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चीज़ों को सरल रखते हुए अपना काम करते चले गए सौरभ

अपनी गति में मिश्रण करते हुए उन्होंने न्यूज़ीलैंड ए के दो सेट बल्लेबाज़ों समेत कुल चार शिकार किए

Saurabh Kumar is jubilant after taking a wicket, India A vs New Zealand A, 3rd unofficial Test, Bengaluru, 2nd day, September 16, 2022

विकेट लेने के बाद जश्न मनाते सौरभ  •  Manoj Bookanakere/KSCA

बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार हमेशा से ही लंबे स्पेल डालने और महत्वपूर्ण विकेट लेने के लिए जाने जाते हैं। फिर चाहे वह 'करो या मरो' वाले मैच में 192 पर खेल रहे फ़ैज़ फ़ज़ल हों या क्वार्टर-फ़ाइनल में विपक्षी कप्तान मनीष पांडे, भारतीय टेस्ट ओपनर मयंक अग्रवाल हों या फिर सेमीफ़ाइनल के शतकवीर हार्दिक तामोरे या फिर अतिआक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए मशहूर पृथ्वी शॉ। सौरभ ने रणजी ट्रॉफ़ी 2021-22 में केवल तीन मैच के भीतर इन सभी को अपना शिकार बनाया था।
अपनी गेंदबाज़ी की इसी विशेषता को वह इंडिया ए के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं। न्यूज़ीलैंड ए के विरुद्ध खेले जा रहे तीसरे अनौपचारिक टेस्ट के दूसरे दिन उन्होंने अपनी चतुराई दिखाते हुए चार बल्लेबाज़ों को आउट किया और इंडिया ए को 56 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
मेज़बान टीम के निचले मध्य क्रम को ध्वस्त कर न्यूज़ीलैंड ए ने उन्हें पहले दिन 293 के स्कोर पर समेट दिया था। मेहमान टीम की नज़र बल्ले के साथ अच्छी शुरुआत कर मैच पर अपनी पकड़ मज़बूत करने पर थी लेकिन पहले तेज़ गेंदबाज़ों और फिर राहुल चाहर समेत सौरभ ने उनकी इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
हालांकि यह इतना आसान नहीं था। तेज़ गेंदबाज़ों को मदद करती पिच पर शार्दुल ठाकुर और मुकेश कुमार ने जान लगाकर गेंदबाज़ी की और 100 रनों के भीतर पांच बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेजा।
इसके बाद शुरुआत हुई न्यूज़ीलैंड के पलटवार की। घरेलू क्रिकेट में ऑकलैंड के अपने साथी खिलाड़ी ऑलराउंडर शॉन सोलिया के साथ मिलकर मार्क चैपमैन ने पारी को संभाला और फिर गेंदबाज़ों को थकाया। वे इतनी अच्छी लय में बल्लेबाज़ी कर रहे थे कि एक बार को तो ऐसा लगा कि पिच पूरी तरह सपाट हो चुकी है। विशेषकर चैपमैन अपने मज़बूत पक्ष स्वीप और रिवर्स स्वीप का बख़ूबी इस्तेमाल कर स्पिनरों की एक नहीं चलने दे रहे थे। इन दोनों बल्लेबाज़ों ने 114 रन जोड़े और अपनी टीम को मैच में बनाए रखा। इसके बावजूद सौरभ एक छोर पर लगे रहे। उन्होंने अपने अंदाज़ में चीज़ों को सरल रखा और अंततः विकेट लेने में सफल हुए।
बेंगलुरु में दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान सौरभ ने बताया, "टीम में (बातचीत यह हुई कि) कुछ ना कुछ है विकेट में और हम चीज़ों को सरल रखेंगे। मैं अपनी गेंदों में मिश्रण कर रहा था - धीमे, तेज़, धीमे, तेज़। पिच की यही आवश्यकता था कि गति को बदला जाना चाहिए और मैंने ठीक वैसा ही किया।"
