साढ़े पांच साल में इंग्लैंड की टी20 विश्व कप में वेस्टइंडीज़ और न्यूजीलैंड से मिली हार, एक कोलकाता और दूसरी अबू धाबी में, के मायने में कुछ नहीं बदला। दोनों बार एक महत्वपूर्ण टॉस हारकर वे मैच हार गए। दोनों मौक़ों पर उन्होंने ख़ुद को मैच की पसंदीदा टीम बनाने के लिए शुरुआती विकेट लिए। दोनों बार उनकी कड़ी मेहनत यॉर्कर से चूकी और उसको मिडविकेट के ऊपर से बाहर फेंक दिया गया।
लेकिन डैरिल मिचेल द्वारा क्रिस वोक्स के फुल टॉस को चार रन पर भेजने के बाद इंग्लैंड टीम के खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया से इन दोनों मैचों का अंतर पता चला। 2016 में इंग्लैंड के खिलाड़ी अपनी हार के तरीक़े को समझ नहीं पा रहे थे, वहीं बुधवार की रात को इस हार को स्वीकार करने का भाव था। हार वाली मुस्कुराहट, सिर पर खरोंच और हज़ार गज़ दूर डग आउट, लेकिन इस बार कोई बेन स्टोक्स मैदान पर आंसू नहीं बहा रहा था।
इन दो इंग्लैंड टीम के बीच एक अंतर है। वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ लियम प्लंकेट 30 साल की उम्र में उनकी टीम के सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी थे। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ लियम लिविंगस्टन 28 साल के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़, ओएन मॉर्गन आईपीएल क्रिकेट खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी थे। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ इस टीम के सभी 11 खिलाड़ी आईपीएल खेल चुके थे। मॉर्गन द्वारा 2016 के दल को "थोड़ा सा भोलापन और बड़ी मात्रा में प्रतिभा" के संयोजन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, लेकिन यह टीम हार मानने वालों में से नहीं थी।
इस मैच का परिणाम ऐसा लगता है जैसे इंग्लैंड की टीम मौक़ों का फ़ायदा नहीं उठा सकी। कई चीज़े भी इस टीम के साथ थी। जोफ़्रा आर्चर, सैम करन, टिमाल मिल्स, जेसन रॉय और स्टोक्स सेमीफ़ाइनल में हारी टीम का हिस्सा नहीं थे। इनमें से कुछ ऐसे खिलाड़ी थे जो दो साल पहले 2019 में 50 ओवर के विश्व कप में खेल रहे थे।
लेकिन जिस पीढ़ी ने अपनी सफ़ेद गेंद टीम की क्रांति का नेतृत्व किया, वह हमेशा के लिए एक साथ नहीं चलेगी। शायद अधिक प्रासंगिक बात यह है कि अगले कुछ वर्षों में किसी भी प्रारूप में कुछ विश्व कप होंगे जिनमें भारत का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब होगा, लेकिन इंग्लैंड तो ग्रुप 1 की सबसे बेहतरीन टीम रहने के बाद सफल नहीं हो सकी।
इंग्लैंड की टीम में सभी खिलाड़ियों की उम्र 28 से 35 के बीच थी। अपने आप में कोई समस्या नहीं है। चेन्नई सुपर किंग्स के 'डैड्स आर्मी' दल के अनुभव को 2018 और 2021 में उनकी आईपीएल जीत के कारण उन्हें अलग नज़रिए से देखा गया। यह दिलचस्प है कि यह कहानी कैसे जल्दी बदल सकती है। एक सप्ताह पहले ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ऐरन फ़िंच ने कहा था कि पहले हमारी टीम पुरानी हो चुकी थी, लेकिन अब इसको अनुभवी कहा जा रहा है।
