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विराट कोहली और जो रूट: दो कप्तानों की कहानी

एक कप्तान अपनी असीम उत्साह और जीत के लिए जाना जाता है तो दूसरा अपने ख़राब फ़ैसलों के लिए

इनमें से एक मॉडल टेस्ट कप्तान हैं और दूसरे इसके ठीक विपरीत  •  BCCI

इनमें से एक मॉडल टेस्ट कप्तान हैं और दूसरे इसके ठीक विपरीत  •  BCCI

यह दो क्रिकेट कप्तानों की कहानी है : एक अपने काम में बहुत अच्छा और दूसरा असफल है।
सफल कप्तान भारत के विराट कोहली हैं। एमएस धोनी के कप्तानी के सफल कार्यकाल के बाद जब कोहली ने पदभार संभाला, तो एक बड़ी चिंता थी: क्या उनका असीम उत्साह, एक कप्तान के रूप में उनके द्वारा लिए जाने निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करेगा?
इसमें कोई शक नहीं कि कप्तान के रूप में कोहली शानदार थे। उन्होंने अपने उत्साह पर अंकुश नहीं लगाया लेकिन फिर भी वे भारतीय टीम को उच्च स्तर तक ले जाने में सक्षम थे। उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे की सक्षम सहायता से, उन्होंने विदेशी पिचों पर काफ़ी सफलता हासिल की। इससे पहले किसी भी भारतीय कप्तान को विदेशी पिचों पर इतनी सफलता हासिल नहीं हुई थी। उनकी दो व्यक्तिगत प्रमुख विदेशी सफलताओं में 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ और 2021 में इंग्लैंड सीरीज़ शामिल है। घर पर उनकी टीम लगभग अपराजेय थी, केवल 31 टेस्ट में उन्हें सिर्फ दो मैच गंवाए। इसमें से एक ऑस्ट्रेलिया और एक इंग्लैंड के ख़िलाफ़ था।
कोहली ने सौरव गांगुली और धोनी की विरासत को संभाला और सात वर्षों तक टीम का सफल नेतृत्व किया। कप्तान के रूप में उनकी सबसे बड़ी निराशा साउथ अफ़्रीका में मिली हार है। पहला मैच जीतने के बाद भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ गंवा दिया था। हालांकि एक बात यह भी थी कि दूसरे मैच में कोहली कप्तान नहीं थे।
कोहली की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि उन्होंने अपनी टीम को टेस्ट खेलने के लिए आतुर बना दिया था। कोहली का प्रमुख उद्देश्य टेस्ट मैचों में जीत हासिल करना था और यहीं पर उनका जुनून और सोच काफ़ी स्पष्ट तरीके से सबको दिखता था।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोहली ने अपने खिलाड़ियों को एक कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजरने के लिए मजबूर किया, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनके साथियों ने उस प्रतिस्पर्धा का आनंद लिया और वह सफलता हासिल करना चाहते थे। कोहली के पास अपने रिज्यूमे में कई व्यक्तिगत उपलब्धियां हैं, एक विकेटकीपर और बल्लेबाज़ के रूप में ऋषभ पंत ने जिस तरीके से कोहली के कार्यकाल में ख़ुद को स्थापित किया है, वह तारीफ़ योग्य है। जब चयन की बात आती है तो कोहली के कुछ फै़सले थोड़े संदिग्ध थे लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि पंत का समर्थन करना एक मास्टर स्ट्रोक था।
एक कप्तान की जब आप रैंकिंग करते हैं तो आप उसके निजी आंकड़ों को भी आंकते हैं। कप्तान के रूप में कोहली का टेस्ट क्रिकेट में औसत 54 का है। जिस समय पर उन्होंने कप्तानी के पद से इस्तीफा दिया है,उसकी भी सराहना की जानी चाहिए।
पूर्व महान ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर कीथ मिलर ने सेवानिवृत्ति को लेकर सबसे अच्छा तरीका बताया है। उन्होंने समझाया: "मैं तब अपना रिटायरमेंट लेना चाहता था जब लोग पूछ रहे थे कि आपने क्यों रिटायरमेंट लिया। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि लोग आपसे पूछे कि आपने रिटायरमेंट क्यों नहीं लिया।"
कोहली ने इस संदर्भ में बिल्कुल सही समय पर फ़ैसला लिया है।
अपनी टीम के किसी अन्य कप्तान की तुलना में ज़्यादा मैच खेलने वाले जो रूट काफ़ी विफल रहे हैं। आपको कोई इंग्लिश क्रिकेटप्रेमी या रूट का प्रशंसक कुछ भी कहे लेकिन यह साफ है कि रूट एक अच्छे बल्लेबाज़ और बुरे कप्तान हैं।
वह कभी भी एक सफल कप्तान नहीं बनने वाले थे। हालांकि उनके नेतृत्व में इंग्लैंड के पास घर पर एक प्रस्तुत करने योग्य रिकॉर्ड है, रूट के पास एक कप्तान के रूप में कल्पना की कमी है। वहीं उनके पास कुछ अचूक या कारगर प्लान की भी कमी है। अक्सर सत्र शुरू करने के लिए वह जिन गेंदबाज़ों का चयन करते हैं, वह हमेशा चौंकाने वाला होता है। हालांकि उनकी असली कमी उनकी रणनीति में है। उनके द्वारा लिए गए निर्णयों का अक्सर कोई मतलब नहीं होता या कहें कि वह ख़राब निर्णय होता है।
ऐसा महसूस होता है कि रूट बहुत से ऑफ़-फ़ील्ड सलाहकारों की बात सुनते हैं। एक अच्छे कप्तान को कार्यभार संभालना होता है और यह एक ऐसा क्षेत्र था जहां रूट निराशाजनक रूप से विफल रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनका पिछला दौरा खिलाड़ी की चोट से बुरी तरह प्रभावित हुआ था और भाग्य ने उनके साथ ख़राब व्यवहार किया था। इसके बावजूद 10 टेस्ट मैचों में आठ हार और दो ड्रॉ उनकी कप्तानी के संदर्भ में अलग ही कहानी बयां करता है। यह ख़राब कप्तानी के साथ-साथ बदकिस्मती भी थी।
यह सुझाव देना कि स्टुअर्ट ब्रॉड को कप्तान बनाया जा सकता है तो उनमें भी क्रिकेट कप्तानी की समझ का अभाव है। ब्रॉड की अधिक उम्र और स्पष्ट ऑफ़-फ़ील्ड प्रतिक्रियाओं के अलावा, वह एक नकारात्मक प्रभाव छोड़ने वाले खिलाड़ी हैं - विशेष रूप से फ़ील्ड प्लेसिंग के क्षेत्र में वह काफ़ी ख़राब हैं। साथ ही एक कप्तान के रूप वह एक ख़राब विकल्प होंगे।
प्रेस कांफ्रेंस में रूट कहते रहे, 'हम अपनी ग़लतियों से सीखने जा रहे हैं और इस मैच से सकारात्मक चीज़ें निकालेंगे। हालांकि इस संदर्भ में एक और सवाल उठता है कि वो कब सीखने जा रहे हैं। इंग्लैंड रूट के कप्तानी में वही ग़लतियां करता रहा और शायद ही कभी सीखा। हालांकि यह एक मुश्किल काम होगा, अगर इंग्लैंड को सुधार करना है तो उसे पहले एक नया और सक्षम कप्तान ढूंढना होगा।

ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयन चैपल कॉलमिस्ट हैं। अनुवाद Espncricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।