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दुबई की धीमी पिचों पर शुभमन गिल की महानता की परीक्षा

श्रीलंका की घूमती हुई पिचों पर असफल होने के बाद गिल दुबई की धीमी पिचों पर अब तक सफल रहे हैं

शुभमन गिल ने अब तक जो 52 वनडे मैच खेले हैं, उसमें सलामी बल्लेबाज़ों ने कुल 12 शतक लगाए हैं। इनमें से आठ शतक गिल के ही बल्ले से आए हैं। इन मैचों में सलामी बल्लेबाज़ों का औसत 38.89 और स्ट्राइक रेट 95.33 का रहा है, जबकि गिल के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 62.13 और 100.55 है।
इन 52 मैचों में 38 में भारत को जीत मिली है। इतनी अच्छी शुरुआत किसी भी बल्लेबाज़ को अपने करियर में नहीं मिली है। 56.38 की औसत के साथ हाशिम अमला ही कुछ क़रीब आए हैं।
हालांकि अच्छी शुरुआत का मतलब कभी भी एक बड़ा करियर नहीं होता। इमाम-उल-हक़ और शे होप की भी शुरुआत अच्छी थी, लेकिन वे लोग अभी अपने करियर के बीच में हैं। किसी बल्लेबाज़ की महानता उसी में है कि वह समय के साथ अलग-अलग परिस्थितियों में अपने को कैसे विकसित करता है।
गिल को वनडे में पहली असली चुनौती श्रीलंका के धीमी स्पिन पिचों पर मिली, जहां एक मजबूत भारतीय टीम श्रीलंकाई स्पिन के सामने 2-0 से हार गया। गिल ने इस सिरीज़ में 93 गेंदों में 57 रन बनाए। वह खुलकर नहीं खेल पाए और अजीब तरीकों से आउट हुए।
किसी भी सलामी बल्लेबाज़ को अधिकांश वनडे मैचों में सबसे अच्छी परिस्थितियों में बल्लेबज़ी करने को मिलता है। उन्हें फ़ील्डिंग प्रतिबंध मिलते हैं। ओपनर को टीम को निर्धारित रन रेट से आगे रखना चाहिए। श्रीलंका में गिल का तरीका सही था; उन्हें सिर्फ़ स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ बेहतर तरीके से खेलने की ज़रूरत थी, ख़ासकर जब पिच मददग़ार ना हो।
दुबई में भी भारत को धीमी पिचों पर खेलना था। गिल इन पिचों पर अब सफल होने का तरीका ढूंढ चुके हैं और उन्होंने भारत के लिए सबसे अधिक रन बनाए हैं। तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ उन्होंने 112 गेंदों में 105 रन बनाए हैं, लेकिन स्पिन के ख़िलाफ़ उनके रन 69 गेंदों में सिर्फ़ 42 हैं। तेज़ गेंदबाज़ों में भी गिल ने मुस्तफ़िज़ुर रहमान के खिलाफ अधिक हमला नहीं किया, जो गति में बदलाव का उपयोग कर सकते हैं।
यह एक समझदार बल्लेबाज़ के संकेत हैं जो एक अच्छा शुरुआत मिलने के बाद अपना अहंकार नीचे रख सकता है। गिल ने अब तक इस टूर्नामेंट में किसी ऐसे टीम का सामना नहीं किया है, जो उन्हें यह विकल्प नहीं दे। श्रीलंका चाहे तो 40 ओवर से ज्यादा स्पिन गेंदबाज़ी कर सकती थी लेकिन बांग्लादेश के पास सिर्फ़ दो मुख्य स्पिनर थे, जबकि पाकिस्तान के पास सिर्फ़ एक।
गिल की रणनीति रही- स्पिनरों को शांति से खेलना और फिर तेज गेंदबाज़ों को आने पर आक्रमण करना। उन्होंने स्पिन के ख़िलाफ़ 69 गेंदों पर सिर्फ पांच आक्रमक शॉट खेले हैं। इस टूर्नामेंट में स्पिन के ख़िलाफ़ उनका स्ट्राइक रेट सभी भारतीय बल्लेबाज़ों के मुक़ाबले सबसे कम रहा है।
इस टूर्नामेंट में भारत को आमतौर पर अधिक स्पिन गेंदबाज़ी का सामना नहीं करना पड़ा है, जो कि उनके लिए एक राहत की बात रही है। भारत के स्पिन गेंदबाज़ों ने पहले गेंदबाज़ी करते हुए 4.63 रन प्रति ओवर दिए हैं, लेकिन उनके बल्लेबाज़ स्पिन का सामना करते हुए चार रन प्रति ओवर से भी कम रन बना रहे हैं। यह वह पहलू है, जो भारत और गिल को चुनौती दे सकता है।
भारत के अगले प्रतिद्वंद्वी न्यूज़ीलैंड के पास मिचेल सैंटनर और अन्य स्पिन गेंदबाज़ी आलराउंडर्स हैं, लेकिन इस मैच की अहमियत सिर्फ सेमीफ़ाइनल लाइनअप तय करने तक ही सीमित है। ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ़्रीका और अफ़ग़ानिस्तान के पास भी दो मुख्य स्पिनर और एक पार्ट-टाइम गेंदबाज़ी का विकल्प है।
ऐसे में फिर से ज़िम्मेदारी गिल पर होगी। अगले दो-तीन मैच गिल के वनडे करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं