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बंधनमुक्‍त कोहली अपनी बल्‍लेबाज़ी में वापस लाए ख़ुशी का पहलू

उन्होंने अपने 1020 दिन के शतकीय सूखे को कठोर, दबाव मुक्त और अथक बल्लेबाज़ी के साथ अगले स्तर पर ले जाकर ख़त्‍म किया

जहां शारजाह में कल प्रशंसकों का जुनून था तो आज दुबई में उतनी भीड़ नहीं थी। फिर भी जब विराट कोहली ने अपना 71वां अंतर्राष्ट्रीय शतक पूरा करने के लिए फ़रीद अहमद को डीप मिडविकेट पर घुमाया, तो उसके पीछे एक छोटा समूह अब विशाल भीड़ में तब्दील हो गया था।
और इस तरह कोहली ने उन सभी को जो नंबर 70 और इस शतक के बीच के दिनों की गिनती कर रहे थे, सबको बेरोजगार कर दिया। यह गिनती 1021 दिनों पर जाकर समाप्त हुई, एक ऐसी अवधि जिसे एक विश्वव्यापी महामारी ने जकड़ लिया था, और एक जिसने कोहली और कई अन्य लोगों को लॉकडाउन, क्वारंटीन, आईसोलेशन और बायो बबल के अंधेरों में ले लिया था।
जब भारतीय पारी के 19वें ओवर में वह पल आया तो कोहली उतने ही उत्साही और भावनात्मक थे, जितना आपने उन्हें हाल के दिनों में देखा है। उन्होंने सावधानी से अपना हेलमेट निकाला और सराहना कर रहे अपने साथियों की ओर देखते हुए एक बड़ी मुस्कान बिखेरी। उनके चेहरे पर अविश्वास का यह गौरवमय रूप था, जैसे कि वह सुझाव दे रहा था कि यह वह फ़ॉर्मेट था जिसमें उस सूखे को तोड़ने की कम से कम संभावना थी।
पूरे समय ऋषभ पंत मुस्कुराते हुए खड़े रहे। उन्होंने कोहली को उस पल को जीने दिया और फिर अपने पूर्व कप्तान को गले से लगा लिया। कोहली यहीं नहीं रुके। उन्होंने ऊपर आसमान की ओर देखा, फिर अपने दस्तानों को झटक कर अपने लॉकेट को चूमने के लिए बाहर निकाला, जिस पर उनकी पत्नी के नाम के पहले अक्षर उकेरे गए थे। अब तक कैमरा के महारथी, जिन्होंने उचित कोणों पर ख़ुद को तैनात कर लिया था, और उस 'परफ़ेक्ट' पल को कैद करने के लिए लगातार क्लिक कर रहे थे।
यह पल बीतने से पहले कोहली ने एक बड़ी मुस्कान के साथ मैदान के चारों ओर देखा, अपनी आंखों से उस हिस्से को स्कैन किया, जहां अधिकतम प्रशंसक थे और अपना बल्ला उठाया। मैदान पर उनके अब तक ग़ुस्से और निर्दयता वाले सेलिब्रेशन से यह शुद्ध, बेदाग़ ख़ुशी का पल था।
एक बार जब कोहली ने ख़ुद को फिर से संभाला, तो यह सामान्य तरीक़ा था। कोई गार्ड नहीं छोड़ना, कोई आक्रामक बात नहीं। वह आगे बढ़ाने वाले थे। अपनी पारी की शुरुआत में उन्होंने योग्यता के आधार पर अच्छी गेंदों पर ट्रस्ट किया, यहा तक कि उनको रक्षात्मक ढंग से भी खेला या उन्हें तब तक नहीं दबाया जब तक गेंद उनकी आंख के नीचे न आई। अब वह उस बैटिंग ज़ोन में थे जहां खिलाड़ी अक्सर बात करते हैं कि वे अपनी प्रवृत्ति को हावी होने देते हैं और मांसपेशियों की मेमोरी उनके खेल को निर्धारित करती है। यह ऐसा था जैसे कोहली ने ख़ुद को अपने 2016 के विंटेज ज़ोन में वापस ले गए हैं।
