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भारत के लिए 'टेम्पलेट सेट', लेकिन अश्विन के लिए अभी दरवाज़े बंद नहीं

भारत के पास गेंदबाज़ी के बहुत सारे विकल्प हैं, लेकिन नंबर सात पर बल्लेबाज़ी करने के लिए विकल्प उतने पर्याप्त नहीं हैं।

Brought in for just one game, R Ashwin opened the bowling for Surrey too, Somerset vs Surrey, County Championship 2021, The Oval

सरे के लिए काउंटी मैच के दौरान अश्विन  •  Getty Images

पहले टेस्ट के बाद मैच प्रेज़ेंटेशन के दौरान भारतीय कप्तान विराट कोहली ने जो कहा, उससे टीम के प्रमुख स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के पूरे सीरीज़ में खेलने पर संदेह उठने लगा है। टीम की गेंदबाज़ी आक्रमण के बारे में पूछे जाने पर विराट कोहली ने कहा, "पूरे सीरीज़ के दौरान हमारा यह खाका रहने जा रहा है, हम 4 तेज़ गेंदबाज़ और एक स्पिनर के साथ खेल सकते हैं। हालांकि, पिच और परिस्थितियां टीम चयन में सबसे प्रमुख कारक रहेंगी, क्योंकि यही हमारी ताकत रही है और इसलिए हम घर से दूर खेलते हुए भी बहुत सफल रहे हैं। हमें पिच, परिस्थितियों और विकेट की गति के अनुसार जल्द से जल्द अनुकूलित होने की जरूरत होती है। लेकिन हां, फ़िलहार हमारे लिए यही सही खाका लग रहा है।"
अब ऐसा स्पष्ट दिख रहा है कि अश्विन को टीम में तभी शामिल किया जाएगा जब किसी को चोट की समस्या हो या फिर परिस्थितियां स्पिन गेंदबाज़ी के एकदम माकूल हों। यह एक बड़ा फैसला होगा क्योंकि इससे पहले जब अश्विन किसी विदेशी सीरीज़ में खेले थे, तब उन्होंने स्टीव स्मिथ और मार्नस लाबुशेन जैसे बल्लेबाज़ों को लगातार परेशान किया था। उन्होंने अपने विपक्षी समकक्ष नेथन लायन को भी पीछे छोड़ा था, जो कि वर्तमान समय में सर्वश्रेष्ठ स्पिनर्स में से एक माने जाते हैं। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फ़ाइनल में हरी पिच और बादलों के बीच भी उन्होंने ही दोनों पारियों में भारत को पहली सफलता दिलाई थी।
2018 के बाद से एशिया और वेस्टइंडीज़ के बाहर अश्विन के आंकड़े शानदार रहे हैं। इसके अलावा बल्लेबाज़ी में भी पिछले कुछ समय से उन्होंने फिर से बेहतर करना शुरू कर दिया है। चेन्नई में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घुमाव वाली पिच पर उन्होंने शानदार शतक लगाया था, जबकि साउथैंप्टन के मुश्किल पिच पर भी उन्होंने डब्ल्यूटीसी फ़ाइनल में 22 रन बनाए थे।
हालांकि रवींद्र जाडेजा भी इस समय दुनिया के सबसे बेहतरीन स्पिनर्स में से एक हैं। 2018 के बाद से उनके टेस्ट गेंदबाज़ी के आंकड़ें मोईन अली, जैक लीच और यहां तक कि नेथन लायन से भी बेहतर हैं। जाडेजा की बल्लेबाज़ी, अश्विन पर बढ़त कायम करती है और दाएं हत्था बल्लेबाज़ी क्रम से भरी बल्लेबाज़ी क्रम में वह एक खब्बू बल्लेबाज़ी का विकल्प भी देते हैं।
भारतीय टीम ने इस दौरे की शुरुआत बहुत ही आत्मविश्वास से की थी, जब वह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में 3-2 के गेंदबाज़ी संयोजन के साथ उतरे थे। इससे उनकी बल्लेबाज़ी भी संतुलित हो रही थी और गेंदबाज़ी में भी विविधता आ रही थी। लेकिन उन्हें जल्द ही पता लग गया कि इंग्लैंड की ऐसी परिस्थितियों में दो स्पिनर्स को एक साथ खिलाना कतई सही फैसला नहीं है। खासकर, तब जब सामने की टीम एक भी स्पिनर नहीं खिला रही है और मौसम के साथ पिच भी तेज़ गेंदबाज़ों के अनुकूल हैं।
इसलिए भारत ने इन परिस्थितियों में शार्दुल ठाकुर को पहले टेस्ट में खिलाने का फैसला किया, क्योंकि वह बल्लेबाज़ तो लगभग अश्विन के ही बराबर हैं, लेकिन उनकी तेज़ गेंदबाज़ी इन परिस्थितियों के अनुकूल है। इस आधार पर भारत ने अपने सर्वश्रेष्ठ स्पिनर को टीम से बाहर बिठाने का फैसला किया। SENA देशों में 2018 के बाद से पहले 20 ओवरों में उनका औसत 17 से कम का रहा है और उनके विकेट की सूची में कुक, स्मिथ, रूट और लाबुशेन जैसे बल्लेबाज़ों का नाम शुमार है। इसलिए भारत को जाडेजा की जगह अश्विन को टीम में पहले महत्व देना चाहिए, खासकर तब जब आपके पास नंबर सात पर बल्लेबाज़ी करने वाला एक तेज़ गेंदबाज़ शार्दुल ठाकुर मौजूद है।
कोहली ने जो कहा, उसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं लगाया जा सकता है कि अश्विन सीरीज़ से बाहर हो गए हैं। भारतीय टीम प्रबंधन लचीला है और लॉर्ड्स के अगले टेस्ट में अगर संभावित हीटवेव मौसम को प्रभावित करता है, तो उन्हें टीम में जगह मिल सकती है। ओवल का मैदान स्पिन को मददगार रहा है, जहां पर पिछले महीने काउंटी मैच खेलते हुए अश्विन ने छह विकेट लिए थे। वहीं ओल्ड ट्रैफ़र्ड का मैदान भी स्पिन गेंदबाज़ों के लिए मुफ़ीद साबित हो सकता है। ऐसे में पूरी संभावना है कि अश्विन के लिए यह सीरीज़ समाप्त नहीं हुई है।
पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ एक लंबी सीरीज़ होती है और इसमें गेंदबाज़ों को आराम की भी आवश्यकता होती है। हां, यह ज़रूर साफ हो गया है कि अब भारत 5 बल्लेबाज़ों और 5 गेंदबाज़ों के साथ ही उतरेगा और जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज की प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण में से केवल तीन ही एकादश में खेलेंगे।
ऐसे में अश्विन का खेलना तभी तय होगा जब या तो शार्दुल ठाकुर अनफ़िट हों या फिर वह एक गेंदबाज़ के रूप में अधिक प्रभावी ना हो। यह वह ख़ामियाज़ा है, जिसे अश्विन को ऐसे टीम में रहने के कारण मिल रहा है, जिसके पास तो गेंदबाज़ी के तो बहुत विकल्प मौजूद हैं, लेकिन नंबर सात पर बल्लेबाज़ी करने वाला कोई गेंदबाज़ नहीं है।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है