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घरेलू क्रिकेटरों को उनका भुगतान दिलाने के लिए होगा कमेटी का गठन - बीसीसीआई

2020 टोक्यो ओलंपिक से पहले बोर्ड भारतीय एथलीटों की 10 करोड़ रुपये से आर्थिक सहायता भी करेगा

Chirag Jani is congratulated after sending back Manoj Tiwary, Saurashtra v Bengal, final, Ranji Trophy 2019-20, 3rd day, Rajkot, March 11, 2020

2020-21 सत्र में बीसीसीआई ने पुरुष घऱेलू क्रिकेटरों के लिए सिर्फ़ राष्ट्रीय टी20 और 50-ओवर क्रिकेट की प्रतियोगिता ही करा पाई थी  •  PTI

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ऐपेक्स काउंसिल ने कहा है कि 2020-21 सीज़न में खेलने वाले भारतीय पुरुष घरेलू क्रिकेटों के लंबित भुगतान को जल्द से जल्द निपटाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। कोविड-19 महामारी की वजह से भुगतान में देरी हुई है।
इस महामारी और अब तक भुगतान न होने की वजह से बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले 38 राज्य संघों को काफ़ी आर्थिक परेशानियों से गुज़रना पड़ रहा है। औसतन, एक पुरुष घरेलू क्रिकेटर जो अपने राज्य के लिए सभी फ़ॉर्मेट के हर मैच खेलता है उसे एक सीज़न में 15-16 लाख रुपये मिल जाते हैं। लेकिन इस बार 2020-21 में उन्हें 3-4 लाख रुपये से ही संतोष करना पड़ेगा, क्योंकि बीसीसीआई इस सत्र में राष्ट्रीय टी20 प्रतियोगिता, सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी और 50 ओवर वाली विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी का ही आयोजन करा सका था। जबकि महिलाओं के लिए केवल 50 ओवर वाली प्रतियोगिता आयोजित हो पाई थी।
उन खिलाड़ियों के हालात और भी चिंताजनक हैं जिनके पास इंडियन प्रीमियर लीग का कॉन्ट्रैक्ट नहीं है या फिर जो स्पोर्ट्स कोटा से कोई सरकारी नौकरी नहीं कर रहे। इस स्थिति से निजात पाने के लिए ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) में होने वाले लैंड क्लब क्रिकेट में भी खेलने की कोशिश की है, जहां उन्हें चार से पांच लाख रुपये प्रति महीने ( 4000-5000 पाउंड) मिल सकते हैं ताकि कमाई का एक ज़रिया बना रहे। ये बात ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो के साथ इन जैसे खिलाड़ियों में से एक ने साझा की।
नई गठित होने वाले कमेटी के लिए ये आसान काम नहीं होगा, क्योंकि भारत में किसी एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले ऐसे खिलाड़ियों की संख्या 750-800 के बीच है।
बीसीसीआई की ओर हुई ये घोषणा बेहद अहम है और इसे एक बड़ा क़दम बताया जा रहा है क्योंकि मार्च 2020 से ही भारत में लंबे फ़ॉर्मेट की कोई भी घरेलू प्रतियोगिता नहीं हो पाई है।
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने जब 2019 में इस कार्यभार को संभाला था तो कहा था, "मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को उनकी बुनियादी ज़रूरतें दिलाना। जिसमें सबसे पहले मैं इन खिलाड़ियों को आर्थिक तौर पर मज़बूत करना चाहूंगा।"
गांगुली को अध्यक्ष बने क़रीब 18 महीने बीत गए लेकिन अब तक किसी भी राज्य संघ ने घरेलू क्रिकेटों के लिए किसी तरह का कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं बनाया है। हालांकि पंजाब और उत्तराखंड ने योजनाओं के बारे में ऐलान तो किया था कि वे अपने खिलाड़ियों के लिए एक ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जो उनके भविष्य को संवारेगा लेकिन अब तक ये क़ाग़ज पर ही सीमित है।
इसके अलावा बीसीसीआई ने भारतीय ओलंपिक संघ से वादा किया है कि बोर्ड हर तरह से भारतीय एथलीटों की मदद करेगा जो 2020 टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों में लगे हैं और इसके लिए 10 करोड़ रुपये भी देगा।

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब-एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है। @imsyedhussain