यह अलग ही स्‍तर की निडरता, दबाव से फ़्री, अथक और अविचल बल्‍लेबाज़ी थी। वह अपनी कलाई मोड़ते और वाइड यॉर्कर को बैकवर्ड प्‍वाइंट की दिशा गेंद को मार देते, वह ज़ल्‍द पॉजिशन में आते और लेंथ गेंद पर स्‍वीप कर देते। यह वह शॉट है जो वह कभी नहीं खेलते हैं, लेकिन वह इस शॉट से लगातार बाउंड्री निकाल रहे थे, क्‍योंकि उन्‍होंने इन शॉट की ट्रेनिंग ली। और जब वह स्‍वीप मारने के लिए घुटनों पर नहीं बैठ पा रहे थे तो वह स्‍लाइज करके गेंद को स्‍क्‍वायेर के पीछे भेज रहे थे, लो फुल टॉस गेंद को मज़बूत बॉटम हैंड की ताक़त से एक्‍स्‍ट्रा कवर के ऊपर से मार रहे थे।
कोहली लुत्‍फ़ ले रहे थे, वह गेंदबाज़ों के साथ खेल रहे थे। वह हल्‍का सा पीछे जा रहे थे, जिससे की गेंदबाज़ उनका पीछा करें, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते तो वह अपना पिछला पैर लाइन में लाते और अपनी खू़बसूरत कवर ड्राइव खेल देते। क्‍या हुआ अगर स्‍वीपर कवर है? तो क्‍या हुआ कि फ़ील्‍डर शॉट को देखता है और दायीं ओर गेंद को लेने भागता है? उनके पास कोई मौक़ा नहीं था। कोहली अपने सर्वश्रेष्‍ठ पर थे।
जैसे जैसे कोहली की पारी आगे बढ़ रही थी तो उनकी वह आक्रमकता जगजाहिर होने लगी थी। कोहली केवल गेंद को देखकर हिट नहीं कर रहे थे, वे बल्‍ले के उस स्‍वीट स्‍पॉट पर गेंद लगने का लुत्‍फ़ ले रहे थे और गेंद को गैप में मारने का लुत्‍फ़ ले रहे थे। अब कई लोग स्‍कोर पर, रनों पर या कितने ओवर बचे हैं इस पर ध्‍यान नहीं दे रहे थे। छोटा सा क्राउड कोहली के शतक पर जश्‍न मना रहा था। इस समय और कोई मायने नहीं रखता था। ना तो भारत का स्‍कोर मायने रखता था ना ही एशिया कप से भारत का बाहर हो जाना मायने रखता था।
उनकी यह पारी जादुई थी। यह उस स्तर का प्रदर्शन था जिस पर उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी की तीव्रता को ला दिया था। उनके चेहरे पर बस एक बड़ी मुस्‍कान थी। वह गेंद खेलने के लिए आगे निकलते और गेंद को जहां चाहते वहां मार देते।
और जब आप सोचते थे कि उन्‍होंने सब देख लिया है तो वह एक अलग ही शॉट खेलकर छक्‍का लगा देते हैं। फ़ज़लहक़ फ़ारूक़ी जैसे ही गेंद छोड़ते वह ज़ल्‍द पॉजि‍शन में आ जाते, जैसे उन्‍हें पता हो कि क्‍या गेंद आने वाली है और उसको डीप स्‍क्‍वायेर की ओर खेल देते। पंत के साथ वह ग्‍लव्‍स पंच बताता है कि वह कितना लुत्‍फ़ ले रहे थे।
कोहली वाक़ई लुत्‍फ़ ले रहे थे। यह कोहली अपेक्षाओं से बंधनमुक्‍त था। यहां एक मुस्‍कान थी जो आपने उनके चेहरे से उतरती नहीं देखी। जब वह बल्‍ला उठाकर वापस लौट रहे थे तो उनकी टीशर्ट पसीने से लतपत थी। उन्‍होंने जीत का इशारा किया और बाद में एक खू़बसूरत नमस्‍ते।
उनकी बल्लेबाज़ी में खु़शी का कारक अच्छी तरह से और सही मायने में वापस आ गया था। उन्होंने टूर्नामेंट में फ़ॉर्म में वापसी का इशारा किया और गुरुवार को वह सारी सकारात्मक ऊर्जा दिख रही थी और एक भव्‍य मंच पर यह सामने आ गई थी। विशाल स्क्रीन ने एक संदेश दिखाया : वापस स्वागत है, किंग। किंग वास्तव में वापस आ गया था।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।