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मोंगा : विहारी भले ही भारतीय टीम से बाहर हों, लेकिन वह अभी भी प्लान का हिस्सा हैं

साउथ अफ़्रीका में भारत ए की ओर से खेलते हुए वह अच्छा अनुभव हासिल करेंगे और फिर वहां आने वाली भारतीय टीम के साथ हो सकते हैं

Job done: R Ashwin and Hanuma Vihari walk off, Australia vs India, 3rd Test, Sydney, 5th day, January 11, 2021

सिडनी टेस्ट में आर अश्विन के साथ मिलकर चोटिल होने के बावजूद टेस्ट ड्रॉ कराने के बाद हनुमा विहारी ने फिर दोबारा भारत के लिए नहीं खेला  •  Cricket Australia/Getty Images

हनुमा विहारी ने आख़िरी बार भारत के लिए क़रीब-क़रीब एक पैर से खेला था, हैमस्ट्रिंग में गंभीर चोट के बावजूद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिडनी टेस्ट में एक जुझारू पारी खेलते हुए मैच को ड्रॉ कराने में अहम योगदान दिया था। इसी पारी के दम पर भारत ने फिर ऑस्ट्रेलिया में जाकर लगातार दूसरी बार टेस्ट सीरीज़ जीतते हुए इतिहास रच डाला था। जबकि उन्हें पता था कि अगला टेस्ट जो ब्रिसबेन में होने जा रहा है वह उनको एक और मौक़ा दे सकता है क्योंकि फिर घर लौटकर तो बेहद ही कम उम्मीद है कि उन्हें मौक़ा मिले। क्योंकि घरेलू परिस्थिति में भारत रवींद्र जाडेजा और आर अश्विन का इस्तेमाल छठे और सातवें बल्लेबाज़ के तौर पर करता है।
विहारी की ये सोच बिल्कुल सही साबित हुई और फिर उन्हें दोबारा भारत की ओर से खेलने का मौक़ा नहीं मिला। हालांकि अब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ में जब कोहली और सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया गया था तो एक बार लगा था कि विहारी टेस्ट का हिस्सा ज़रूर रहेंगे। लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया और वह इस दल का हिस्सा नहीं हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से भी उनके या किसी भी खिलाड़ी के बाहर होने पर कोई बयान नहीं दिया गया है। हम बस अनुमान लगा रहे हैं कि रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी को आराम दिया गया है, क्योंकि अब तक किसी भी चयनकर्ताओं की ओर से न कोई प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई है और न ही किसी के साथ कोई इंटरव्यू हुआ है।
अब जब ये साफ़ है कि विहारी इंडिया ए के साथ साउथ अफ़्रीका का दौरा करेंगे, तो ये साफ़ समझा जा सकता है कि घरेलू परिस्थितियों में उनकी टीम में जगह ही नहीं बनती। भारतीय टीम मैनेजमेंट विहारी को भारतीय सरज़मीं पर खिलाना ही नहीं चाहती, शायद यही वजह है कि अपने घर में विहारी ने अब तक सिर्फ़ एक टेस्ट ही खेला है। लिहाज़ा उनके लिए भी सही है कि मैच के दौरान पानी की बोतल ढोने से बेहतर है कि वह साउथ अफ़्रीका में इंडिया ए की ओर से खेलते रहें, और जब दिसंबर में भारत का साउथ अफ़्रीका दौरा होगा तो फिर उनका अनुभव टीम के काम आएगा। उम्मीद है कि वहां भारत जब छह बल्लेबाज़ों के साथ खेले तो उसमें विहारी अंतिम एकादश का हिस्सा रह सकें, हालांकि इंग्लैंड दौरे पर भी विहारी प्लेइंग-XI में आने का इंतज़ार करते ही रह गए थे।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और यहां भी कुछ ऐसा ही है, विहारी के लिए ये तो बेहतर है कि इस दौरान वह साउथ अफ़्रीका में खेलते हुए अनुभव हासिल करते रहें। लेकिन ज़रा सोचिए अगर न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सरज़मीं पर शुभमन गिल शतक जड़ देते हैं तो कहीं ऐसा न हो कि साउथ अफ़्रीका दौरे पर छठे बल्लेबाज़ की जगह उन्हें मिल जाए और विहारी फिर बेंच गर्म करते रहें।
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ इस सीरीज़ में वह शायद इसलिए भी बाहर रहे ताकि अगर विहारी होते तो फिर एक टेस्ट के बाद कोहली तो वापस आ ही जाते, और दूसरे टेस्ट में फिर विहारी को बाहर बैठना होता। उससे बेहतर है कि साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ तीन टेस्ट मैचों की तैयारी करना, क्योंकि ज़्यादा मुमकिन है कि वहां भारत छह बल्लेबाज़ों के साथ जा सकता है। अगर मान लीजिए भारत पांच बल्लेबाज़ों के ही साथ खेलता है तो भी इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि उस समय दबाव अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा पर रहेगा और ऐसे में विहारी को सीरीज़ के बीच में जगह मिल सकती है।
हालांकि ये साफ़ है कि करुण नायर की ही तरह विहारी का करियर भी शुरू होने से पहले ही ख़त्म होने की कगार पर है। क्योंकि दोनों ही मध्यक्रम के चौथे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ तो हैं लेकिन बदनसीबी ये है कि इस दौरान भारत तीन ही मध्यक्रम के बल्लेबाज़ के साथ जा रहा है और इसलिए चौथे मध्यक्रम के बल्लेबाज़ के लिए जगह ही नहीं बन पा रही। विहारी ने तो टीम में स्थान पक्का करने के लिए पारी का आग़ाज़ तक किया था।
आप भले ही इस बात पर बहस कर सकते हैं कि तीन मध्यक्रम बल्लेबाज़ों में जगह बना पाना विहारी के लिए इसलिए मुश्किल है और वह बदसनीब हैं क्योंकि इस समय मध्यक्रम में खेल रहे तीनों ही भारतीय बल्लेबाज़ी की औसत शानदार है। लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि रहाणे और पुजारा का प्रदर्शन इस दौरान कैसा रहा है। वे इस दौरान भारत में ऐसी पिचों पर खेल रहे हैं जो पूरी तरह से गेंदबाज़ों के लिए मूफ़ीद हैं, और विहारी के लिए यही एक बड़ा कारण बनता जा रहा है और वह कम से कम भारतीय परिस्थितियों में टीम में जगह बनाने में नाकाम हैं।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।