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अय्यर को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता

पिछले कुछ वर्षों में अय्यर के आंकड़े उनके दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मध्य क्रम के बल्लेबाज़ों में से एक होने की गवाही दे रहे हैं

Shreyas Iyer gets creative, Australia vs India, Champions Trophy semi-final, Dubai, March 4, 2025

Shreyas Iyer के चलते अन्य भारतीय बल्लेबाज़ों के सिर से जोख़िम उठाने का भार कम हुआ है  •  ICC via Getty Images

90 के दशक में जिन्होंने भी भारतीय क्रिकेट को फ़ॉलो किया होगा उन्हें बिना हेलमेट के सलीम मलिक की बल्लेबाज़ी का तरीका ज़रूर याद होगा कि वो कैसे गेंदबाज़ के गेंद फेंकना शुरू करने से पहले ही स्टंप छोड़ दिया करते थे और फिर बिना किसी ख़ास मशक्कत के वह गेंदबाज़ को भ्रमित कर दिया कर दिया करते थे। यह कुछ हद तक मज़ाक का हिस्सा था तो कुछ साहस का लेकिन यह पूर्ण रूप से स्पिनर के दिमाग़ से खेलने का प्रयास हुआ करता था।
चैंपियंस ट्रॉफ़ी में श्रेयस अय्यर ने कुछ उसी अंदाज़ में स्पिन के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी की है जहां पिच धीमी रही है और मुख्य रूप से स्पिन को मददगार रही है। स्पिनर के दौड़ते ही उन्हें अपने पोज़िशन से लगातार मूव करते देखा गया। किसी भारतीय मध्य क्रम बल्लेबाज़ का पाकिस्तानी स्पिनरों के ख़िलाफ़ खेल को नियंत्रित करना 90 के दशक की याद दिलाता है लेकिन इस बार केंद्र में एक भारतीय बल्लेबाज़ है।
इस टूर्नामेंट में स्पिन के ख़िलाफ़ सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ से अय्यर अधिक पीछे नहीं हैं और दुबई में स्पिन के ख़िलाफ़ उन्होंने सबसे अच्छी बल्लेबाज़ी की है। उन्होंने ऐसा प्रदर्शन तब किया है जब उन्हें पारी की शुरुआत करने के लिए पेस का सामना नहीं करना पड़ा और उन्होंने ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ी की जब गेंद पुरानी हो चुकी थी और फ़ील्ड भी खुल चुकी थी।
इस टूर्नामेंट में अय्यर का एक नया पक्ष उजागर हुआ है। उन्होंने इस टूर्नामेंट में अपने करियर का सबसे धीमा अर्धशतक लगाया है। ऐसी पिचें जिसने 90 के दशक में खेले जाने वाले ODI की यादें ताज़ा की हैं, वहां अय्यर ने मलिक से बहुत अलग नहीं खेलने का पुराना तरीका अपनाया है। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ विराट कोहली के साथ उन्होंने भारत की चेज़ को स्थापित किया जबकि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 30 के स्कोर पर तीन विकेट गंवा चुकी भारतीय टीम को अपने अर्धशतकीय पारी से संभालने में अहम भूमिका अदा की।
अय्यर भले ही इस टूर्नामेंट में अब तक एक भी शतक नहीं लगा पाए हों और भले ही उन्हें एक भी प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड ना मिल पाया हो लेकिन उन्होंने परिस्थितियों के हिसाब से ख़ुद को ढालने की उनकी क्षमता ने उन्हें विश्व के प्रमुख मध्य क्रम बल्लेबाज़ों में से एक बल्लेबाज़ के तौर पर स्थापित ज़रूर किया है। 2019 के वर्ल्ड कप के बाद से ही वह प्रभावशाली खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। वह इस अवधि में 2500 या उससे अधिक रन बनाने वाले छह बल्लेबाज़ों में शामिल हैं। हालांकि इनमें से तीन बल्लेबाज़ शीर्ष तीन में बल्लेबाज़ी करते हैं और किसी भी अन्य बल्लेबाज़ ने उनसे अधिक तेज़ी से रन नहीं बनाए हैं।
