रवींद्र जाडेजा ने मैच की वह पारी नहीं खेली, जो 'प्लेयर ऑफ़ द मैच' रोहित शर्मा ने खेली या शार्दुल ठाकुर की पारी, जो आपका मूड दे। उमेश यादव ने विकेट लेकर मैच समाप्त किया तो जसप्रीत बुमराह ने टेस्ट के आख़िरी दिन मैच का सबसे बेहतरीन स्पेल डाला।
जाडेजा ने इसमें से कुछ नहीं किया और इसके बावजूद वह भारत की ओवल की जीत के केंद्र में रहे। इसलिए जाडेजा जाने भी जाते हैं। हसीब हमीद और मोईन अली के दो विकेट अहम तो थे, लेकिन उससे अहम उनकी गेंदबाज़ी के आंकड़े थे। 30 ओवर में 11 मेडन आर इकॉनमी रेट दो से नीचे। उन्होंने पांच गेदबाज़ों के आक्रमण वाली टीम में हर तीसरा ओवर किया, वो भी सबसे गर्म दिन में, जिससे अन्य चार तेज़ गेंदबाज़ों को आराम भी मिल गया।
यह प्रदर्शन ध्यान देने योग्य भी है क्योंकि यह आर अश्विन के लगातार चयन नहीं होने के बाद आया है, जिसकी इस सीरीज़ में लगातार चर्चा हो रही है। लेकिन ओवल पर उस समय और भी इस पर चर्चा होने लगी, जब कप्तान विराट कोहली ने टॉस के वक़्त बताया कि अश्विन अभी भी टीम से बाहर हैं।
कोहली ने इसे बाहरी आवाज़ बताया। पिछले एक दशक में चौथे दिन से ओवल में स्पिनरों का औसत 24 का रहा है। यह 2014 से इंग्लैंड में खेले गए सभी मैदानों पर सर्वश्रेष्ठ है, जहां एक से ज़्यादा मैच खेले गए हों। यहां पर स्पिनरों के लिए कुछ तो था। हालांकि, यह इस तथ्य को नहीं बदलता है कि यह सतह विशेष रूप से स्पिन के अनुकूल नहीं थी।
टॉस पर कोहली के तर्क ने केवल उस बाहरी शोर को बढ़ाया, जो यह तर्क देते हैं कि इंग्लैंड के चार बायें हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ जाडेजा का रिकॉर्ड अच्छा है। अश्विन का बायें हाथ के बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ रिकॉर्ड बहुत ही अच्छा है, लेकिन यह दोनों के बीच एक समान तुलना नहीं है। यह इस पर है कि भारत अपने बेहतरीन संतुलन को देख रहा है। इसी संतुलन से ठाकुर भी निकल कर आए। असल में यह गहराई है, जिसका भारतीय टीम लुत्फ़ ले रहा है।
जाडेजा, अश्विन से अधिक मज़बूत बल्लेबाज़ी का विकल्प देते हैं, क्योंकि भारत का मध्य क्रम अभी जूझ रहा है। वह बायें हाथ के बल्लेबाज़ हैं। टीम के बल्लेबाज़ी कोच विक्रम राठौर ने कहा भी था कि इससे शुरुआती क्रम में मौज़ूद पांच दायें हाथ के बल्लेबाज़ों में एक बायें हाथ का बल्लेबाज़ मिलता है, लेकिन अहम बात यह है कि ठाकुर रन बना रहे हैं, विकेट ले रहे हें और भारत ने अश्विन के बिना ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में खेले पिछले पांच टेस्ट में दो जीते हैं और एक ड्रॉ खेला है।
मैच के बाद कोहली ने कहा था, "एक ग्रुप के तौर पर हमें पता है कि हमें कहां फोकस करना है और हम एक सामूहिक कॉल लेते हैं कि हमें कैसे अपनी बेहतरीन संतुलित टीम मैदान पर उतारनी है। जो भी अच्छा संतुलन हमें लगता है, हम उसके साथ जाते हैं और हमें यह विश्वास होता है कि उस गेंदबाज़ी आक्रमण या बल्लेबाज़ी क्रम से हम टेस्ट जीत सकते हैं। बाहर जो भी आवाज़ उठ रही हैं, हमें उससे फर्क नहीं पड़ता है। हमें बस अपने ग्रुप पर विश्वास है और हम इसे आगे ले जाते हैं।"
इसमें से कुछ भी जाडेजा के गेंद से वास्तविक प्रदर्शन को मोड़ नहीं सकता है। आख़िरी दिन और आख़िरी पारी में स्पिनरों के लिए थोड़ा मुश्किल समय होता है, क्योंकि उनसे उम्मीद ज़्यादा होती हैं। यही वह समय है, जहां पर वे अपना नाम बनाते हें। विकेट अहम हैं बेशक, लेकिन चौथी पारी में जहां बल्लेबाज़ी टीम ड्रॉ या जीत के लिए खेलती है, वहां पर गेंदबाज़ी में नियंत्रण भी बेहद ही अहम है।
सोमवार को जाडेजा ने यह पहली बार नहीं किया। उन्होंने 2014 में लॉर्ड्स टेस्ट में चौथी पारी में 32 ओवर किए थे और मात्र 53 रन दिए थे। इस तरह भारत ने धीमे विकेट पर 319 रनों के लक्ष्य का बचाव कर लिया।
2018 में ओवल से कम फ़्लैट मेलबर्न के विकेट पर उन्होंने चौथी पारी में 32 ओवर किए और टीम को जीत दिलाई। 2019 में जमैका में और 2017 गॉल में भी उन्होंने ऐसा किया। ऐसे में जब राठौर ने चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद कहा कि भारत को उम्मीद है कि जाडेजा मैच के आख़िरी दिन अहम रोल निभाएंगे तो कोई आधारहीन बात नहीं कर रहे थे।
राठौर ने इसकी वजह बताते हुए कहा था, "पांचवें दिन के विकेट में बायें हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए ऑफ़ साइड में रफ़ बने हैं, तो वह एक अहम रोल निभाएंगे। उसने बहुत अच्छी गेंदबाज़ी की है। पिछले पांच से छह ओवर में उसने बहुत संतुलन के साथ गेंदबाज़ी की है और मौके बनाए हैं।"
भारत को इसी की उम्मीद थी और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने लगातार रफ़ पर गेंदबाज़ी की, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि रन नहीं बन पाएं। 30 ओवरों में 11 मेडन इस बात की गवाही देते हैं। जाडेजा ने चौथी पारी में हर तीसरा ओवर मेडन किया है। मौज़ूदा टेस्ट गेंदबाज़ों में नेथन लायन, जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड ने ही चौथी पारी में उनसे ज़्यादा मेडन ओवर किए हैं, लेकिन तीनों ने ही जाडेजा से ज़्यादा समय में मेडन किए।
विकेट इसमें बोनस हो जाते हैं। दूसरे एंड पर उनके साथ बुमराह जैसा गेंदबाज़ काम कर रहा था, जो लगातर दबाव बनाकर अपना जादू बिखेर रहा था।
उस्मान समिउद्दीन ESPNcricinfo में सीनियर एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है। @nikss26