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यदि खिलाड़ी मानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट शिखर है, तो उन्हें इसके भविष्य पर एक शिखर सम्मेलन बुलाने की दरकार

हम अक्सर सुनते हैं कि पांच दिवसीय प्रारूप प्रमुख है, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग कहती है

भारतीय कप्तान विराट कोहली  •  Getty Images

भारतीय कप्तान विराट कोहली  •  Getty Images

क्रिकेट में हंड्रेड के शामिल होने से खिलाड़ियों को चिंता होनी चाहिए क्योंकि इससे शेड्यूल के साथ ही खेल के सबसे अहम पहलू खिलाड़ी के विकास पर प्रभाव पड़ेगा।
दशकों से खिलाड़ी के स्कूलब्यॉय क्रिकेटर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बनने की सबसे बेहतर प्रक्रिया एक ही रही है : युवा अवस्था में ज्यादा से ज्यादा मैच खेला और जब एक लेवल पर सफलता मिल जाए तो आपको अगले स्तर पर प्रमोशन की दरकार है। खिलाड़ी या तो अपनी सीमा तक रूक गए या सफलता पाने के लिए अपने कौशल से शिखर तक पहुंच गए।
रेवेन्यू हासिल करने के लिए यह प्रोडक्टिव सिस्टम अब देखने को नहीं मिलता, खिलाड़ियों के कौशल पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में भी नहीं सोचा जा रहा है।
ट्रेंट ब्रिज मैच के दौरान एक इंटरव्यू के दौरान मौजूदा समय में क्रिकेट के पोस्टर ब्वॉय विराट कोहली से जब पूछा गया कि आप क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप का भविष्य क्या सोचते हैं तो उन्होंने कहा कि यह क्रिकेट की क्वालिटी पर निर्भर करता है, यह क्रिकेटर हैं जो टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखते हैं।
इस मामले में, खिलाड़ियों को खेल की भविष्य की दिशा में अधिक बोलना चाहिए।
ज्यादा प्रारूपों की जगह सोचने की जगह, जो पहले से ही शेड्यूल को अव्यवस्थित कर चुके हैं। ऐसे में खेल के भविष्य के लिए एक खाका तैयार करने के लिए ब्लूप्रिंट की आवश्यकता है। इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक बहुत ही आवश्यक मंच में प्रतिभागियों की एक विस्तृत फोरम आयोजित होना चाहिए, जिसमें खिलाड़ी, प्रशासकों, मीडिया, स्पांसर्स, मेडिकल से जुड़े लोग और आम लोग शामिल होने चाहिए।
पहला सवाल यही होना चाहिए : "खेल के कितने प्रारुप एक व्यावहारिक कार्यक्रम की अनुमति देते हैं जहां पर पर्याप्त राजस्व के साथ-साथ खिलाड़ी और प्रशंसकों को संतुष्टि प्रदान हो?"
अगर यह फैसला किया गया है कि टेस्ट क्रिकेट भविष्य का हिस्सा है, तो यह फैसला करने की जरूरत है कि कैसे इसे आधुनिक युग में फ‍िट किया जा सकता है। आखिरकार, यह सही है कि टेस्ट क्रिकेट नहीं होने से अच्छा इसका एक सुव्यवस्थित संस्करण हो।
आधुनिक युग के क्रिकेटर के लिए यह बहुत ही मुश्किल है कि खिलाड़ी स्टैंडर्ड बनाए रखे। कोहली ने यह बात शेड्यूल को देखते हुए कही। जब पटौदी ट्रॉफी चल रही है तो इंग्लैंड को अपने रिप्लेसमेंट खिलाड़ी द हंड्रेड, टी20 ब्लास्ट या रॉयल लंदन कप मैचों से बुलाने पड़ रहे हैं ना कि लाल गेंद के क्रिकेट से, तब भी कुछ खिलाड़ियों और प्रशासकों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेल का शिखर है।
ऑस्‍ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज के दौरान, परिस्थिति ज्यादा अलग नहीं थी, लेकिन बिग बैश टी20 टूर्नामेंट के अपने दावों को ऑस्‍ट्रेलियाई खिलाड़ी को दबाना पड़ता है।
दोनों ही देशों में बहुत मजबूत प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट होते हैं। उन देशों का क्या जहां पर उनके टेस्ट क्रिकेटरों के लिए ना उस स्तर का प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट है और ना ही उनके पास अपने जरूरी कौशल को सुधारने का मौका है।
यह कम ही कहा गया कि खिलाड़ियों ने सुधार किया। इस कॉमेंट को साफ करने की जरूरत है। अगर यह ऐसे बल्लेबाजों के लिए कहा गया है जो पॉवरफुल हिटर्स हैं तो यह सच्चाई है। क्या वे बल्लेबाल लंबे समय तक लंबे स्पेल में खुद को साबित कर सकते हैं? अधिकतर केसों में जवाब है, नहीं।
ऐसे ही तब जब लोग कहते हैं कि क्षेत्ररक्षण में सुधार हुआ है। इसमें कोई शक नहीं है कि मैदान पर एथलेटिक कैच देखने को मिल रहे हैं, वे हमेशा अपने एक्जीक्यूसन में शानदार होते हैं। क्या स्लिप की कैच में सुधार हुआ? जी नहीं, क्योंकि अधिकतर समय पर फुटवर्क नहीं होने की वजह से कैच छूट जाते हैं। ऐसे में इसमें भी नहीं कहा जा सकता है कि सुधार हुआ है।
टेस्ट लेवल पर सफल होने के लिए कौशल को युवा अवस्था में ही सुधारा जाता है और तब मुश्किल टूर्नामेंट में खेलकर खिलाड़ी अगले स्तर तक पहुंचता है। यह तभी हासिल किया जा सकता है जब अधिकतर देशों में काम करने वाली विकास प्रणाली हो। अगर यह होता है तो टेस्ट क्रिकेट जीवंत रह सकता है, नहीं तो वह बेल की तरह मुरझा जाएगा।
अगर इन कौशल को सुधारा जा सके तो खिलाड़ी किसी भी प्रारूप में ढल सकता है, कोहली इसका अच्छा उदाहरण हैं। अगर वाकई खिलाड़ी सोचते हैं कि टेस्ट क्रिकेट शिखर है तो उन्हें खेल के भविष्य के लिए एक समिट करनी होगी। इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है कि अगर कोहली को इसमें प्रवक्ता बनाया जाए।

ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयन चैपल कॉलमिस्ट हैं।