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अपने बैकफ़ुट खेल से टीम प्रबंधन के भरोसे पर खरे उतरे साई सुदर्शन

उनकी पारी के 87 में से 45 रन बैकफ़ुट पर खेल गए शॉट्स से आए, हालांकि वह बैकफ़ुट पर खेलते हुए आउट भी हुए

दिल्ली टेस्ट में आने से पहले साई सुदर्शन के नाम चार टेस्ट की सात पारियों में सिर्फ़ सिर्फ़ 21 की औसत से 147 रन थे। उनको लगभग हर टेस्ट में शुरूआत तो मिली थी, लेकिन मैनचेस्टर में एक अर्धशतक के अलावा उनके नाम कोई बड़ी पारी नहीं थी।
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सीरीज़ शुरू होने से पहले उन्होंने भारत ए के लिए खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ तीन पारियों में तीन 50+ स्कोर लगाया था, जिसमें दूसरे अनाधिकृत टेस्ट की दूसरी पारी में शतक भी शामिल था। लेकिन अहमदाबाद टेस्ट की एकमात्र पारी में उन्होंने सिर्फ़ सात रन बनाए और एक ख़राब शॉट खेलकर आउट हुए। ऐसा तब हुआ, जब दूसरी तरफ़ तीन बल्लेबाज़ों केएल राहुल, ध्रुव जुरेल और रवींद्र जाडेजा ने शतक और कप्तान शुभमन गिल ने अर्धशतक लगाया।
हालांकि इस दौरान उन्हें टीम प्रबंधन से लगातार समर्थन मिलता रहा। दिल्ली टेस्ट से पहले भारत के सहायक कोच रायन टेन डेशकाटे ने कहा था, "हमें पता है कि वह एक बेहद अच्छे खिलाड़ी हैं, वह इस जगह के काबिल हैं। उनकी आलोचना होगी, लेकिन उन्हें इस बात की आदत डालनी होगी कि मीडिया आप पर हमेशा दबाव बनाएगी। हालांकि हमें पता है कि साई इसके लिए मानसिक रूप से काफी मज़बूत हैं।"
वहीं गिल ने कहा था, "मुझे नहीं लगता कि उनका फ़ॉर्म ख़राब है। उन्हें पहले टेस्ट में सिर्फ़ एक पारी मिली थी, जबकि ओवल टेस्ट में उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में 40 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली थी, जबकि मैनचेस्टर में भी अर्धशतक लगाया था। कोई भी खिलाड़ी हर मैच में शतक नहीं लगा सकता और एक युवा खिलाड़ी को आपको पर्याप्त मौक़े देने होंगे। हमें लगता है कि वह नंबर तीन के लिए हमारे सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं और वह वहां लंबे समय तक बेहतर कर सकते हैं।"
कुल मिलाकर टीम प्रबंधन पर उनको पूरा भरोसा था, जिस पर दिल्ली टेस्ट के पहले दिन उन्होंने ख़रा उतरने की पूरी कोशिश की।
इस मैच से दो दिन पहले उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ों, स्पिनरों और थ्रोडाउन पर कड़ा अभ्यास किया था, लेकिन एक दिन पहले वह वैकल्पिक अभ्यास सत्र में मुख्य पिच पर अपनी बल्लेबाज़ी को विज़ुअलाइज़ करते नज़र आए। इस दिन उन्होंने नेट्स पर अभ्यास नहीं किया।
सुदर्शन को अपने अनुशासन और नियमित रूटीन के लिए भी जाना जाता है। दिल्ली टेस्ट के पहले दिन की सुबह स्टेडियम पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले पवेलियन से ही सूर्य नमस्कार किया और उसके बाद ही मैच से पहले के वार्मअप के लिए मैदान पर आए।
जब वह बल्लेबाज़ी के लिए उतरे तो भारतीय टीम को केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल द्वारा 58 रनों की एक सजग शुरूआत मिल गई थी। पिच बल्लेबाज़ी के लिए मुफ़ीद थी, बस बल्लेबाज़ों को सजग होकर खेलना था और ख़राब गेंदों का इंतज़ार करना था।
वह ख़राब गेंद उन्हें पहली ही गेंद पर मिल गई, जब जोमेल वॉरिकन ने उनके पैरों पर फ़ुलटॉस दिया और उन्होंने इसे मिडविकेट की ओर फ़्लिक कर अपने पहले रन और पहली बाउंड्री प्राप्त किए। इसके बाद उन्होंने वॉरिकन के अगले ही ओवर में ऑन ड्राइव कर चौका बंटोरा।