फ़रवरी 2022 से अय्यर अपने सुनहरे दौर में हैं। उन्होंने नियमित तौर पर अन्य बल्लेबाज़ों के ऊपर से जोख़िम को कम करते हुए उनके लिए रन बनाना आसान किया है। रोहित शर्मा यह भूमिका शीर्ष क्रम में अपने अति आक्रामक रवैये से अदा करते आ रहे हैं जबकि अय्यर ने मध्य क्रम में अधिक निरंतरता के साथ यह भूमिका अदा की है। शुभमन गिल, कोहली और केएल राहुल को इन दोनों बल्लेबाज़ों के इर्द गिर्द बड़ा स्कोर बनाने में सहूलियत मिली है।
इस अवधि में 30 या उससे अधिक बार बल्लेबाज़ी करने वाले बल्लेबाज़ों में नॉन स्ट्राइकर के साथ रनों के अनुपात में रोहित का आंकड़ा सबसे बेहतर है जबकि अय्यर का आंकड़ा दसवां सबसे बेहतर आंकड़ा है। रोहित ने 40 पारियों में 1818 रन बनाए हैं जबकि इस दौरान नॉन स्ट्राइकर ने 1240 रन बनाए हैं। रोहित और नॉन स्ट्राइकर के साथ रनों का अनुपात 1.47 है। वहीं अय्यर ने 40 पारियों में 1930 रन बनाए हैं जबकि नॉन स्ट्राइकर के बल्ले से 1725 रन निकले हैं। अय्यर और नॉन स्ट्राइकर का अनुपात 1.12 है।
इस अवधि में पूर्ण सदस्य देशों से कुल 69 खिलाड़ियों ने पावरप्ले के बाद 20 या उससे अधिक बार बल्लेबाज़ी की है और इन बल्लेबाज़ों में से सिर्फ़ पांच बल्लेबाज़ों की औसत 50 के ऊपर रही है और पावरप्ले को छोड़कर इन बल्लेबाज़ों ने 100 से अधिक के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। इनमें चार बल्लेबाज़ों की औसत और नॉन स्ट्राइकर के मुक़ाबले बेहतर रही है - हाइनरिक क्लासन, ऐडन मारक्रम, अय्यर और गिल। वहीं सिर्फ़ क्लासन और अय्यर ने ही नॉन स्ट्राइकर के 100 या उससे अधिक के स्ट्राइक रेट से रन बनाने की स्थिति में ऐसी बल्लेबाज़ी की है।
यह कितनी अचरज भरी बात है कि इस सीज़न की शुरुआत से पहले भारतीय टीम अय्यर को ड्रॉप करना चाहती थी। अगर इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले वनडे से पहले कोहली को घुटने में चोट नहीं लगी होती तो अय्यर को एकादश में शामिल नहीं किया गया होता। टेस्ट प्रारूप से जगह गंवाने के बाद अय्यर उस प्रारूप की भी योजनाओं से बाहर हो सकते थे जिसमें उन्होंने निरंतरता के साथ प्रदर्शन किया है। अपनी उस मैच जिताऊ पारी के बाद अय्यर ने कहा था कि कोहली की जगह यशस्वी जायसवाल को नहीं बल्कि उन्हें एकादश में शामिल किया गया था।
यह दर्शाता है कि भारत के पास कितने प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ मौजूद हैं। टीम प्रबंधन शीर्ष पांच में एक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की जगह बनाने को आतुर था। रोहित कप्तान हैं, कोहली वनडे के महानतम बल्लेबाज़ों में से एक हैं, गिल ने हालिया समय में सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ी की है, राहुल विकेटकीपिंग करते हैं। ऐसी स्थिति में अगर भारत को कोई प्रयोग करना था तो अय्यर की जगह ख़तरे में पड़ रही थी।
उस प्रयोग को जल्दबाज़ी में छोड़ दिया गया और सात मैचों में 53.71 की औसत से रन बनाने वाले अय्यर अब नज़रअंदाज़ करने योग्य नहीं रह गए हैं।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में वरिष्ठ लेखक हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के कंसल्टेंट सब एडिटर नवनीत झा ने किया है।