इंग्लैंड के युवा खिलाड़ियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। केन विलियमसन ने इस साल बर्मिंघम फ़ीनिक्स ने पहली बार देखी गई गहराई की सराहना की, जबकि इंग्लैंड की दूसरे दर्जे की टीम ने जुलाई में पाकिस्तान को वनडे सीरीज़ में 3-0 से हराया, यहां तक कि अनकैप्ड इंग्लैंड के खिलाड़ियों की भी मांग है, क्योंकि उन्होंने बिग बैश, पीएसएल अबू धाबी टी10 में अपना कौशल दिखाया है।
लेकिन अगले विश्व कप को देखते हुए समय कम है। इंग्लैंड को अपने बदलते दौर को जल्द संभालने की ज़रूरत है, क्योंकि अगले तीन सालों में 2022 और 2024 में टी20 विश्व कप और 2023 में वनडे विश्व कप खेला जाना है।
इंग्लैंड ने दो साल पहले न्यूज़ीलैंड के दौरे पर युवा खिलाड़ियों को मौक़ा दिया था, लेकिन वहां केवल करन ही पहली पसंद की टीम में जगह नहीं बना पाए, दूसरी ओर टॉम बैंटन और पैट ब्राउन की चोटों और ख़राब फॉ़र्म से नुक़सान भी हुआ। उनके पास जनवरी में बारबेडोस में प्रयोग करने का एक और मौक़ा है, जब वे वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ नौ दिनों में पांच टी20 मैच खेलेंगे, उन्हें इस मौक़े को गंवाना नहीं चाहिए।
उनके सफ़ेद गेंद के विशेषज्ञ उस दौरे के लिए उपलब्ध होने चाहिए, तीनों प्रारूप खेलने वाले खिलाड़ी ऐशेज़ में व्यस्त होंगे। यह हैरी ब्रुक और विल जैक के लिए पदार्पण करने का मौक़ा होगा, जबकि 24 या 25 साल की उम्र के खिलाड़ियों में जो क्लार्क, जॉर्ज गार्टन, साक़िब महमूद, मैट पार्किंसन और फ़िल सॉल्ट टीम में जगह बना सकते हैं। लिविंगस्टन को अपने दूसरे टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने के लिए 100 घरेलू टी20 मैच चार साल में खेलने पड़े, लेकिन अब वह अपनी जगह टीम में बना चुके हैं।
इंग्लैंड को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि क्या खिलाड़ियों के लिए सभी प्रारूपों में नियमित रहना सही है। जॉनी बेयरस्टो, जॉस बटलर, डाविड मलान, वोक्स और मार्क वुड सभी इस सप्ताह के अंत में ऐशेज़ दौरे के लिए ऑस्ट्रेलिया की उड़ान भरेंगे। इनमें से बटलर आईपीएल से पिता बनने की वजह से हटे थे, तो वुड को नीलामी में चुना ही नहीं गया था। कहीं ना कहीं बबल को देखते हुए भी पूरी रणनीति बनाने की ज़रूरत होगी।
सबसे अनुभवी मॉर्गन का अपना भविष्य है। उन्होंने बुधवार रात की हार के बाद अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप तक इंग्लैंड के कप्तान बने रहने के अपने इरादे दोहराए, लेकिन इस साल उनका फ़ॉर्म ख़राब रहा है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वह "अभी भी टीम के भीतर पर्याप्त योगदान दे रहे हैं, लेकिन आदिल रशीद को 18वें ओवर में थमाई गेंद और वोक्स को डेथ ओवरों में पड़े छक्कों ने इंग्लैंड के कप्तान की मुश्किलें ज़रूर बढ़ाई हैं। मॉर्गन इंग्लैंड के सीमित ओवरों के क्रिकेट में सबसे शक्तिशाली खिलाड़ी हैं और उन्हें अपनी शर्तों पर झुकने का मौक़ा दिया जाएगा, लेकिन सेमीफ़ाइनल हार एक निरीक्षण की मांग ज़रूर करती है, जहां नई पीढ़ी की ओर जाकर देखा जा सकता है।
मैट रोलर ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।