इसके बाद उन्होंने अपने बैकफ़ुट का खेल दिखाया। वॉरिकन ने पारी के 24वें ओवर में जब ऑफ़ स्टंप के बाहर रूम देते हुए एक बैक ऑफ़ लेंथ गेंद फेंका तो उन्होंने उसे कवर और मिड ऑफ़ के बीच बने गैप में पंच कर दिया। और लंच के बाद जब वेस्टइंडीज़ के कप्तान रॉस्टन चेज़ ने उनके पैरों पर बैक ऑफ़ लेंथ गेंद दी तो वह पीछे गए और गेंद को अक्रॉस क्लिप करते हुए उसे मिडविकेट की ओर भेज दिया। यह कुछ वैसी ही गेंद थी, जिस पर सुदर्शन पिछले टेस्ट में आउट हुए थे। हालांकि इस बार उन्होंने सही शॉट चुना।
इसके बाद उन्होंने वॉरिकन की एक और बैक ऑफ़ लेंथ गेंद को बैकफ़ुट से एक्स्ट्रा कवर की ओर चौके पर भेजा। इस पारी में उनके 87 में से 45 रन बैकफ़ुट से आए और इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी 71.42 का रहा, जो उनके पारी के स्ट्राइक रेट 52.72 से कहीं ज़्यादा रहा।
दिन के खेल के बाद पत्रकारों से बात करते हुए भारत के बल्लेबाज़ी कोच सितांशु कोटक ने कहा, "हम सबको पता है कि वह (सुदर्शन) कितने प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ हैं। कई बार आपको किसी बल्लेबाज़ का स्कोर नहीं देखना होता है, बल्कि उसकी बल्लेबाज़ी देखनी होती है कि कैसे वह अपनी पारी को चला रहे हैं, किस तरह के शॉट लगा रहे हैं।
"एक या दो पारी में कोई भी असफल हो सकता है, लेकिन उन्होंने अच्छी बल्लेबाज़ी की। जब वह बल्लेबाज़ी कर रहे थे, तो कभी नहीं लगा कि उन पर कोई दबाव है। वह मानसिक रूप से बहुत मज़बूत इंसान हैं और उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी शैली में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने गेंद को उसके मेरिट के हिसाब से खेला।"
वहीं उनके बैकफ़ुट खेल के बारे में बात करते हुए कोटक ने कहा, "उनका बैकफ़ुट खेल बहुत मज़बूत है और वह अपने बैट स्विंग से बैकफ़ुट पर काफ़ी ज़्यादा ताक़त पैदा करते हैं। जिस तरह से उन्होंने मिड विकेट और एक्स्ट्रा कवर की दिशा में कुछ शॉट्स खेले, यही उनकी ताक़त है। बैकफ़ुस से ऐसे शॉट्स बहुत कम ही खिलाड़ी खेल सकते हैं।"
हालांकि साई बैकफ़ुट पर ही एक शॉट खेलते हुए अपना विकेट गंवा बैठे और अपने शतक से चूक गए। वारिकन की एक गेंद लेंथ पर पड़कर तेज़ी से अंदर आई, जिसे वह पीछे जाकर ऑन साइड में खेलने गए, लेकिन घूमती गेंद उनके पैड पर लग गई। यह एक ऐसी गेंद थी, जिसे वह फ़्रंटफ़ुट से आसानी से खेल सकते थे, लेकिन बैकफ़ुट पर जाकर वह फंस से गए।
कोटक ने कहा, "कई बार वह फ़ुल गेंदों को भी बैकफ़ुट पर खेलने जा रहे हैं। हम इसमें सुधार लाने की कोशिश करेंगे। उन्हें भी यह चीज़ पता है और वह इसको सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। वह ऐसी गेंदों को फ़्रंटफ़ुट से भी आसानी से खेल सकते हैं।"
ख़ैर सुदर्शन को इस पारी में क्रीज़ पर समय बिताना था, जिसे उन्होंने बख़ूबी पूरा किया। दिन के खेल के बाद ब्रॉडकास्टर से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं रन बनाने से अधिक क्रीज़ पर समय बिताने के बारे में सोच रहा था। मैं समय गुज़ार रहा था, ताकि चीज़े ख़ुद-ब-ख़ुद हो, ना कि मुझे उसके लिए कोशिश करनी पड़े। शतक ना पूरा करने का मलाल तो है, लेकिन आगे फिर से ऐसे मौक़े आएंगे।"

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95