तो आख़िर सौरभ ने चैपमैन को कैसे अपने जाल में फंसाया? उन्होंने कहा, "साझेदारी के दौरान चैपमैन अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे। (सोच यह थी कि) कुछ देर के लिए उन्हें रन ना दिए जाए ताकि वह ख़ुद से कुछ ग़लती करें। और वही हुआ, दोनों छोरों से गेंदबाज़ों के बीच बढ़िया साझेदारी हुई और वह मारने के चक्कर में आउट हुए।"
92 रन बनाकर बल्लेबाज़ी कर रहे चैपमैन अपने शतक की ओर मज़बूत क़दम बढ़ा रहे थे, जब सौरभ ने अपनी फ़्लाइटेड गेंद के साथ उन्हें क्रीज़ से बाहर बुलाया और बड़ा शॉट लगाने का निमंत्रण दिया। चैपमैन उसे स्वीकार करते हुए आगे तो निकल आए और अपना बल्ला चलाया, लेकिन वह गेंद को सीमा रेखा के बाहर नहीं भेज पाए और लॉन्ग ऑन पर रजत पाटीदार के हाथों कैच आउट हुए। इसके बाद उन्होंने दूसरे छोर पर भी सेट हो चुके सोलिया को डीप मिडविकेट पर कैच करवाया। देखते ही देखते न्यूज़ीलैंड ए की पारी लड़खड़ाई और वे चाय के एक घंटे बाद 237 के स्कोर पर ऑलआउट हो गए।
निरंतरता के साथ सही टप्पे पर गेंदबाज़ी करने की कला ने सौरभ को भारतीय टेस्ट टीम तक पहुंचाया है। लंबे समय तक टीम के नेट गेंदबाज़ होने के बाद उन्हें श्रीलंका के विरुद्ध सीरीज़ के लिए पहली बार भारतीय टीम में चुना गया था। अनुभवी रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जाडेजा की अनुपस्थिति में उन्हें मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिल पाया था लेकिन उनकी माने तो उन्होंने इस अनुभव से बहुत कुछ सीखा।
अब लाल गेंद की क्रिकेट में एक दमदार खिलाड़ी के तौर पर अपनी पहचान बनाने के बाद सौरभ तीनों प्रारूपों में सफलता पाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के इस खिलाड़ी ने बताया, "ऐसा कुछ नहीं है कि सिर्फ़ रेड बॉल खेलना है, तीनों फ़ॉर्मेट पर मेरा फ़ोकस है। जहां पर मौक़े मिलेंगे और खेलने का अवसर मिलेगा, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास करूंगा।"
गेंद को स्पिन कराने में विश्वास रखने वाले सौरभ ने रणजी ट्रॉफ़ी के दौरान ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया था कि वह अपनी बल्लेबाज़ी पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वह अपने करियर में अब तक लगाए गए दो शतक, नौ अर्धशतक और बल्ले के साथ 30 की औसत से बहुत ख़ुश हैं।
तो क्या हम उन्हें ऑलराउंडर की श्रेणी में डाल सकते हैं? क्या हम उन्हें आने वाले मैचों में बल्ले के साथ अधिक योगदान देते हुए देखेंगे? सौरभ कहते हैं, "हां, योगदान देते हुए तो ज़रूर देखेंगे लेकिन मैं (हमेशा से) एक गेंदबाज़ रहा हूं जो थोड़ी बहुत बल्लेबाज़ी कर लेता है। मैं कोशिश करता हूं कि अपने आप को बेहतर बनाता रहूं, गेंदबाज़ी हो या बल्लेबाज़ी में। मैं अच्छे से, दबा के (बल्लेबाज़ी का) अभ्यास करता हूं।"
उनकी बल्लेबाज़ी क्षमता को देखते हुए टीम ने उन्हें दूसरे दिन नाइट-वॉचमैन की भूमिका के लिए तैयार किया था। उन्हें बल्लेबाज़ी के लिए उतरना नहीं पड़ा लेकिन स्टंप्स के बाद उन्होंने थ्रो-डाउन में 20 से अधिक गेंदें खेली और लगभग सभी गेंदों को बल्ले के बीचों-बीच मिडिल किया। हमेशा की तरह उन्होंने पत्रकारों के साथ बहुत कम शब्दों में अपनी बात रखी और चीज़ों को सरल तो वह रखते हैं ही।

अफ़्ज़ल जिवानी (@ jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं | @jiwani_afzal