अपने दो महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के बाहर होने से इंग्लैंड की मुश्किलें बढ़ गई है।
इन सब के बीच न्यूज़ीलैंड फिर एक बार विश्व कप में अंडर डॉग की हैसियत से मैदान पर उतरेंगे। हाल के कुछ वर्षों में लगातार बड़े टूर्नामेंटों के सेमीफ़ाइनल में पहुंचने वाली न्यूज़ीलैंड को कम आंकना इंग्लैंड की सबसे बड़ी भूल हो सकती है। न्यूज़ीलैंड के पास विविधता से भरपूर एक मज़बूत गेंदबाज़ी क्रम है।
ट्रेंट बोल्ट टी20 के सुपरस्टार है,
टिम साउदी के पास अनुभव ही अनुभव है,
ईश सोढ़ी और
मिचेल सैंटनर ने दिखाया है कि वह बड़े से बड़े बल्लेबाज़ों को ख़ामोश रख सकते हैं।
केन विलियमसन की टीम के लिए यूएई की गर्म दोपहर में पांच दिनों के भीतर तीन मैच खेलने की थकान एक चुनौती पेश कर सकती है। हालांकि इस टीम ने अनगिनत मौक़ों पर दिखाया है कि वह हर चुनौती का डटकर मुक़ाबला कर सकती है।
इंग्लैंड : हार, जीत, जीत, जीत, जीत
न्यूज़ीलैंड : जीत, जीत, जीत, जीत, हार
2019 की बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए अंतिम गेंद पर रन आउट हुए
मार्टिन गप्टिल से अधिक प्रेरित कोई नहीं हो सकता है। भले ही लॉर्ड्स में उनकी मायूसी अब क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो गई है लेकिन वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका फ़ॉर्म इस विश्व कप में शानदार रहा है। 131.34 के स्ट्राइक रेट से 176 रन बनाने के बाद अब वह चुन-चुन कर बदला लेने को उत्सुक होंगे। उनका आक्रामक अंदाज़ टीम के लिए बड़े स्कोर की नींव खड़ी कर सकता है।
मोईन अली के पास भी ख़ुद को साबित करने का एक बढ़िया मौक़ा है। 2019 के उस फ़ाइनल में अपने ख़राब फ़ॉर्म के चलते उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। शारजाह में रॉय की चोट का उन्हें फ़ायदा मिला और तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने 27 गेंदों पर सर्वाधिक 37 रन बनाए। इन्हीं पिचों पर चेन्नई सुपर किंग्स के साथ आईपीएल 2021 का ख़िताब जीतने वाले मोईन इंग्लैंड के ट्रंप कार्ड बन सकते हैं। पावरप्ले में उनकी ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी भी उभर कर आई हैं और वह लगातार विकेट चटका रहे हैं।
रॉय के बाहर होने के बाद इंग्लैंड पर अपने शीर्ष क्रम को बदलने की आवश्यकता आन पड़ी है। सवाल यह है कि क्या जॉनी बेयरस्टो से पारी की शुरुआत करवाई जाए या डाविड मलान को ऊपर भेजा जाए। ऐसे में मध्य क्रम में सैम बिलिंग्स को मौक़ा मिल सकता है। हालांकि अगर इंग्लैंड अपनी गेंदबाज़ी को मज़बूत करना चाहता है, तो डेविड विली टीम में आ सकते हैं।
इंग्लैंड (संभावित) : जॉस बटलर (विकेटकीपर), जॉनी बेयरस्टो, डाविड मलान, ओएन मॉर्गन (कप्तान), लियम लिविंगस्टन, सैम बिलिंग्स, मोईन अली, क्रिस वोक्स, क्रिस जॉर्डन, आदिल रशीद, मार्क वुड
कप्तान विलियमसन की कोहनी में लगी चोट न्यूज़ीलैंड के लिए चिंता का विषय ज़रूर है लेकिन उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ अपनी पारी में दिखाया कि बावजूद इसके वह टीम के लिए अहम योगदान दे सकते है। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हार के बाद ऐडम मिल्न को टीम में शामिल किया गया था और तब से बिना किसी बदलाव के लगातार चार मैचों में टीम ने जीत दर्ज की है।
न्यूज़ीलैंड (संभावित) : मार्टिन गप्टिल, डैरिल मिचेल, डेवन कॉन्वे (विकेटकीपर), केन विलियमसन (कप्तान), ग्लेन फ़िलिप्स, जेम्स नीशम, मिचेल सैंटनर, टिम साउदी, ऐडम मिल्न, ट्रेंट बोल्ट, ईश सोढ़ी